स्कूलों में बच्चों को मम्पस रोग से बचाव के लिए दी जाए - शुभ्रा

स्कूलों में बच्चों को मम्पस रोग से बचाव के लिए दी जाए - शुभ्रा
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स्कूलों में बच्चों को मम्पस रोग से बचाव के लिए दी जाए - शुभ्रा


जयपुर, 6 अप्रैल (हि.स.)। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह ने शनिवार को स्वास्थ्य भवन में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आयोजित अंतर्विभागीय बैठक में मम्पस (कनफेड) रोग से बचाने एवं इस रोग पर नियंत्रण के लिए राजकीय एवं निजी विद्यालयों में बच्चों को आवश्यक जानकारी देने को कहा। साथ ही, जनचेतना के लिए आईईसी गतिविधियां एवं रोग पर प्रभावी रोकथाम के लिए अंतर्विभागीय समन्वय के साथ कार्य करने को कहा।

अतिरिक्त मुख्य सचिव ने मम्पस रोग से बचाव एवं नियंत्रण के लिए विद्यालयों में दिशा-निर्देश प्रसारित किए जाने हेतु शिक्षा विभाग को पत्र लिखने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि यह एक वायरल संक्रामक रोग है, जो अधिकांशतः बच्चों में होता है। इसे देखते हुए स्कूलों में बच्चों को इस रोग से बचाने तथा जनचेतना के उद्देश्य से दिशा-निर्देश जारी किए जाएं।

सिंह ने निर्देश दिए स्कूलों में कनफेड रोग के प्रसार, लक्षण, बचाव एवं उपचार के संबंध में बच्चों को प्रार्थना सभा के दौरान समुचित जानकारी दी जाए। अगर कोई बच्चा इस रोग से ग्रसित हो तो इसकी सूचना नजदीकी राजकीय चिकित्सा संस्था को दी जाए। उन्होंने मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्यों एवं सीएमएचओ को मम्पस रोग के मामलों की नियमित रिपोर्टिंग किए जाने के निर्देश भी दिए।

अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि विगत कुछ माह से प्रदेश एवं देश के अधिकांश राज्यों में मम्पस के रोगी पाए जा रहे हैं, जो विगत वर्षों की तुलना में अधिक हैं। प्रदेश में जोधपुर, कोटा, बांसवाड़ा, बारां, हनुमानगढ़, उदयपुर, बाड़मेर, नागौर आदि जिलों में मम्पस के केस अधिक सामने आए हैं। इन जिलों में विशेष सतर्कता बरती जाए। साथ ही, मेडिकल कॉलेज इस रोग के प्रसार पर रोकथाम के लिए अलर्ट मोड पर काम करते हुए जरूरी कदम उठाएं।

उल्लेखनीय है कि मम्पस एक संक्रामक रोग है जो कि संक्रमित व्यक्ति द्वारा खांसने अथवा छींकते अथवा लार के माध्यम से दूसरे स्वस्थ व्यक्ति तक आसानी से फैलता है। इसके नियंत्रण एवं रोकथाम के लिए मम्पस संक्रमण के लक्ष्णों की पहचान, बचाव व शीघ्र चिकित्सकीय उपचार-परामर्श आवश्यक है। मम्पस संक्रमण के मुख्य लक्षणों में गले में लार ग्रंथि में 1 से 3 दिनों तक दर्द, सूजन साथ ही मांसपेशियों में दर्द व सूजन एवं भूख में कमी शामिल हैं। इस रोग के होने पर रोगी में अंडकोष, स्तन, मस्तिष्क, अंडाशय, अग्नाश्य, रीढ़ की हड्डी में सूजन हो सकती है। साथ ही, असाधारण स्थितियों में कुछ दुर्लभ केसेज में बहरापन की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है।

बैठक में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी, चिकित्सा शिक्षा आयुक्त इकबाल खान, आरएमएससी की प्रबंध निदेशक नेहा गिरि, अतिरिक्त निदेशक आरएच डॉ. प्रवीण असवाल एवं संबंधित विभागों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। सभी मेडिकल कॉलेजों के प्रधानाचार्य, अधीक्षक, माइक्रोबायोलॉजी विभागाध्यक्ष, संयुक्त निदेशक जोन, सीएमएचओ, अधिशाषी अभियंता, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी, स्थानीय निकायों के स्वास्थ्य अधिकारी, एसएसएच लैब इंचार्ज, जिला एपिडिमियोलॉजिस्ट, एंटोमोलोजिस्ट एवं वीबीडी सलाहकार भी वीसी से जुडे़।

हिन्दुस्थान समाचार/ इंदु/संदीप

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