महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय देगा शैवाल उत्पादन का प्रशिक्षण

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महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय देगा शैवाल उत्पादन का प्रशिक्षण


अजमेर, 22 मार्च(हि.स.)। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग एवं सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वावधान में स्पिरुलिना और एजोला इकाई का कुलपति प्रो. अनिल शुक्ला ने फीता काटकर शुभारंभ किया। इस इकाई को सूक्ष्म विज्ञान विभाग के सामने जालीदार कक्ष में स्थापित किया गया है, जिसमें दोनों ही विभाग के छात्र एवं छात्राएं संयुक्त रूप से कार्य करेंगे और इकाई के उत्पाद को बढ़ाने का प्रयास भी करेंगे। यह इकाई फार्मेसी विभाग के विद्यार्थियों को भी प्रायोगिक कक्षाओं के लिए उपलब्ध रहेगी।

इकाई के उद्घाटन के पश्चात कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय के लिए इस प्रकार का संयुक्त कार्य गरिमा का विषय है और यह गरिमा विश्वविद्यालय को एक विशेष दर्जा प्रदान कराती है। उन्होंने इस उत्पाद को बढ़ावा देने के लिए समाज और गांव के लोगों को प्रशिक्षित करने के लिए भी विस्तृत योजना प्रस्तावित करने को कहा।

सूक्ष्म विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. आशीष भटनागर ने बताया कि इस प्रकार की योजनाएं विद्यार्थी को कौशलता एवं दक्षता प्रदान करती हैं जिससे कि वह स्वयं धनार्जन कर सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि यह आवश्यक नहीं है की छात्र का सैद्धांतिक एक पक्ष अच्छा हो, जिन छात्रों का प्रयोगिक एवं व्यावहारिक पक्ष अच्छा है उनके लिए इस प्रकार की योजनाएं मील का पत्थर साबित होती हैं।

वनस्पति विज्ञान विभाग के विभाग अध्यक्ष प्रो. अरविंद पारीक ने कहा कि स्पिरुलिना का वर्तमान समय में व्यावसायिक रूप से उत्पादन नहीं किया जा रहा है। राजस्थान में किसी विश्वविद्यालय में यह पहली इस प्रकार की इकाई होगी जिसमें ग्रामीण युवाओं को निशुल्क प्रशिक्षण दिया जायेगा। इस इकाई का प्रत्यक्ष रूप में लाभ यह होगा कि स्पिरुलिना का उपयोग कैंसर रोगों, दर्द राहत, सूजन रोधी एवं प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाने के प्रयोग में काम आने वाले उत्पादों में किया जा सकेगा। विश्व पटल पर इसकी बहुत बड़ी मांग है। उन्होंने यह भी बताया कि प्राकृतिक रूप से बनने वाले कॉस्मेटिक उत्पादों में, इसे बहुत ही प्रभावी तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि एजोला का इस्तेमाल भी व्यावसायिक रूप में बढ़ने लगा है। एजोला प्रमुख रूप से खेती की उर्वरक क्षमता को बढ़ाने में नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करता है एवं पशुओं के दूध की क्षमता में वृद्धि करता है। एजोला स्पिरुलिना दोनों ही मुर्गी दाना बनाने एवं अंडे का साइज बढ़ाने में मदद करते हैं। यह उत्पाद ग्रामीण व शहरी दृष्टिकोण से बहुलाभ्य है।

हिन्दुस्थान समाचार/संतोष/ईश्वर

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