जवाहर कला केन्द्र में 29 अक्टूबर से लगेगा लोक कला का महाकुंभ
जयपुर, 24 अक्टूबर (हि.स.)। जवाहर कला केन्द्र की ओर से 29 अक्टूबर से 8 नवंबर तक 26वें लोकरंग महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। राष्ट्रीय लोक नृत्य समारोह और राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले को लेकर तैयारियां जारी है। 11 दिवसीय महोत्सव में भारत का विराट लोक सांस्कृतिक स्वरूप जवाहर कला केन्द्र में साकार होगा। 25 राज्यों के ढाई हजार से अधिक कलाकार लोकरंग में अपने प्रदेश की संस्कृति के रंग बिखेरेंगे। लोकरंग को लेकर केन्द्र की सोशल मीडिया टीम की ओर से एक विशेष कैम्पेन चलाया जा रहा है जिसमें वीडियो के माध्यम से विभिन्न लोक कलाओं की जानकारी कला प्रेमियों तक पहुंचायी जा रही है।
देश के विभिन्न प्रांतों से लोक कलाकारों को महोत्सव में आमंत्रित किया गया है। इनमें राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, तमिलनाडु, तेलंगाना, बिहार, झारखंड, असम, मणिपुर, नागालैंड, त्रिपुरा, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ व अन्य शामिल है। महोत्सव में प्रतिदिन मध्यवर्ती में शाम सात बजे से लोक कलाओं की प्रस्तुति दी जाएगी। कार्यक्रम के दिन केन्द्र से टिकट लेकर इसमें प्रवेश लिया जा सकेगा। मध्यवर्ती में होने वाली प्रस्तुतियों का जवाहर कला केन्द्र के ऑफिशियल फेसबुक पेज पर लाइव प्रसारण भी किया जाएगा।
शिल्पग्राम में लगने वाले राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले में आगंतुक लोक कलाओं की प्रस्तुतियों का आनंद लेने के साथ-साथ दस्तकारों के हुनर को भी निहार पाएंगे। मेले में 100 से अधिक स्टॉल्स लगाई जाएंगी। इनमें राजस्थान सहित अन्य प्रान्तों के पुरस्कृत शिल्पियों एवं राष्ट्र स्तर पर पुरस्कृत शिल्पियों सहित डीसीएच के कार्ड धारक हस्तशिल्पियों द्वारा निर्मित कलात्मक हस्तशिल्प उत्पादों की प्रदर्शनी लगायी जाएगी। दर्शकों के लिए यह प्रदर्शनी 29 अक्टूबर से 8 नवंबर तक तक प्रतिदिन सुबह 11 बजे से रात 9.30 बजे तक खुली रहेगी।
शिल्पग्राम के मुख्य मंच पर प्रतिदिन सायं पांच बजे से होने वाली खास लोक सांस्कृतिक प्रस्तुतियां मेले का केन्द्र रहेंगी। राजस्थान के प्रमुख लोक कलाकारों द्वारा यहां आकर्षक प्रस्तुतियां दी जाएंगी। इसी के साथ मेले में कई प्वाइंट्स का चयन किया गया है जहां मेहंदी डिजाइन, लाइव पेंटिंग्स, कठपुतली, पाबू जी की फड़, लुप्त होते राजस्थानी वाद्य यंत्र यथा रावणहत्था, कमायचा आदि की प्रस्तुतियां होंगी। इसी के साथ मेले में नट, बहुरूपिया, जादू आदि कलाओं का आनंद भी ले सकेंगे। शिल्पग्राम में राजस्थान के सभी अंचलों को प्रदर्शित करने वाली झोपड़ियां लिपाई के बाद नए मांडनों के साथ शोभायमान हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/ दिनेश सैनी/ईश्वर
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