श्रमिक संगठनों ने जुलूस निकालकर दिखाई एकजुटता
जोधपुर, 1 मई (हि.स.)। अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस पर हिंद मजदूर सभा ( एचएमएस ), आल ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (एआईसीसीटीयू)/आर सीटू, सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स (सीटू) सहित केन्द्रीय एवं प्रदेश स्तरीय ट्रेड यूनियन संगठनों द्वारा बुधवार को शहर में संयुक्त रूप से जुलूस निकाला गया। यह जुलूस सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के कर्मचारियों व श्रमिकों का संयुक्त जुलूस था। श्रमिकों में मुख्य रूप से विभिन्न औद्योगिक प्रतिष्ठानों, विभागों तथा क्षेत्रों में कार्यरत असंगठित श्रमिक थे जो साधारणतया श्रम कानूनों के तहत विनिर्दिष्ट आठ घंटे काम करने के अधिकार से वंचित है तथा जिनसे नियमों के विपरीत आठ घंटे से अधिक कार्य लिया जाता है।
सभी श्रमिक संगठन व उनसे जुड़े अन्य संगठन के कार्यकर्ता व पदाधिकारी आज सुबह रेलवे स्टेशन रोड़ स्थित नार्थ वेस्टर्न रेलवे एम्पलॉइज यूनियन के कार्यालय पर एकत्रित हुए। यहां से जुलूस निकाला गया। यह जुलूस रेलवे स्टेशन, सहकारी बाजार, एमजीएच रोड़, चांदशाह तकिया मार्केट, राजीव गांधी सर्किल के आगे से होता हुआ पुरी तिराहे से वापस मेन्स यूनियन कार्यालय पहुंचा जहां सभा का आयोजन किया गया। सभा को केन्द्रीय श्रम संगठनों के पदाधिकारियों ने संबोधित किया। सभा से पहले झण्डारोहण की रस्म अदा कर शहीद स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। जुलूस में सार्वजनिक व निजी क्षेत्र के कर्मचारी, विभिन्न औद्योगिक इकाइयों की यूनियनें, पत्थर मजदूर यूनियन, केंद्रीय कर्मचारी संगठन, ऑटो रिक्शा यूनियन के लोग शामिल हुए।
सभा को केन्द्रीय श्रम संगठनों के संयोजक मनोज परिहार एवं मण्डल अध्यक्ष महेन्द्र व्यास, नदीम खान, हबीबुर्रहमान, वहीदूदीन, रमेशनाथ देवाराम, रामजपीत आदि वक्ताओं ने संबोधित करते हुए श्रमिकों को एक मई मजदूर दिवस के इतिहास पर विस्तृत जानकारी दी। वक्ताओं ने मई दिवस के महत्व को समझाते हुए कहा कि एक मई मजदूर दिवस श्रमिक कर्मचारी मजदूर वर्ग का अंतरराष्ट्रीय पर्व है जो हमें शोषण व उत्पीडऩ के विरूद्ध एकता व संघर्ष की राह पर अपने अधिकारों की प्राप्ति हेतु चलने को प्रेरित करता है। उन्होंने कहा कि केरल सरकार की तर्ज पर राजस्थान सरकार में भवन निर्माण श्रमिकों के लिए योजना बनाकर नियम लागू किए जिसमें असंगठित भवन निर्माण श्रमिकों के लिये पेन्शन, मृत्यु सहायता, बच्चों की पढाई के लिए छात्रवृति, दुर्घटना की स्थिति में तत्काल मुआवजा सहित अनेक सुविधाएं कानूनी तौर पर दी गई है लेकिन इस योजना का लाभ भवन निर्माण में लिप्त असंगठित श्रमिकों को पूरी तरह नहीं मिल पा रहा है। जिस तरह श्रम कानूनों में श्रमिक विरोधी संशोधन राज्य सरकार द्वारा किए गए है, वह दिन दूर नहीं जब भवन निर्माण श्रमिकों के लिए लागू कल्याणकारी योजनाओं को भी समाप्त कर दिया जाएगा।
हिन्दुस्थान समाचार/सतीश/संदीप
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