मथेरन कला पुरातन शैली ने बीकानेर को दिलाई नई पहचान

मथेरन कला पुरातन शैली ने बीकानेर को दिलाई नई पहचान
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मथेरन कला पुरातन शैली ने बीकानेर को दिलाई नई पहचान


बीकानेर, 28 जून (हि.स.)। राजस्थान ललित कला अकादमी एवं कला, साहित्य, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग द्वारा राजकीय उच्च अध्ययन शिक्षा संस्थान (आईएएसई) में आयोजित मथेरन चित्र शैली का ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण शिविर शुक्रवार को संपन्न हुआ। समापन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बीकानेर (पश्चिम) विधायक जेठानंद व्यास थे। उन्होंने कहा कि बीकानेर कलाधर्मियों का शहर है। यहां के कलाकारों ने बीकानेर को नई पहचान दिलाई है। उन्होंने कहा कि मथेरन कला पुरातन शैली है। यह लुप्त नहीं हो, इसके मद्देनजर समय-समय पर ऐसे शिविर आयोजित किए जाएं। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षणार्थी यहां प्राप्त ज्ञान का व्यवहारिक जीवन में उपयोग करें। उन्होंने अकादमी के प्रयासों की सराहना की।

इस अवसर पर मथेरण चित्रकार मूलचंद महात्मा, राजकीय उच्च अध्ययन संस्था प्राचार्य रामदेवली मीना, वरिष्ठ कलाकार महावीर स्वामी, शिविर कोर्डिनेटर डॉ. मोहन लाल चौधरी, मोना सरदार डूडी, कमल किशोर जोशी आदि उपस्थित थे।

मथेरण कला की जानकारी डॉ. राकेश किराडू ने दी। कमल जोशी एवं सुनील रंगा ने बताया कि केम्प में बनाई गई कलाकृतियों को जयपुर में प्रदर्शित किया जाएगा। राजस्थान ललित कला अकादमी के सचिव डॉ. रजनीश जी हर्ष ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आभार जताया तथा आगामी रंग मल्हार में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम का संचालन राजेन्द्र आचार्य ने किया। बृज नारायण व्यास ने आभार जताया।

हिन्दुस्थान समाचार/राजीव/ईश्वर

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