भीड़ तंत्र पैदा कर रहा जेलाें में अपराध, प्रशासन रोकने में नाकाम

भीड़ तंत्र पैदा कर रहा जेलाें में अपराध, प्रशासन रोकने में नाकाम
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भीड़ तंत्र पैदा कर रहा जेलाें में अपराध, प्रशासन रोकने में नाकाम


जयपुर, 29 जनवरी (हि.स.)। पुलिस की कथित नाकामी के चलते प्रदेश में लगातार अपराध में इजाफा हो रहा है। साथ ही जेल प्रशासन की अदूरदर्शिता के चलते अब प्रदेश की जेल भी अपराध का अड्डा बन गईं हैं। प्रदेश की नौ में से छह सेंट्रल जेल ओवरक्राउडिंग का शिकार हो रही है। वहीं एक जेल ऐसी भी है, जहां पर तय सीमा के 80 प्रतिशत ही कैदी मौजूद है। ओवरक्राउडिंग के चलते जेलों में लगातार अपराध पनपते जा रहे है। इसमें आपसी मारपीट, हत्या और कैदियों से उगाही जैसे अपराध शामिल है। जेल प्रशासन या सरकार समय रहते इस समस्या को दूर नहीं करती है तो आने वाले समय में जेलों की हालत और खराब हो जाएगी। जयपुर जेल में कई बार कैदियों के आपसी मारपीट के मामले सामने आ चुके है।

कोटा-जयपुर जेल पर सबसे ज्यादा मार

आंकडों पर नजर डाली जाए तो कोटा-जयपुर सेंट्रल जेल पर ओवरक्राउडिंग की सबसे ज्यादा मार है। खास बात यह भी है कि इन जेलों में नित नए अपराध भी लगातार सामने आ रहे है। मोबाइल व मादक पदार्थ मिलने के मामले में तो इन जेलों ने अपना एक रिकॉर्ड भी कायम कर लिया है। जेल विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार जयपुर सेंट्रल जेल में 1173 कैदियों को रखने की जगह है, लेकिन उसके स्थान पर 1587 कैदी जेल में रखे हुए है। सबसे ज्यादा हाल तो जयपुर जेल के ही खराब है। वहीं कोटा में 1009 कैदियों को रखने की जगह हैं, लेकिन उसके स्थान पर 1421 कैदी रखे हुए है। ऐसे में देखा जाएं तो कोटा में तय सीमा से 412 और जयपुर जेल में 414 कैदी अधिक रह रहे है। इसके अलावा अजमेर में 960 के स्थान पर 1004, श्रीगंगानगर में 560 के स्थान पर 641, उदयपुर में 910 के स्थान 1233 और जोधपुर में 1475 के स्थान पर 1600 कैदी रह रहे है। इन कैदियों में रहने, खाने पीने सहित अन्य सुविधाएं को लेकर आए दिन तकरार चलती रहती है। कई बार इन झगड़ों ने उग्र रूप भी लिया है। कैदियों ने इसकी शिकायत आलाधिकारियों तक भी कर रखी है। खास बात यह है कि जयपुर सेंट्रल जेल में पाकिस्तानी कैदियों के साथ कई खूंखार कैदी भी है तो कई आलाधिकारी भी इस जेल में सजा काट रहे है।

कम संख्या के साथ इन जेलों में अपराध भी कम

प्रदेश की तीन जेलों में तय सीमा से कम कैदी रह रहे है। ऐसे में इन जेलों में अपराध भी कम नजर आए है। खास बात यह है कि बीकानेर जेल में तो तय सीमा से करीब 80 फीसदी कैदी ही रह रहे है। आंकडों पर नजर डाली जाएं तो अलवर में 1172 कैदियों के स्थान पर 860, बीकानेर में 1200 के स्थान पर 760 और भरतपुर में 825 के स्थान पर 622 कैदी रह रहे है। पूर्व में अजमेर और अलवर जेल में बंदियों की उगाही का खेल सामने आ चुका है। इन मामलों में पुराने बंदियों का हाथ सामने आ रहा है।

ओवरक्राउंडिग में सबसे ज्यादा संख्या अंडर ट्रायल कैदी शामिल

खास बात यह है जिन भी जेलों मे ओवरक्राउंडिंग सामने आई है वहां पर सजायाफ्ता कैदियों की बजाय अंडरट्रायल के कैदी सबसे ज्यादा है। जयपुर सेंट्रल जेल में 1587 में से 1181, अजमेर में 1007 में से 637, जोधपुर में 1600 में से 1244, कोटा में 1421 में से 804 और उदयपुर में 1233 में से 668 कैदी अंडरट्रायल के है। खूंखार कैदियों के बीच रहकर नए कैदी भी अपराध की सीखने के साथ इस दलदल में धंसते चले जाते है।

इस संबंध में आईजी जेल विक्रम सिंह ने बताया कि जेल में भीड़ कम करने का काम कानून का है। इसके अलावा जेल प्रशासन भी सुधार करने का काम कर रहा है। बहुत ज्यादा भीड़ होने पर कैदियों को दूसरी जेल में शिफ्ट किया जाता है लेकिन शिफ्ट करने के कारण कैदी की सुनवाई और परिजनों को उनसे मिलने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसी वजह से कैदियों को दूसरी जेल में शिफ्ट करने से बचा जाता है। कई बार कैदी को दूसरी जेल में शिफ्ट करने के कारण कोर्ट की फटकार भी झेलनी पड़ती है।

हिन्दुस्थान समाचार/राजेश/संदीप

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