प्रवर्तन निरीक्षक का गड़बड़झाला, इस्तीफे वाली दुकान को तीन साल बाद बताया अवकाश प्रकरण, फिर से कर दिया आवंटन

प्रवर्तन निरीक्षक का गड़बड़झाला, इस्तीफे वाली दुकान को तीन साल बाद बताया अवकाश प्रकरण, फिर से कर दिया आवंटन
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प्रवर्तन निरीक्षक का गड़बड़झाला, इस्तीफे वाली दुकान को तीन साल बाद बताया अवकाश प्रकरण, फिर से कर दिया आवंटन


चित्तौड़गढ़, 24 जून (हि.स.)। जिला रसद अधिकारी कार्यालय चित्तौड़गढ़ की ओर से गत दिनों एक राशन डीलर की दुकान का आवंटन चर्चा का विषय बना हुआ है। नियमों के विरुद्ध आवंटन के आरोप इसमें लग रहे हैं। चित्तौड़गढ़ शहरी क्षेत्र में यह दुकान है। यह दुकान पहले दुर्गावती के नाम पर आंवटित की थी, जिन्होंने इस्तीफा दे दिया था। रसद विभाग की ओर से निकाली वैकेंसी में भी इसे रिक्त दिखाया गया था लेकिन बाद में दुर्गादेवी का तीन साल लंबा अवकाश दिखा कर पुनः इसी के नाम आवंटन हुआ है। ऐसे में इस्तीफे का प्रकरण अवकाश में बदल गया, जो सभी में चर्चा का विषय बना हुआ है। रसद विभाग में हुए गड़बड़झाले के बारे में उच्च अधिकारियों तक भी सूचना पहुंची है लेकिन आज तक पुख्ता कार्रवाई नहीं हो पाई है।

जानकारी में सामने आया कि चित्तौड़गढ़ शहर के वार्ड संख्या 31 में स्थित उचित मूल्य की दुकान दुर्गावती के नाम आंवटित। इन्होंने बाद में इस्तीफा दे दिया था। तत्कालीन जिला रसद अधिकारी बिजल सुराणा द्वारा निकाले गए एक आदेश में राशन डीलर दुर्गावती वार्ड नंबर 31 नगर परिषद चित्तौड़गढ़ का आवंटन निरस्त कर अतिरिक्त प्रभार अयाज खान को सौंपा गया था।

इसके बाद विभाग द्वारा जारी प्रत्येक विज्ञप्ति में उक्त दुकान को रिक्त बताया गया था। इसे अचानक करीब 3 साल बाद जिला रसद अधिकारी सुनील कुमार घोड़ेला ने एक आदेश जारी कर पुनः दुर्गावती को ही उक्त दुकान आवंटित आवंटित कर दी। पहले रसद विभाग के आदेशों में इस्तीफे की बात मानी गई। वहीं तीन साल बाद अवकाश मानते हुवे पुनः दुकान रसद विभाग को ही आंवटन कर दिया। गौरतलब है कि जिस प्रवर्तन निरीक्षक की रिपोर्ट के आधार पर इस दुकान को इस्तीफा का आधार मान कर निरस्त किया गया था, उसी प्रवर्तन निरीक्षक की दूसरी रिपोर्ट में दुर्गावती को स्वास्थ्य खराब होने की अनुशंसा कर अवकाश दिखा कर उन्हें दुकान आवंटित कर दी।

जानकार सूत्रों ने बताया कि उचित मूल्य दुकान के आवंटन की प्रक्रिया में नियमों के तहत आवंटन प्रक्रिया कई महत्वपूर्ण पायदानों से होकर गुजरती है। इसमें दस्तावेज का सत्यापन, साक्षात्कार विभाग द्वारा गठित सलाहकार कमेटी द्वारा किया जाता है। इसके बाद चयनित अभ्यर्थी की फाइल जिला कलक्टर को अनुमोदन के लिए प्रस्तुत की जाती है। इसके बाद प्राधिकार पत्र यानी दुकान का आवंटन किया जाता है। वहीं इस पूरे मामले में सारे नियमों और प्रक्रिया को ताक में रख कर बिना कलक्टर के समक्ष अनुमोदन को प्रस्तुत करते हुए सीधे ही दुकान का आवंटन कर दिया। जो की पूर्णतया नियम विरुद्ध है।

दुर्गावती राशन डीलर की दुकान के आवंटन के मामले में नियमों को ताक में रख कर दुकान का आवंटन किया गया। तत्कालीन जिला रसद अधिकारी एवं प्रवर्तन निरीक्षक की भूमिका संदेह के घेरे में है। प्रवर्तन निरीक्षक की प्रथम रिपोर्ट 26 फरवरी 2020 को तत्कालीन जिला रसद अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत की गई थी। इसमें राशन डीलर दुर्गावती की दुकान को इस्तीफा के कारण निरस्त करना मान कर वैकल्पिक व्यवस्था निकट स्थित राशन डीलर अयाज खान को दी थी। वहीं आवंटन के समय जारी आदेश 30 जनवरी 2023 में प्रवर्तन निरीक्षक पिंकी ने रिपोर्ट में दुर्गावती को स्वास्थ्य ठीक ना होने के कारण अवकाश पर बता दिया। इसी रिपोर्ट का आधार मानते हुए ही आवंटन कर दिया गया। ऐसे में साफ दिखाई देता है कि एक ही प्रवर्तन निरीक्षक और जिला रसद अधिकारी अलग-अलग रिपोर्ट बना कर आवंटन को निरस्त कर पुनः आवंटित करने के खेल में संलिप्त हैं।

इस संबंध में जिला रसद अधिकारी चित्तौड़गढ़ हितेश जोशी ने बताया कि दुर्गावती राशन डीलर ने इस्तीफा दे दिया था जिसे स्वीकार कर लिया था। बाद में पुनः इसे ही आंवटित कर दी थी। पहले वाला दस्तावेज मान्य होता है। इस पूरे मामले की जांच करवा कर रिपोर्ट बना जिला कलक्टर को भेजेंगे। इसमें जिला कलक्टर ही आदेश देंगे।

हिंदुस्थान समाचार/अखिल/संदीप

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