(अपडेट) जहाजपुर में हिन्दू संगठनों का महापड़ाव, बाजार रहे बंद

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(अपडेट) जहाजपुर में हिन्दू संगठनों का महापड़ाव, बाजार रहे बंद


(अपडेट) जहाजपुर में हिन्दू संगठनों का महापड़ाव, बाजार रहे बंद


-दिन भर के पड़ाव के बाद देर सांय शुरू हुई वार्ता, वार्ता के बाद निर्णय की होगी घोषणा

भीलवाड़ा, 1 अक्टूबर (हि.स.)। शाहपुरा जिले के जहाजपुर कस्बे में 14 सितंबर को जल झूलनी एकादशी के जुलूस पर हुए पथराव के विरोध में मंगलवार को हिंदू संगठनों द्वारा विशाल महापड़ाव आयोजित किया गया। इस महापड़ाव में हजारों की संख्या में लोग बस स्टैंड और आजाद चैक पर इकट्ठा हुए, जबकि कस्बे के बाजार पूरी तरह से बंद रहे। दिनभर चले इस महापड़ाव के बाद देर शाम को प्रशासनिक अधिकारियों और सांसद, विधायकों के साथ वार्ता शुरू हुई। इस दौरान पुलिस ने पथराव के मामले में अब तक 17 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें छह नई गिरफ्तारियां शामिल हैं। रात का वार्ता का दौर जारी है।

महापड़ाव का मुख्य उद्देश्य 14 सितंबर को हुए पथराव की घटना में शामिल सभी आरोपिताें की गिरफ्तारी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग था। स्थानीय लोगों का आरोप था कि पथराव के बाद प्रशासन ने आश्वासन दिया था कि तीन दिनों के भीतर कार्रवाई की जाएगी, लेकिन उसके बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इसलिए मंगलवार को विधायक गोपीचंद मीणा के नेतृत्व में समग्र हिंदू समाज ने महापड़ाव का आयोजन किया।

एसपी भीलवाड़ा, धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि अब तक कुल 17 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिनमें रिजवान मोहम्मद उर्फ चक्कू, मुजम्मिल उर्फ जानू, नईम रजा, आसिफ मोहम्मद, रईस और सद्दाम जैसे मुख्य आरोपी शामिल हैं। पुलिस अन्य आरोपिताें की भी तलाश कर रही है, और जांच जारी है।

महापड़ाव के दौरान संतों के सानिध्य में भजन-कीर्तन का आयोजन हुआ। विधायक गोपीचंद मीणा ने धरने में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा, सरकार हमारी है, और हमारी मांगे मानी जाएंगी। उन्होंने यह भी कहा कि वे यहां विधायक के तौर पर नहीं, बल्कि एक हिंदू के रूप में बैठे हैं। धरने में रखी गई प्रमुख मांगों में पथराव की घटना में शामिल सभी आरोपिताें की गिरफ्तारी, पथराव वाली बिल्डिंग का सीमांकन, अवैध इमारतों को ध्वस्त करने, लाउडस्पीकर हटाने और अन्य 12 सूत्री मांगों का समावेश था। महापड़ाव के दौरान कस्बे में पूरी तरह से शांति रही, हालांकि बाजार पूरी तरह से बंद थे और सभी व्यापारी संघों ने इस बंद का समर्थन किया।

प्रशासनिक सतर्कता और सुरक्षा के इंतजाम

महापड़ाव के दौरान प्रशासन पूरी तरह अलर्ट रहा। बस स्टैंड और आजाद चैक पर करीब 400 पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई, जिनमें शाहपुरा के एडिशनल एसपी चंचल मिश्रा की अगुवाई में डिप्टी एसपी और चार थानों के थाना प्रभारी शामिल थे। इसके साथ ही रिजर्व पुलिस बल और स्पेशल सुरक्षा बल की भी तैनाती की गई थी। कस्बे के विभिन्न हिस्सों में ट्रैफिक को डायवर्ट करने के लिए बैरिकेडिंग की गई थी, जिससे महापड़ाव के दौरान किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति से बचा जा सके। प्रशासन ने स्थिति पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए हर आवश्यक कदम उठाए।

वार्ता की प्रक्रिया और संभावित समाधान

महापड़ाव के बाद देर शाम को भीलवाड़ा से सांसद दामोदर अग्रवाल, विधायक गोपीचंद मीणा, जिला कलेक्टर राजेंद्र शेखावत, पुलिस अधीक्षक धर्मेंद्र सिंह, और बेवाण न्याय यात्रा समिति के सदस्यों के बीच वार्ता शुरू हुई। वार्ता का उद्देश्य महापड़ाव के दौरान उठाई गई मांगों पर सहमति बनाना था। प्रशासन और समाज के प्रतिनिधियों के बीच जारी वार्ता के परिणामस्वरूप ही यह निर्णय लिया जाएगा कि महापड़ाव को जारी रखा जाए या इसे समाप्त किया जाए। फिलहाल वार्ता के परिणाम के आधार पर ही आगे के कदम उठाए जाएंगे। प्रशासन और हिंदू संगठनों के बीच जारी वार्ता के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि मांगें मानी जाती हैं या नहीं। यदि प्रशासन मांगें मानने में विफल रहता है, तो महापड़ाव को अनिश्चितकालीन रूप से जारी रखने की धमकी दी गई है तथा समूचे मेवाड़ क्षेत्र में इसे बढ़ाया जायेगा।

उल्लेखनीय है कि 14 सितंबर को जल झूलनी एकादशी के दौरान निकाले गए जुलूस पर पथराव की घटना ने कस्बे में तनाव उत्पन्न कर दिया था। इस घटना के बाद तीन दिनों तक धरना चला, जिसमें पुलिस ने आरोपिताें की गिरफ्तारी का आश्वासन दिया था। लेकिन जब आरोपिताें के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो हिंदू संगठनों और स्थानीय नागरिकों ने मिलकर महापड़ाव का आयोजन किया।

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हिन्दुस्थान समाचार / मूलचंद

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