मिलेट्स को बढ़ावा देने जिला स्तरीय कार्यशाला आयोजित

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मिलेट्स को बढ़ावा देने जिला स्तरीय कार्यशाला आयोजित


कोटा, 26 दिसंबर (हि.स.)। राजस्थान को मिलेट्स के क्षेत्र में देश का अग्रणी राज्य बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए शुक्रवार को कोटा में जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। ‘मोटा अनाज—स्वस्थ जीवन का आधार’ विषय पर आयोजित यह कार्यशाला सूचना केंद्र, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग कार्यालय में हुई, जिसमें जिले के प्रगतिशील कृषकों, एफपीओ प्रतिनिधियों और मिलेट्स के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर रहे उद्यमियों सहित कुल 109 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

कार्यशाला की शुरुआत संयुक्त निदेशक कृषि (विस्तार) अतीश कुमार शर्मा ने की। उन्होंने कोटा जिले में मिलेट्स के क्षेत्रफल, उत्पादन तकनीक और भोजन में इसके महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष-2023 से प्रेरणा लेकर अब मिलेट्स की पोषण उपयोगिता, कम पानी में उत्पादन की क्षमता और कीट-रोगों से लड़ने की इसकी प्राकृतिक शक्ति को जन-जन तक पहुंचाना आवश्यक है। उन्होंने सभी से दैनिक भोजन की थाली में मिलेट्स को अधिक से अधिक शामिल करने की अपील की, जिससे रक्ताल्पता, पाचन संबंधी विकार और विभिन्न बीमारियों से बचाव संभव है।

अतिरिक्त निदेशक कृषि (विस्तार) अशोक कुमार शर्मा ने कोटा संभाग में मोटे अनाजों की वर्तमान स्थिति पर जानकारी दी और पश्चिमी राजस्थान की तरह इनके उपयोग को बढ़ावा देने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि मोटे अनाज हमारे पारंपरिक भोजन का हिस्सा रहे हैं, जिनके लाभ आज भी हमारे पूर्वजों के स्वस्थ जीवन में दिखाई देते हैं।

उप निदेशक उद्यान नंद बिहारी मालव ने मोटे अनाजों के प्रसंस्करण एवं उद्यान विभाग की योजनाओं की जानकारी दी। वहीं श्रीमती गुंजन सनाढ्य ने मिलेट्स से बनने वाले विभिन्न उत्पादों पर प्रस्तुति दी। कृषि विज्ञान केंद्र, कोटा के प्रधान वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष नीरज गौड़ ने मिलेट्स के उत्पादन एवं प्रसंस्करण की उन्नत तकनीकों के बारे में बताया।

कृषि अनुसंधान अधिकारी (शस्य) डॉ. नरेश कुमार शर्मा ने बताया कि बाजरा, जो मिलेट्स का प्रमुख हिस्सा है, उसमें चावल की तुलना में 10 गुना और गेहूं से 3.5 गुना अधिक ओमेगा-3 वसीय अम्ल तथा चावल से दोगुना जिंक पाया जाता है। मोटे अनाज पाचक रेशों से भरपूर होते हैं और इनका ग्लायसेमिक इंडेक्स कम होने से ये मोटापा, हृदय रोग और मधुमेह जैसी बीमारियों से बचाव में सहायक हैं। साथ ही इनके उत्पादन में कम पानी की आवश्यकता होती है और ये कीट व रोग प्रतिरोधी भी होते हैं।

कार्यशाला में उप निदेशक कृषि (आत्मा) श्रीमती रुचि वर्मा, उमा शंकर शर्मा, राजवीर सिंह, जुगल किशोर सहित बड़ी संख्या में कृषक एवं उद्यमी उपस्थित रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / रोहित

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