राज्य में लगभग 600 उद्योगों में ओसीईएमएस के जरिये प्रदूषण उत्सर्जन पर निगरानी : अधीक्षण वैज्ञानिक अधिकारी नेहा अग्रवाल

राज्य में लगभग 600 उद्योगों में ओसीईएमएस के जरिये प्रदूषण उत्सर्जन पर निगरानी : अधीक्षण वैज्ञानिक अधिकारी नेहा अग्रवाल
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राज्य में लगभग 600 उद्योगों में ओसीईएमएस के जरिये प्रदूषण उत्सर्जन पर निगरानी : अधीक्षण वैज्ञानिक अधिकारी नेहा अग्रवाल


जयपुर, 29 मई (हि.स.)। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आयोजित की जा रही हितधारक कार्यशाला के तीसरे दिन नगर निगम एवं नगर पालिकाओं द्वारा संचालित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए ओसीईएमएस पर कार्यशाला का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर अधीक्षण वैज्ञानिक अधिकारी नेहा अग्रवाल ने पीपीटी प्रस्तुतीकरण के माध्यम से ओसीईएमएस तकनीक की विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि राज्य में लगभग 600 उद्योगों में ओसीईएमएस के जरिये प्रदूषण उत्सर्जन पर निगरानी रखी जा रही है। उन्होंने कहा कि मंडल प्रशासन ओसीईएमएस से मिलने वाले डाटा को लेकर सक्रिय रूप से कार्य कर रहा है, वहीँ जिन उद्योगों में ओसीईएमएस का डाटा सही प्राप्त नहीं हो रहा उन्हें समय-समय पर नोटिस दिया रहा है। इस दौरान उन्होंने ओसीईएमएस की कार्यप्रणाली एवं तकनीकी पहलुओं पर भी विस्तार से चर्चा की। इस दौरान माजूदा हितधारकों ने ओसीईएमएस के संचालन एवं डाटा ट्रांसमिशन पर आ रही समस्याओं एवं उनके समाधानों पर गहनता से विचार किया गया।

कार्यशाला के दूसरे सत्र के दौरान हाजार्डियस अपशिष्ट प्रबंधन विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस मौके पर अतिरिक्त मुख्य पर्यावरण अभियंता ओ पी गुप्ता ने पीपीटी प्रस्तुतीकरण के माध्यम से बताया कि किसी भी पदार्थ को हाजार्डियस अपशिष्ट पदार्थ एवं बाय प्रोडक्ट की शृंखला में कैसे चिन्हित किया जाये। इसके लिए उन्होंने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा जारी की गयी एसओपी पर विस्तृत रूप से जानकारी दी।

क्या है ओसीईएमएस

ओसीईएमएस एक ऐसी तकनीक है जिसके माध्यम से मंडल द्वारा प्रदूषण उत्सर्जन करने वाली इकाइयों के प्रदूषण उत्सर्जन पर ऑनलाइन माध्यम से निगरानी रखी जाती है। उक्त प्रणाली में सैंपलिंग सिस्टम, विश्लेषक, सेंसर और आवश्यक डाटा संचार शामिल है। उदाहरण के तौर पर इस तकनीक के माध्यम से एसटीपी( सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) द्वारा संशोधित जल की गुणवत्ता के मानक पीएच , टीएसएस, बीओडी, सीओडी आदि सतत डाटा मंडल को ऑनलाइन माध्यम के जरिये प्राप्त होते है। इस तरह से राज्य में उद्योगों द्वारा प्रदूषण उत्सर्जन का स्व-नियमन किया जा रहा है।

इस कार्यशाला के दौरान मुख्य वैज्ञानिक अधिकारी वि एस परिहार, मंडल के वरिष्ठ अधिकारीयों सहित डीएलबी के वरिष्ठ अधिकारी सहित नगर निगम एवं परिषदों के अभियंता, विभिन्न उद्योगों के प्रतिनिधि मौजूद रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/राजीव/ईश्वर

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