राजस्थान में धनिया मैथी पर मण्डी टेक्स अन्य राज्यों से अधिक

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राजस्थान में धनिया मैथी पर मण्डी टेक्स अन्य राज्यों से अधिक


मसाला व्यवसायियों ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से मिलकर मंडी टेक्स की विसंगती दूर कराने का आग्रह किया

कोटा, 21 अगस्त (हि.स.)। मसालों के उत्पादन में राजस्थान पूरे देश में अग्रणी राज्य हैं। लेकिन प्रदेश में मंडी टैक्स की दरें अन्य राज्यों की अपेक्षा अधिक होने से व्यापार में लगातार गिरावट आ रही है। यहां के किसानों को जीरा, मैथी व धनिया जैसे मसाला उत्पाद अन्य राज्यों की अपेक्षा कम मूल्य पर बेचना पड रहा हैं। सभी मसालों पर न्यायसंगत एक समान कर प्रणाली कर किसानों को होने वाले आर्थिक नुकसान को रोका जा सकता है।

राजस्थानी एसोसिएशन ऑफ स्पाईसेस (रास) के प्रदेश सचिव महावीर गुप्ता ने बताया कि गुरूवार को प्रदेश के कृषक, व्यापारी एवं मसाला उद्यमियों ने लोकसभा स्पीकर एवं स्थानीय सांसद ओम बिरला से भेंटकर विसंगतियों पर चर्चा की। उनसे आग्रह किया कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, केंद्रीय एवं प्रदेश के कृषि मंत्री से मंडी टेक्स की दरों को संशोधित करने एवं कृषक कल्याण शुल्क समाप्त करवाकर प्रदेश के किसानों को राहत दिलायें।

प्रदेश के मंडी टैक्स में इतनी विसंगति

वर्तमान में गुजरात में जीरा पर मंडी टैक्स 0.5 प्रतिशत व धनिया पर 1 प्रतिशत है। मध्यप्रदेश में धनिया पर मंडी टैक्स 1 प्रतिशत ही है। दोनो राज्यों में कृषक कल्याण शुल्क देय नहीं है। जबकि राजस्थान में जीरा पर मंडी टैक्स 0.5 प्रतिशत व इतना ही कृषक कल्याण शुल्क होने से कुल कर 1 प्रतिशत है। धनिये की पैदावार हाडौती में सर्वाधिक होती है, इस पर मंडी टैक्स सर्वाधिक 1.6 प्रतिशत एवं कृषक कल्याण शुल्क 0.5 प्रतिशत जोडकर कुल 2.1 प्रतिशत टैक्स वसूली की जा रही है। दो मसाला उत्पादों की कर प्रणाली एक समान नहीं है। जिससे प्रदेश के किसानों को अपनी उपज पडौसी राज्यों में बेचने जाना पड रहा है। किसानों के पलायन करने से राज्य सरकार को जीएसटी, मण्डी शुल्क एवं मूल्यों की गिरावट से लगभग दो हजार करोड़ रूपये से ज्यादा का सीधा नुकसान हो रहा है।

मसाला विशेषज्ञों ने बताया कि देश के किसी भी राज्य में एक ही प्रकृति की जिंसो में कर प्रणाली अलग अलग नही होती है। जबकि राजस्थान में दोनो मसाला जिंसो में अलग अलग दरें हैं। राजस्थान के सीमावर्ती जिलों का पूरा धनिया मध्यप्रदेश की मण्डियों में जाकर बिक रहा हैं जिससे प्रदेश को राजस्व हानि हो रही है। हम मसाला उत्पादों के एक्सपोर्ट में भी पिछड़ रहे हैं क्योंकि हमारी लागत अन्य राज्यों से अधिक हैं। यदि प्रदेश में अन्य राज्यों के समान करारोपण हो तो दक्षिण भारत के मसाला उद्यमी यहाँ कारखाने स्थापित कर सकते हैं। रामगंजमण्डी स्थित मसाला पार्क करों की अत्यधिक दर के कारण ही उद्योग विहीन बना हुआ है।

हिन्दुस्थान समाचार / अरविन्द / ईश्वर

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