जयपुर एजुकेशन समिट:'कामयाब बनने के दबाव में बच्चे हो रहे जिंदगी जीने में नाकामयाब'

जयपुर एजुकेशन समिट:'कामयाब बनने के दबाव में बच्चे हो रहे जिंदगी जीने में नाकामयाब'
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जयपुर एजुकेशन समिट:'कामयाब बनने के दबाव में बच्चे हो रहे जिंदगी जीने में नाकामयाब'


जयपुर, 21 जनवरी (हि.स.)। 'डियर पापा, हमने आपकी एक बात नहीं सुनी तो आपने हमारी सुनना ही बंद कर दिया, इसलिए ये कदम उठाने जा रहा हूं/रही हूं..'सॉरी पापा'। यह केवल एक लाइन नहीं, बल्कि एक व्यथा है उन बच्चों की, जो किसी न किसी प्रेशर में आकर सुसाइड जैसा कदम उठा लेते हैं। जयपुर एजुकेशन समिट-2024 के दूसरे दिन रविवार को स्टूडेंट्स और खास तौर पर पेरेंट्स के लिए एक विशेष सेशन 'सॉरी पापा' रखा गया, इसमें लगातार बढ़ रहे स्टूडेंट्स सुसाइड केस और ये घातक कदम उठाने से पहले लिखे लेटर को पढ़कर बच्चों के मन में चल रहे अंतर्द्वंद को सामने रखा गया।

इस विशेष सेशन में डॉ.शिव गौतम, रमन कांत शर्मा और सुनील नारनौलिया ने आधुनिक दौर को महत्वाकांक्षा और उम्मीदों का दौर बताया। उन्होंने बताया कि माता पिता बच्चों को अपने हिसाब से चलाना चाहते हैं और बच्चे हजारों की भीड़ में भी अपने आपको अकेला पाते हैं और अपनी व्यथा नहीं बता पाते। बच्चे माता-पिता और समाज का प्रेशर नहीं झेल पाते हैं भीड़ से पीछे रहने का डर ही उन्हें तनाव में रखता है और इसी नाकामी के डर से वे सुसाइड कर कर लेते हैं। बताया गया कि हर माह औसतन 4 से 5 बच्चे सुसाइड कर रहे हैं, सेशन में बच्चों के लक्ष्य को जानने और उन्हें मोटिवेट करने पर जोर दिया गया। इस मौके पर सुबोध लॉ कॉलेज के प्रधानाचार्य प्रो.गौरव कटारिया, राजस्थान पाठ्य पुस्तक मंडल सचिव विनोद पुरोहित, आर्य ग्रुप ऑफ कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. शैलेंद्र शुक्ला, डॉ. राकेश कुमार और मिशन फार्मर साइंटिस्ट परिवार के फाउंडर डॉ.महेंद्र मधुप मौजूद रहे।

'मोरल वैल्यूज ऑफ नेक्स्ट जनरेशन' में डॉ.वर्तिका अरोड़ा और राजस्थान हाईकोर्ट में एडवोकेट इंद्रजीत कौर ने बच्चों को लाइफ में मोरल वेल्यूज के बारे में बताया। इंद्रजीत कौर ने कहा कि मोरल वैल्यूज, संस्कार, अनुशासन घर से मिलता है। आज की जनरेशन इन सभी से दूर होती जा रही है। स्ट्रेस इसका नतीजा है। ऐसे में आज की पीढ़ी को थोड़ा पुराना होना पड़ेगा। एजुकेटर्स और पेरेंट्स की इसमें प्रमुख भूमिका है जो बच्चों को पॉजिटिव माइंडसेट दे सकते हैं।

'कॉन्स्टिट्यूशन मोरैलिटी' सेशन में डॉ.आर. एस. सोलंकी, डॉ.संजुला तनवी और डॉ.आरती शर्मा ने पैनल डिस्कशन में संविधान और संवैधानिक नैतिकता में अंतर और संवैधानिक नैतिकता को बनाए रखने में न्यायपालिका की भूमिका को समझाया।

जयपुर एजुकेशन समिट के दूसरे दिन 'ऑनलाइन गेमिंग एंड एजुकेशन' सेशन में सीपीजी ग्रुप के फाउंडर हर्षित वर्मा ने ऑनलाइन गेमिंग में करियर की संभावनाओं को बताया। वहीं 'शिक्षा और नवाचार' में स्कूल शिक्षा के प्रमुख शासन सचिव नवीन जैन ने प्रारंभिक शिक्षा की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि चीजों को आसान बनाना ही नवाचार है लेकिन आज क्रिएटिविटी की कमी के चलते बच्चे दौड़ में पिछड़ते जा रहे हैं। स्टूडेंट्स, टीचर्स, पेरेंट्स और कम्यूनिटी के चाहे बिना कोई भी इनोवेशन सफल नहीं हो सकता। हिंदी की जानी-मानी लेखिका एसो.प्रो. डॉ.प्रणु शुक्ला ने उनसे बातचीत की।

इसके बाद एस.एस.जैन सुबोध लॉ कॉलेज के स्टूडेंट्स ने लिव-इन-रिलेशनशिप पर डिबेट की। ओपन माइक में डिफेंस स्कूल की भूमिका सिंह, एमजीडी स्कूल की अनायशा शर्मा, अर्पणा, सुदीक्षा, नव्या शर्मा, अर्चना शर्मा, सेंट एडमंड्स के हेत्विक सिंह, वर्धमान इंटरनेशनल स्कूल की प्रतिष्ठा, काजल वर्मा, संस्कृत कॉलेज जैसलमेर से जगदीश सिंह चारण और बाड़मेर से आए दीपक खान ने दमदार प्रस्तुतियां दी।

हिन्दुस्थान समाचार/ दिनेश सैनी/ईश्वर

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