भगवान जगन्नाथ को दी 21 बंदूकों की सलामी, 80 किलो चांदी के रथ पर हुए सवार

भगवान जगन्नाथ को दी 21 बंदूकों की सलामी, 80 किलो चांदी के रथ पर हुए सवार
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भगवान जगन्नाथ को दी 21 बंदूकों की सलामी, 80 किलो चांदी के रथ पर हुए सवार


उदयपुर, 7 जुलाई (हि.स.)। पुरी की तर्ज पर उदयपुर के 400 साल पुराने मंदिर से भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकली। रथयात्रा के साथ शहर के अलग-अलग इलाकों से आई शोभायात्राएं भी साथ चली। भक्तिमय गानों पर भक्त झूमते नजर आए। रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ स्वामी, माता महालक्ष्मी, दानी रायजी की श्रृंगारित मनमोहन प्रतिमाएं राजसी वस्त्र धारण किए रहे। भगवान चांदी के रथ में सवार होकर भक्तों को दर्शन देते हुए चले। भक्तों ने रथ को छूकर आशीर्वाद लिया। रथ में मौजूद समिति के कार्यकर्ताओं ने आसपास चल रहे भक्तों को प्रसाद वितरित किया।

जगन्नाथ रथ यात्रा घंटाघर से आगे बढ़कर बड़ा बाजार होते हुए मोचीवाड़ा की तरफ पहुंची। रास्ते में भगवा झंडे लेकर कार्यकर्ता आगे चलते रहे और भगवान के जयकारे लगाते रहे। लोगों ने छतों पर खड़े होकर भगवान के दर्शन किए। रथ यात्रा में किन्नर समाज भी शामिल हुआ। यात्रा में चल रहे भक्तों ने उनसे आशीर्वाद भी लिया। रथ के आगे समिति द्वारा डीजे की व्यवस्था की गई। इसमें भक्तिमय संगीत पर युवा श्रद्धालु नाचते-गाते आगे चलते रहे। नाथद्वारा विधायक और मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्य विश्वराज सिंह मेवाड़ भगवान के रथ पर आए और दर्शन किए। महाराणा जगत सिंह ने 1709 ईस्वी में इस रथ यात्रा की शुरुआत की थी। इसके बाद 1996 से मंदिर समिति इसका आयोजन कर रही है। रथ यात्रा शुरू होने से पहले भगवान को 21 बंदूकों की सलामी दी गई। इसके बाद रथ तक पालकी में बैठा कर भगवान को रथ में विराजित किया गया। रथ यात्रा के आगे भक्तों का हुजूम चलता रहा। रथयात्रा समिति के 50 कार्यकर्ता भगवान जगन्नाथ के रथ को खींचते रहे। भगवान को मंदिर से रथ तक लेकर जाते समय भक्तों की भारी भीड़ मौजूद रही। लोगों में भगवान के दर्शन करने की होड़ मच गई।

हिन्दुस्थान समाचार/ पारीक/ईश्वर

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