जैसलमेर: कर्रा रोग से हो रही पशुओं की मौत, पशु चिकित्सा विभाग अलर्ट
जैसलमेर, 11 मई (हि.स.)। जिले में गर्मी के मौसम में मृत पशुओं के अवशेष व हड्डियां खाने के कारण दुधारू गायों के साथ ही अन्य पशुओं में कर्रा रोग (बोटुलिज्म) हो जाता है। इन दिनों जैसलमेर जिले में इस बीमारी से कई पशुओं की मौत हो रही है। संयुक्त निदेशक पशुपालन डॉ सुरेंद्र सिंह तंवर ने बताया कि कलेक्टर प्रताप सिंह के निर्देशानुसार पशुओं में संभावित फैलने वाले कर्रा रोग के इलाज के लिए पशुपालन विभाग द्वारा 17 मोबाइल वेटनरी टीमें लगा रखी हैं। ये मोबाइल पशु चिकित्सा टीम जहां से भी पशुओं में कर्रा रोग की सूचना मिलती है, वहां पर जाकर पशुओं का टीकाकरण एवं अन्य दवाइयां देकर इलाज कर रही है।
गौरतलब है कि इन दिनों जैसलमेर जिले में कर्रा रोग से सैकड़ों पशुओं की मौत हो चुकी है। पशु चिकित्सा विभाग के डॉ तंवर का कहना है कि कर्रा रोग होते ही गाय के आगे के पैर जकड़ जाते हैं और गाय चलना बंद कर देती है। मुंह से लार टपकती है और चारा खाना व पानी पीना भी बंद हो जाता है। कर्रा रोग लगने के 4 से 5 दिन में गाय की मौत हो जाती है। ज्यादातर गर्मियों में मृत पशुओं के अवशेष व हड्डियां खाने के कारण दुधारु गायों के साथ ही अन्य पशुओं में कर्रा रोग (बोटुलिज्म) हो जाता है।
डॉ. तंवर ने बताया कि पशुपालन विभाग कर्रा रोग के आवश्यक रोकथाम के लिए पूरी तरह सजग एवं सतर्क है और पशुधन के इलाज के लिए हर स्तर पर प्रयास कर रहा है। उन्होंने बताया कि इसके साथ ही पशुपालकों से भी पशुओं में कर्रा रोग के उपचार के लिए समय-समय पर अपील जारी कर उन्हें सलाह दी गई हैं कि वे अपने दुधारु गायों को बाड़े में बांध कर रखें। साथ ही कैल्शियम की कमी की पूर्ति के लिए मिनरल मिक्सचर व नमक दाले के साथ देने की सलाह दी गई है। इसके साथ ही मृत पशुओं को वैज्ञानिक पद्वति के अनुरुप चार दीवारी परिसर में गड्डा खोद कर उसको अच्छी तरह से दफनाने की भी सलाह दी गई है। कर्रा रोग के लिए पशुओं में प्राथमिक बचाव से ही इलाज संभव हो रहा है।
संयुक्त निदेशक पशुपालन ने बताया कि करीब 32 गांवों में कैंप लगाकर पशुओं का इलाज किया जा रहा है। मोबाइल वेटनरी पशु चिकित्सा टीम द्वारा किशनघाट, डाबला, दरबारी का गांव, बलिदाद की बस्ती, लोरडीसर, कोडियासर, कबीरपुरा, पांचे का तला, सदरासर, मावा, वीरमदेवरा, तेलिवाड़ा, सरदारसिंह की ढांणी, म्याजलार, मोढ़ा, गणेशपुरा, तनोट, मोकला, तेजरावा, नेहड़ाई तथा अभयनगर आदि गांवों में कैम्प लगाए जाकर कर्रा रोग के संबंध में पशुओं का टीकाकरण कर इलाज किया गया है। इस प्रकार कुल 32 जगह पर कैंप का आयोजन कर पशुओं का इलाज किया गया। वहीं पशुपालकों को पशुओं के कर्रा रोग के बचाव व आवश्यक उपायों के बारे में भी विस्तार से जानकारी देकर कर उन्हें जागरूक किया गया है।
हिन्दुस्थान समाचार/चन्द्रशेखर/संदीप
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