श्राद्ध पक्ष शुरू, जलसरोवरों में किया तर्पण
-पहले दिन पूर्णिमा का श्राद्ध मनाया, सर्वपितृ अमावस्या दो को
जोधपुर, 17 सितम्बर (हि.स.)। भारतीय संस्कृति में दिवंगत पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति तथा उनके प्रति श्रद्धा से जुड़ा पर्व श्राद्ध मंगलवार को आरंभ हो गया। श्राद्ध पक्ष की शुरुआत इस बार अनंत चतुर्दशी के दिन मंगलवार से हुई है। आज प्रथम दिन पूर्णिमा का श्राद्ध मनाया गया। इस अवसर पर जलसरोवरों में पितरों का तर्पण किया गया। पितृपक्ष का समापन दो अक्टूबर को सर्वपितृ अमावस्या पर होगा और 3 अक्टूबर को नान श्राद्ध के साथ नवरात्रा की शुरुआत भी होगी।
सनातन धर्म के अनुसार मनुष्य पर तीन ऋण होते हैं, जो देव, ऋषि व पितृ ऋण है। श्राद्ध पक्ष के दौरान पिंडदान व तर्पण करने से पितृ ऋण चुकाने का फल मिलता है। इस समय विधि विधान से उनका श्राद्ध कर्म कर पितरों से आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है। पंडितों ने बताया कि जो तिथि मध्याह्न काल में स्पर्श करती है उस दिन श्राद्ध निकालने का विधान है। पूर्णिमा का श्राद्ध मंगलवार को मनाया गया। बुधवार को प्रतिपदा का श्राद्ध किया जाएगा। इस बार के श्राद्ध पक्ष में तिथियों का भुग्तभोग्य होने के कारण 27 को एकादशी और 29 को द्वादशी का श्राद्ध किया जाएगा। बता दे कि पितृ पक्ष में दिवंगत पूर्वजों की उनकी मृत्यु की तिथि के अनुसार श्राद्ध किया जाता है। अगर किसी मृत व्यक्ति की तिथि ज्ञात न हो तो ऐसी स्थिति में अमावस्या तिथि पर श्राद्ध किया जाता है। इस दिन सर्वपितृ श्राद्ध योग माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि भाद्रपद की पूर्णिमा से आश्विन अमावस्या तक चलने वाले पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म और तर्पण करने से पितरों को शांति और मुक्ति मिलेगी। इस दौरान लोग अपने पितरों की शांति के लिए श्रद्धानुसार दान दक्षिणा देकर ब्राह्मण भोज करवाते है।
-तर्पण की विशेष व्यवस्था
श्राद्ध के प्रथम दिन आज कई लोगों ने शहर के भीतरी क्षेत्र स्थित रानीसर-पदमसर, कायलाना, मिनका नाडी, गुलाब सागर सहित अन्य जलसरोवरों पर तर्पण किया। यहां तर्पण की विशेष व्यवस्था की गई है। पितरों के तर्पण को लेकर बड़ी संख्या में यहां लोग पहुंचे। शिवदत्त महाराज की तपोस्थली गड्डी में दत्तसरोवर पर गोपीकिशन बोड़ा व राजेन्द्र व्यास के आचार्यत्व में आज से तर्पण की व्यवस्था शुरू की गई। इसमें प्रथम पारी सुबह 6.30 बजे, द्वितीय पारी सुबह 7.15 बजे व तृतीय पारी सुबह 8 बजे से तर्पण कराया जाएगा। आश्रम की ओर से दत्त सरोवर पर तर्पण के लिए आवश्यक सामग्री उपलब्ध रहेगी।
-नहीं होंगे मांगलिक कार्य
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि पितरों के लिए समर्पित श्राद्ध पक्ष में कोई भी शुभ काम नहीं होता है। इस दौरान गृह प्रवेश, कानछेदन, मुंडन, शादी-विवाह नहीं कराए जाते हैं। इसके साथ ही इन दिनों में न कोई नया कपड़ा खरीदा जाता और न ही नया कपड़ा पहना जाता है। श्राद्ध पक्ष में पितरों के लिए हर दिन खाना निकाला जाता है। ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है। कौवों और गायों को रोटी खिलाई जाती है।
हिन्दुस्थान समाचार / सतीश
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