13 साल बाद भी मास्टर ड्रेनेज प्लान कागजों से निकल कर नहीं आ पाया धरातल पर, सड़कें बन जाती दरिया

13 साल बाद भी मास्टर ड्रेनेज प्लान कागजों से निकल कर नहीं आ पाया धरातल पर, सड़कें बन जाती दरिया
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13 साल बाद भी मास्टर ड्रेनेज प्लान कागजों से निकल कर नहीं आ पाया धरातल पर, सड़कें बन जाती दरिया


जयपुर, 7 जून (हि.स.)। जयपुर विकास प्राधिकरण और नगर निगम अधिकारियों की अनदेखी से राजधानी जयपुर थोडी सी बारिश में पानी-पानी हो जाता है। शहर की सड़के नदियां बन जाती है, इससे आमजन के साथ वाहन चालकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। हर साल यह समस्या लगातार बढ़ती जा रही है, लेकिन 13 साल बाद भी शहर का मास्टर ड्रेनेज प्लान कागजों से निकल कर धरातल पर नहीं आ पाया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार जलभराव की समस्या को देखते हुए साल 2006 में एक प्राइवेट फर्म को शहर के सर्वे का काम सौंपा गया था। सर्वे रिपोर्ट के बाद मास्टर ड्रेनेज प्लान बनकर तैयार हुआ। साल 2012 में जलभराव की समस्या से आमजन को निजात दिलाने को लेकर 3620 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट तैयार किया गया। इसके लिए केंद्र सरकार से जवाहर लाल नेहरू नेशनल अर्बन रेनेवल मिशन के तहत पैसा मिलना था। मास्टर ड्रेनेज प्लान के तहत शहर को 19 जोन में बांटा गया। इसमें 11 जोन नगर निगम और 8 जोन जेडीए के हिस्से में आए, लेकिन भारी भरकम खर्चे के चलते इस प्रोजेक्ट पर काम नहीं किया गया।

ड्रेनेज सिस्टम नहीं होने से बारिश में उफनने लगता है सीवरेज

शहर में बारिश की शुरुआत के साथ ही ड्रेनेज सिस्टम की पोल खुलने लगती है। शहर पानी-पानी हो जाता है और सीवरेज उफान मारने लगते हैं। इसकी वजह साफ है कि नगर निगम और जेडीए की ड्रेनेज व्यवस्था का सुव्यवस्थित नहीं है। इसके चलते आमजन अपने घरों के साथ कॉलोनियों के पानी को भी चोरी-छिपे सीवरेज लाइन में छोड़ रहे हैं। बारिश के साथ घरों के पानी के कारण सीवरेज उफान मारने लगते हैं और इससे सड़कों पर गंदगी फैल जाती है और आमजन उसकी बदबू से परेशान होता रहता है।

विभाग चरणों में ड्रेनेज का काम होने का कर रहे दावा

नगर निगम और जेडीए प्रशासन की अनदेखी के चलते शहर की कई कॉलोनियां और सड़कें बारिश में जलभराव की समस्या से जूझ रही हैं। हालाकि जेडीए और निगम आमजन की शिकायतों के बाद अलग-अलग चरणों में ड्रेनेज पर काम करवाने का दावा कर रहा है। लेकिन यह व्यवस्था आमजन को राहत नहीं दे पा रही है। अगर नगर निगम समय पर शहर में बनी नालियों की सफाई बारिश से पहले और सही तरीके से करवा दे तो काफी हद तक आमजन को जलभराव से राहत मिल सकती है।

142 करोड़ रुपये की लागत से पांच जगहों पर जेडीए बनाएगा ड्रेनेज

जेडीए शहर में पांच स्थानों पर 142 करोड़ रुपए की लागत से ड्रेनेज सिस्टम तैयार करने में जुटा है। जलभराव को लेकर मिलने वाली शिकायतों के आधार पर इन जगहों को चुना है। इन स्थानों में वंदेमातरम रोड, बैनाड रोड, सीकर रोड, जयसिंहपुरा भांकरोटा रोड, जगतपुरा और लूनियावास गोनेर रोड शामिल हैं। इनमें से लूनियावास गोनेर रोड, वंदेमातरम रोड का काम लगभग पूरा हो चुका है। बाकी का काम प्रगति पर है।

तेज बारिश में शहर की सभी प्रमुख सड़के बन जाती दरिया

जयपुर शहर के हालात यह है कि तेज बारिश के बाद शहर की सभी प्रमुख सड़कें दरिया बन जाती है। चारदीवारी को छोड़ दे तो बाकी शहर का हाल बारिश के दौरान खस्ताहाल हो जाता है। इसमें सीकर रोड, बी टू बाइपास, न्यू सांगानेर रोड, गोपालपुरा, टोंक रोड, जेएलएन मार्ग का कुछ हिस्सा, एमडी रोड, कालवाड़ रोड, बैनाड़ रोड, निवारू रोड, हवासड़क सहित अन्य सड़कें शामिल है।

शहर में 1300 नाले, निगम नहीं कर पाता तय समय पूरे नालों की सफाई

जयपुर ग्रेटर व हैरिटेज नगर निगम क्षेत्र में करीब 1300 छोटे-बड़े नाले है। हालांकि इस बार दोनों निगमों में समय से पहले ही नालों की सफाई का काम शुरू कर दिया था, लेकिन अभी तक नालों की सफाई का काम पूरा नहीं हो पाया है और मानसून दस्तक देने की तैयारी में है। इन नालों की सफाई निगम को 15 जून से पहले तक करनी होती है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार हैरिटेज नगर निगम क्षेत्र में 435 नाले है। ग्रेटर नगर निगम में 900 से अधिक नाले है। हेरिटेज नगर निगम के हवामहल-आमेर जोन में 193 नाले हैं, सिविल लाइन जोन में 113 डाले हैं। वहीं किशनपोल जोन में 45 नाले और आदर्श नगर जोन में 84 नाले हैं। जयपुर ग्रेटर में 7 जोन क्षेत्र में 900 से अधिक नाले है। वर्तमान हालात यह है कि शहर के 60 फीसदी नालों की सफाई हो चुकी है, लेकिन कई जगहों पर सफाई के बाद नालों से निकाला गया कचरा नहीं उठा है। इससे बारिश के दौरान यह कचरा फिर से बहकर नालों में चला जाएगा। ऐसे में सफाई में दोनों निगमों द्वारा खर्च करोड़ों रुपए पानी में बह जाएंगे।

डायरेक्टर (इंजीनियरिंग 3) जेडीए देवेंद्र गुप्ता का कहना है कि शहर में ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह डवलप नहीं है। रही-सही कसर निगम पूरी कर देता है। समय पर नालों की सफाई नहीं करवाता है। इससे आमजन को जलभराव की समस्या से जूझना पड़ता है। सीवरेज इसलिए उफनती है कि लोगों ने ड्रेनेज सिस्टम पर अतिक्रमण कर लिया और घरों के साथ बारिश का पानी भी सीवरेज में छोड़ रहे हैं। इसके लिए निगम को ठेकेदार के साथ ऐसे लोगों पर कार्रवाई करनी चाहिए।

हिन्दुस्थान समाचार/ राजेश/संदीप

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