संगीत, कला और संस्कृति के अद्भुत 'मोमासर उत्सव' का आयोजन 3 से 5 नवंबर

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संगीत, कला और संस्कृति के अद्भुत 'मोमासर उत्सव' का आयोजन 3 से 5 नवंबर


जयपुर, 2 नवंबर (हि.स.)। ना कोई स्टेज, ना विशेष लाइटिंग और ना ही कोई ताम तमाशा.... हवेली चौक और खुले मैदान में नामी कलाकारों की प्रस्तुतियाँ, लोक वाद्यों की धुन और दुर्लभ लोक संगीत...कुछ ऐसा होता है राजस्थान का सबसे बड़ा कल्चरल फेस्टिवल ‘मोमासर उत्सव’। यह एक ऐसा अनूठा कार्यक्रम है जिसमें कोई मुख्य अतिथि नहीं होता, कोई फीता काटना या दीप प्रज्जवलन नहीं होता। यहां दर्शक दरी पर बैठकर दुर्लभ संगीत का आनंद लेते हैं, उन्हें कला को करीब से देखने और कलाकारों से रूबरू होने का अवसर मिलता है। ऐसे आयोजन बहुत कम देखने को मिलते हैं। बीकानेर जिले का मोमासर कस्बा 3 से 5 नवंबर तक इस ऐतिहासिक आयोजन का गवाह बनेगा, जिसमें लोक कलाओं को सहेजने वाले 200 से ज़्यादा कलाकार अपनी मधुर प्रस्तुतियों से समां बांधेंगे। आयोजन में अनेक दस्तकार व शिल्पकार भी अपनी हस्तकलाओं का प्रदर्शन करेंगे।

इस बार मोमासर उत्सव का आयोजन अनेक मायनों में खास है। दर्शकों को इस बार खास तौर पर साउथ अमेरिकन और राजस्थानी गीत-संगीत की जुगलबंदी देखने को मिलेगी। मोमासर में पहली बार आयोजित हो रही ‘धुंधलाती धुनें’ प्रदर्शनी में दर्शक लोक वाद्य यंत्र बनाने की लुप्तप्रायः कला और दुर्लभ संगीत परम्पराओं से रूबरू होंगे। इन तीन दिनों में दर्शकों को भक्ति संगीत, अलगोज़ा वादन, जोगिया सारंगी वादन, मांगणियार व कालबेलिया गीत-संगीत, पाबू जी के गीत, महिला कलाकारों द्वारा सितार वादन, मंजीरा-घूमर-चंग व ढोल-थाली नृत्य और इटली व चिली के कलाकारों की प्रस्तुतियाँ देखने को मिलेंगी। इसके अलावा हाट बाज़ार व मोमासर मेला भी आकर्षण का केंद्र होगा। देश-दुनिया से पधारे करीब 10,000 लोगों के इस कार्यक्रम में शामिल होने की संभावना है।

कार्यक्रम का मुख्य आयोजन स्थल मोमासर स्थित श्री जयचंद लाल पटावरी की हवेली और श्री कानीराम बुद्धमल पटावरी की हवेली हैं। इसके अलावा गांव देवता भोमिया जी का मंदिर, मोमासर ताल मैदान और द सैंड्स (कुनाल-कनिका फार्म) इस उत्सव के अन्य आयोजन स्थल हैं। सुरवि चैरिटेबल ट्रस्ट के रवि बोरड़ ने बताया कि कस्बे के निवासियों को इस आयोजन का इंतज़ार साल भर से रहता है। कस्बे के जो निवासी कहीं और जाकर बस गए हैं वो भी इस आयोजन ज़रूर शामिल होते हैं। यह आयोजन सिर्फ दूर बैठकर ताली बजाने तक ही सीमित नहीं है, यहाँ देश-दुनिया से आये लोगों को विभिन्न कलाओं को करीब से देखने और समझने का अवसर मिलता है।

जाजम फाउंडेशन के विनोद जोशी ने बताया कि मोमासर उत्सव का इस बार यह 11वां संस्करण है। यह उत्सव राजस्थान की संस्कृति, अद्भुत कला और दुर्लभ लोक संगीत को बरसों से सहेजता आ रहा है। यह राजस्थान का एकमात्र ऐसा आयोजन है जिसमें इतने बड़े स्तर पर समुदाय और आमजन की सहभागिता रहती है। गौरतलब है कि मोमासर उत्सव का आयोजन ‘जाजम फाउंडेशन’ के द्वारा किया जाता है। इसके मुख्य प्रायोजक सुरवि चैरिटेबल ट्रस्ट है। इसके सह-प्रायोजक संचेती ग्रुप हैं। नागपाल इवेंट्स-जयपुर, विश-मेकर्स-दिल्ली, लोक-धुनी फाउंडेशन, डांसिंग पिकॉक और मर्करी कम्यूनिकेशन इस उत्सव के आयोजन सहयोग हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/ दिनेश सैनी/संदीप

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