अपशिष्ट का उचित निस्तारण नहीं करने पर औद्योगिक इकाइयों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी–पर्यावरण राज्य मंत्री

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अपशिष्ट का उचित निस्तारण नहीं करने पर औद्योगिक इकाइयों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी–पर्यावरण राज्य मंत्री


जयपुर, 15 जुलाई (हि.स.)। पर्यावरण राज्य मंत्री संजय शर्मा ने सोमवार को राज्य विधानसभा में कहा कि किसी भी औद्योगिक इकाई द्वारा अपशिष्ट निस्तारण के संबंध में नियमों के विरुद्ध कार्य करने पर राज्य सरकार द्वारा कठोर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने राजसमन्द में मार्बल स्लरी की अवैध डंपिंग का सर्वे कराकर दोषी के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए आश्वस्त किया।

पर्यावरण राज्य मंत्री प्रश्नकाल के दौरान सदस्य द्वारा इस संबंध में पूछे गए पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि राजसमंद जिले में संचालित औद्योगिक इकाइयों द्वारा अपशिष्ट का उचित निस्तारण न किया जाना बेहद चिंता का विषय है। उन्होंने सदन में चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि किसी भी उद्योग को यह छूट नहीं है कि वे औद्योगिक अपशिष्ट के माध्यम से उस क्षेत्र विशेष के जल संसाधन और पर्यावरण को दूषित करें और वहां के निवासियों तथा किसानों को तकलीफ पहुंचाएं। उन्होंने कहा कि राजसमन्द में मार्बल स्लरी का निस्तारण कहीं अन्यत्र न करके निर्धारित डंपिंग यार्ड में ही किया जाना सुनिश्चित करने के लिए जिला प्रशासन एवं राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अधिकारियों को निर्देशित किया जाएगा।

उन्होंने हिंदुस्तान जिंक औद्योगिक इकाई द्वारा औद्योगिक अपशिष्ट का उचित निस्तारण नहीं किये जाने के सन्दर्भ में सचेत करते हुए कहा कि जिले में संचालित किसी भी औद्योगिक इकाई द्वारा विभाग के नियमों की पलना नहीं किये जाने जाने पर राज्य सरकार इनके विरुद्ध कठोर कार्रवाई करने में पीछे नहीं हटेगी।

इससे पहले विधायक दीप्ति किरण माहेश्वरी के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में पर्यावरण राज्य मंत्री ने बताया कि राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल में उपलब्ध रिकॉर्ड के अनुसार, राजसमंद जिले में लाल श्रेणी की 9, नारंगी श्रेणी की 1062, हरी श्रेणी की 193 औद्योगिक इकाइयाँ स्थापित हैं। श्वेत श्रेणी की इकाइयों को राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल से सम्मति प्राप्त करने की प्रक्रिया से मुक्त रखा गया है। उन्होंने बताया कि राजसमन्द जिले में विगत तीन वर्षों में पर्यावरणीय स्वीकृति (ई.सी.) के लिए परिवेश पोर्टल के अनुसार 164 ई.सी. जारी की गई है एवं 5 ई.सी. प्रस्ताव निरस्त किये गये है। शर्मा ने राजसमन्द जिले में परिचालन के लिए विगत तीन वर्षों में प्राप्त हुए आवेदनों का वर्षवार संख्यात्मक विवरण सदन के पटल पर रखा।

उन्होंने बताया कि पर्यावरण नियमों एंव निर्धारित मांपदण्डों का उल्लंतघन करने पर राजस्थाकन प्रदूषण नियत्रण मण्डल द्वारा इकाइयों के विरूद्ध कारण बताओ नोटिस जारी किया जाता है। पर्यावरण मापदण्डो में सुधार नहीं करने पर दोषी इकाई के विरूद्ध जल अधिनियम, 1974 की धारा 33 (A) एंव वायु अधिनियम, 1981 की धारा 31 (A) के तहत उद्योग को बन्द करने के निर्देश जारी किये जाते है।

शर्मा ने बताया कि जिले में विगत 3 वर्षो में पर्यावरण नियमों एंव मापदण्डों के उल्लंघन करने वाली 3 इकाइयों के विरूद्ध जल एंव वायु अधिनियम के प्रावधानों के अन्तडर्गत उद्योग को बन्द कराने के निर्देश जारी किये गये, जिसका विस्तृत विवरण उन्होंने सदन के पटल पर रखा। इसके अतिरिक्त उद्योगों की समय-समय पर जांच कर गुण दोष के आधार पर कारण बताओं नोटिस जारी कर प्रदूषण नियंत्रण मानकों में सुधार करवाए जाते है, जो कि एक सतत् प्रकिया है। पर्यावरण राज्य मंत्री ने बताया कि इसी क्रम में गत 3 वर्षो में 145 उद्योगों को कारण बताओं नोटिस जारी कर आवश्यक कार्रवाई की गई है। जिसका विवरण उन्होंने सदन के पटल पर रखा।

हिन्दुस्थान समाचार / ईश्वर / संदीप माथुर

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