हिन्दी हाइकु की जन्मस्थली जोधपुर : डॉ. सुरक्षा वर्मा
जोधपुर, 01 दिसम्बर (हि.स.)। महिला पीजी महाविद्यालय और लोटस ब्लूम पब्लिकेशंस के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार को हाइकु पर कार्यक्रम आयोजन हुआ।
लोटस ब्लूम पब्लिकेशंस के सीईओ केबी व्यास ने बताया कि इस हाइकु कार्यक्रम में डा सत्यभूषण वर्मा की धर्मपत्नी सुरक्षा वर्मा भी उनके विशेष आग्रह पर जोधपुर आई। कार्यक्रम में डॉक्टर कैलाश कौशल एवं डॉक्टर कौशल उपाध्याय भी शामिल हुए।
डॉ सत्यभूषण वर्मा 2005 में ब्रह्मलीन हो गए थे और उन्हें 2002 में जापान का मात्सुयामा हाइकु पुरस्कार तथा 1996 में द आर्डर ऑफ़ द राइजिंग सन, गोल्ड रेज़ विद रोज़ेट का एंपरर ऑफ़ जापान से भी सम्मान भी प्राप्त हो चुका है। इन दोनों सम्मानों में उनकी धर्मपत्नी सुरक्षा वर्मा उनके साथ थीं। महिला पीजी महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. मनोरमा उपाध्याय ने बताया कि जापानी हाइकु जापानी भाषा से सीधा हिन्दी में अनुवाद डा सत्यभूषण वर्मा ने ही पहली बार किया। वे दोनों भाषाओं के विद्वान थे, वरना पहले तो जापानी भाषा से अंग्रेज़ी और फिर अंग्रेज़ी से हिन्दी में अनुवाद होता था, तो इस तरह से हाइकु लिखने वालों को यह मालूम ही नहीं था कि यह 5-7-5 अक्षर की विश्व की सबसे छोटी कविता है, और इसमें बहुत सघन भाव होता है इसीलिए इसे गागर में सागर की उपमा दी गई है।
एक और महत्वपूर्ण बात है कि 1971 से 1974 तक डा सत्यभूषण वर्मा जोधपुर विश्वविद्यालय में भी हिंदी के प्रोफ़ेसर रहे हैं जब डा नामवर सिंह हिन्दी में विभागाध्यक्ष थे। उसके बाद डॉ. वर्मा जेएनयू के जापानी भाषा के विभागाध्यक्ष बन के चले गए।
जोधपुर में भी जब वे थे तो जापानी भाषा की ईवनिंग क्लास लिया करते थे। उनकी धर्मपत्नी सुरक्षा वर्मा के अनुसार हिन्दी हाइकु की जन्मस्थली जोधपुर ही है क्योंकि डा वर्मा ने पहली बार हाइकु का जापानी भाषा से हिन्दी में अनुवाद जोधपुर में ही किया था। हिन्दी हाइकु आज भारत में बहुत अधिक प्रचलित है और हिन्दी में ही नहीं भारत की अन्य भाषाओं तथा बोलियों में भी हाइकु लिखे जाते हैं।
डा सत्य भूषण वर्मा ने 1980 में भारतीय हाइकु क्लब की भी स्थापना की थी। सीईओ केबी व्यास ने बताया कि कार्यक्रम इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि 4 दिसम्बर को डा सत्यभूषण वर्मा का 92वां जन्म दिवस है।
हिन्दुस्थान समाचार/सतीश/ईश्वर
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