कोटड़ा महोत्सव में 25 बसों से निःशुल्क सफर कराएगा प्रशासन, मिलेगा 'पानिये' का भी स्वाद

कोटड़ा महोत्सव में 25 बसों से निःशुल्क सफर कराएगा प्रशासन, मिलेगा 'पानिये' का भी स्वाद


उदयपुर, 21 सितम्बर (हि.स.)। पहली बार उदयपुर के आदिवासी बहुल क्षेत्र कोटड़ा में मनाए जा रहे सांस्कृतिक महोत्सव को लेकर प्रशासन ने कमर कस ली है। विश्व पर्यटन दिवस पर होने वाले इस तीन दिवसीय महोत्सव को यादगार बनाने के लिए एक तरफ देश के विभिन्न कोनों से लोक कलाकारों के दल बुलाए जा रहे हैं तो कोटड़ा में पर्यटकों के पगफेरे बढ़ाने के लिए आने-जाने, ठहरने-खाने की व्यवस्थाओं पर भी ध्यान दिया जाना शुरू कर दिया गया है। इतना ही नहीं, इस महोत्सव में लोक संगीत, लोक नृत्य व लोक वाद्य के साथ लोक व्यंजनों का स्वाद भी जोड़ा जा रहा है।

उदयपुर जिला कलेक्टर ताराचंद मीणा ने महोत्सव को लेकर बुधवार को पत्रकारों से विस्तृत चर्चा करते हुए कहा कि इस महोत्सव में स्थानीय स्तर पर विभिन्न वन उत्पादों के प्रसंस्करण का कार्य कर रहे महिला स्वयं सहायता समूहों को स्टॉल्स उपलब्ध कराई जा रही है जिससे पर्यटकों को वहां पर शहद, सीताफल आदि के प्रसंस्करित उत्पाद भी मिल सकेंगे। किंकोड़े के भी प्रसंस्करण का प्रयास किया जा रहा है।

कोटड़ा महोत्सव में पर्यटकों को स्थानीय व्यंजनों का स्वाद भी मिलेगा जिसमें विशेष तौर पर पानिया भी शामिल होगा। पानिया मक्का के आटे से बनाया जाने वाला व्यंजन है इसे मोटी रोटी की तरह हाथ से गढ़कर पलाश के पत्तों में लपेटकर गाय के गोबर के कंडों पर पकाया जाता है।

उन्होंने बताया कि देश-विदेश के पर्यटकों को लाने-लेजाने के लिए होटल एसोसिएशन को जिम्मेदारी दी गई है, जबकि शहर से कोई भी व्यक्ति वहां जाना चाहेगा तो उनके लिए 25 वाहन उपलब्ध कराने के लिए जिला परिवहन अधिकारी को कहा गया है। आमजन इस महोत्सव में निःशुल्क आ-जा सकेंगे। बसों के संचालन की पूरी सारिणी भी शीघ्र जारी की जाएगी। कोई वहां ठहरना भी चाहे तो पानरवा के वन विभाग के अतिथि गृह सहित सार्वजनिक निर्माण विभाग, जनजाति छात्रावास, एकलव्य आवासीय विद्यालय आदि में भी व्यवस्थाएं की जा रही हैं। पानरवा, सांडोला माता में एडवेंचर स्पोर्ट भी रहेंगे। गौरतलब है कि साण्डोल माता के पास ही जिप लाइन बनाई हुई है जहां शहरवासी अक्सर पिकनिक मनाने पहुंचते हैं। इन सभी स्थानों पर सुरक्षा के इंतजाम भी किए जा रहे हैं।

कलेक्टर ने बताया कि करीब एक हजार देसी-विदेशी पर्यटकों के आने की उम्मीद है, कोटड़ा व आसपास के क्षेत्र सहित उदयपुर शहर से जाने वाले स्थानीय नागरिकों की संख्या कहीं अधिक हो सकती है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह महोत्सव हर साल अलग-अलग पंचायत समितियों में हो सकता है। इस महोत्सव की जानकारी को पर्यटन विभाग के कैलेंडर में शामिल किया जाएगा ताकि लोग पूर्व में ही सूचित रहें। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि गवरी, होली जैसे पर्वों पर होने वाले विशेष पारम्परिक आयोजनों के वक्त भी इस तरह के महोत्सव पर विचार किया जा सकता है ताकि लोग उन अवसरों पर ही विशेष परम्पराओं को जान सकें।

इधर, कोटड़ा में प्रस्तावित दो बांधों को लेकर इस महोत्सव के ठीक पहले उठे विरोध के सुरों के सवाल पर कलेक्टर ने कहा कि तीन माह पहले बांध क्षेत्र के लोगों से बैठक की थी। जिला स्तरीय कमेटी के वे स्वयं अध्यक्ष हैं और वहां लगातार संवाद जारी है। सिंचाई मंत्री महेन्द्रजीत सिंह मालवीया और विभाग के मुख्य अभियंता को भी इस बारे में अवगत करा दिया गया है। इस विषय से महोत्सव पर किसी तरह का असर नहीं पड़ेगा, घर में मेहमान आ रहे हैं, इस बात को वे समझेंगे।

कोटड़ा में शाम 5 बजे बाद सफर करने की मनाही के बरसों से चले आ रहे मिथक के सवाल पर कलेक्टर ने कहा कि यह महज पूर्वाग्रह है। फिर भी स्थानीय थाना पुलिस की पेट्रोलिंग को बढ़ाकर इस आशंका को भी दूर किया जा सकता है।

हिन्दुस्थान समाचार/सुनीता कौशल

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