मोहर्रम: ढोल ताशों की मातमी धुनों के बीच निकले ताजिये
जयपुर , 17 जुलाई (हि.स.)। इस्लाम धर्म के पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में मनाए जाने वाला मोहर्रम बुधवार को श्रद्धा और अकीदत के साथ मनाया गया। मोहर्रम पर ढोल ताशों की मातमी धुनों के बीच ताजियों को जुलूस के रूप में निकाला गया। उसके बाद उन्हें रामगढ़ मोड़ स्थित कर्बला मैदान में दफनाया गया। इससे पहले व्यापार महासंघ के पदाधिकारियों ने ताजियेदारों स्वागत किया।
गौरतलब है कि मोहर्रम से एक दिन पहले मंगलवार को कत्ल की रात में मातमी धुनों के साथ ताजियों का जुलूस निकाला गया। दसवें दिन बुधवार को यौम ए आशूरा पर कर्बला में ताजियों को सुपुर्द खाक किया गया। राजधानी में 350 से अधिक ताजिए को सजाया गया और फिर अपने मुकामों से निकलें। कर्बला में मातमी धुन के बीच बड़ी संख्या में ताजिये सुपुर्द-ए-खाक किए गए। अंजुमन के सदस्यों ने सामूहिक रूप से नौह पढ़ा और मातम मनाया। नकाबपोश महिलाओं ने भी अलविदाई नौहे पढ़े। जालूपुरा, हांडीपुरा, मोहल्ला पन्नीगरान, हाजी कॉलोनी, यजदानी चौक, बासबदनपुरा, नीलगरान, बाबू का टीबा, बड़वाली मस्जिद, पचरंग पट्टी, गुलजार मस्जिद, चीते वाला, मस्जिद आदर्श नगर बांदा बस्ती, सुभाष नगर सहित अन्य जगहों पर छोटे-बड़े करीब 350 ताजिये जुलूस के रूप में कर्बला पहुंचे। चौराहों पर जंजीरी मातम मनाया गया। यहां की गमगीन फिजां में या हुसैन-या हुसैन की सदाएं गूंज रही थीं। मुस्लिम समुदाय के बंदे हजरत इमाम हुसैन सहित कर्बला के 72 शहीदों का गम में काले लिबास में जाजियों के जुलूस में शामिल हुए। महिलाओं ने भी सुहाग की निशानियां उतार कर काले लिबास पहने। गरीबों को खैरात-जकात बांटी गई। अजाखानों और इमामबाड़ों में मजलिस और नोहाख्वानी हुई।
हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश सैनी / ईश्वर
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