जवाहर कला केंद्र: कार्यशाला में सिखा रहे रूप सज्जा और मोलेला पॉटरी की बारीकियां
जयपुर, 27 फ़रवरी (हि.स.)। मुख्यमंत्री पर्यटन कौशल विकास कार्यक्रम के आलोक में युवाओं को पारम्परिक कलाओं के प्रशिक्षण देने के उद्देश्य से जवाहर कला केन्द्र में मंगलवार को मोलेला पॉटरी और रूप सज्जा कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर केन्द्र के कार्यवाहक अतिरिक्त महानिदेशक चेतन कुमार शर्मा, कार्यशाला प्रशिक्षक व कला अनुरागी मौजूद रहे।
रंगमंच के सन्दर्भ में रूप सज्जा कार्यशाला 2 मार्च तक सुबह 10 से सायं 5 बजे के बीच आयोजित की जाएगी। इसमें राजस्थान के वरिष्ठ रूप सज्जाकार राधेलाल बांका और नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के फैकल्टी प्रो. अरुण कुमार मलिक रंगकर्मियों को रूप सज्जा की बारीकियां बता रहे हैं। 16 प्रतिभागी रूप सज्जा का प्रशिक्षण ले रहे हैं।
राधेलाल बांका ने बताया कि रूप सज्जा रंगमंच का एक अहम हिस्सा है। नाटक बिना रूप सज्जा के अधूरा है। यह किरदार में जान डाल देता है। मेकअप में कई अलग-अलग वेरीएशन होते हैं। यही हम वर्कशॉप में प्रतिभागियों को सिखा रहे हैं। इससे ड्रामा व रूप सज्जा को लेकर प्रतिभागियों की सोच में बदलाव आएगा और वे नई जानकारी हासिल कर सकेंगे। प्रो. अरुण कुमार मलिक ने रंगमंच में रूप सज्जा की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला।
वहीं मोलेला पॉटरी कार्यशाला में अम्बालाल कुम्हार और राजमल गर्ग 15 प्रतिभागियों को गुर सीखा रहे हैं।
अम्बालाल ने इस कला की जानकारी देते हुए कहा कि यह हमारी पुश्तैनी कला है। इस कला के लिए राजसमंद के मोलेला गांव की खास मिट्टी का उपयोग करते हैं। हम यहां भी गांव के तालाब की मिट्टी लेकर आए हैं। यहां इस कला का प्रदर्शन प्रतिभागियों को हमारी जड़ों से रूबरू करवाने जैसा है। राजमल ने बताया कि मोलेला पॉटरी एक खास तरह की कला है, इसमें मिट्टी की मदद से देवी-देवाओं की मूर्तियां बनाई जाती हैँ। यह विश्व प्रसिद्ध कला है, जिनकी दुनिया भर में अपनी अलग पहचान है। यह कार्यशाला 1 मार्च तक प्रतिदिन दोपहर 12 से सायं 5 बजे तक ग्राफिक स्टूडियो 2 में कार्यशाला जारी रहेगी।
हिन्दुस्थान समाचार/ दिनेश/संदीप
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