देश के हर जिले में होगा इतिहास संकलन समिति का गठन - बोहरा

देश के हर जिले में होगा इतिहास संकलन समिति का गठन - बोहरा
WhatsApp Channel Join Now
देश के हर जिले में होगा इतिहास संकलन समिति का गठन - बोहरा


देश के हर जिले में होगा इतिहास संकलन समिति का गठन - बोहरा


उदयपुर, 05 फरवरी (हि.स.)। इतिहास संकलन समिति देश के हर जिले में समिति का गठन करेगी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के शताब्दी वर्ष 2025 से पूर्व इस कार्य को सम्पन्न करने का संकल्प लिया गया है। इसके साथ ही समिति में आजीवन सदस्यों की संख्या बढ़ाने तथा देश भर में अधिक से अधिक महाविद्यालयों-विश्वविद्यालयों को इतिहास संकलन योजना से सम्बद्ध करने का भी निर्णय किया गया है।

यह जानकारी इतिहास संकलन समिति राजस्थान क्षेत्र के संगठन सचिव छगनलाल बोहरा ने सोमवार को दी। बोहरा ने 4 फरवरी को जयपुर में हुई राजस्थान क्षेत्र की बैठक से लौटकर बताया कि इस बैठक में राजस्थान के सभी 33 जिलों में आगामी तीन माह में इतिहास संकलन समिति की जिला इकाई के गठन का निर्णय किया गया। जहां इकाई मौजूद है उसे सशक्त करने, जहां निष्क्रिय है उसे सक्रिय करने और जहां नहीं हैं, वहां नए कार्यकर्ताओं की टोली बनाकर इकाई का गठन करने का कार्य किया जाएगा। वर्ष में एक बार इतिहास दिवस मनाने, हर माह विषय निर्धारण कर मासिक गोष्ठी करने, हर जिले में एक वर्ष में एक शोध पुस्तक के प्रकाशन, हर जिले में कम से कम 50 आजीवन सदस्य बनाने और युवा इतिहासविदों को जोड़ने का लक्ष्य भी तय किया गया।

बोहरा ने बताया कि क्षेत्रीय बैठक में उपस्थित इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय संगठन सचिव बालमुकुंद पाण्डे ने आह्वान किया कि जनमानस तक भारतीय दृष्टिकोण से लिखा गया इतिहास पहुंचाने के लिए देश के इतिहासकारों को परिश्रम करना होगा। यूरोप की दृष्टि के इतिहासकारों का लिखा इतिहास पढ़ेंगे तो उसमें भगतसिंह आतंकवादी नजर आएंगे, जबकि भारतीय दृष्टिकोण में भगतसिंह भारत माता की स्वाधीनता के लिए बलिदान हुए क्रांतिवीर हैं। उन्होंने कहा कि धर्म-संस्कृति से लेकर भौगोलिक-राजनीतिक इतिहास में यूरोपीय दृष्टि ने हमारे गौरवपूर्ण व वैज्ञानिक तर्कपूर्ण तथ्यों को दबा दिया। इस विदेशी दृष्टिकोण से इतिहास को पढ़ने-पढ़ाने वालों को भारतीय दृष्टिकोण के इतिहास से परिचित कराने के लिए इतिहास संकलन समिति से जुड़े प्रत्येक इतिहासविद, प्रत्येक युवा को तथ्यपरक कठोर परिश्रम करना होगा। शोधकार्यों में प्रामाणिकता, मौलिकता को बढ़ावा देना होगा। पुस्तक लिखते समय भारतीय चैतन्यता को ध्यान में रखना होगा। भारत में अब तक आक्रमणकारियों का इतिहास पढ़ाया जाता रहा है और इससे पूर्व और पश्चात के गौरव, वैभव, संघर्ष और प्रतिरोध का इतिहास नहीं पढ़ाया गया है।

बैठक में राष्ट्रीय सचिव हेमंत धींग मजूमदार ने कहा कि भारतीय इतिहास के गौरवशाली तथ्यों को आमजन तक भी पहुंचाने की आवश्यकता है। आमजन के बीच भारत के ऐतिहासिक तथ्यों को लेकर अब तक पनपे असमंजस को दूर करने के लिए प्रिंट, डिजिटल सहित विभिन्न माध्यमों का उपयोग कर जानकारी प्रसारित करनी होगी। उन्होंने कहा कि भारतीय वेद-उपनिषद-पुराण भारत के इतिहास के मुख्य स्रोत हैं, लेकिन वे संस्कृत में हैं। उन तक पहुंच कम हो इसलिए कालांतर में संस्कृत को ही दबाया गया, यूरोपियन इतिहासकारों ने इनका अनुवाद अपने दृष्टिकोण से किया, हमें संस्कृत का अध्ययन भी बढ़ाना होगा और भारतीय दृष्टिकोण से इनका अनुवाद करना होगा। जब गहराई में जाएंगे तो हमारे वेद-उपनिषद-पुराण सम्पूर्ण विश्व के ज्ञान भण्डार के जनक साबित होंगे।

बैठक में राजस्थान क्षेत्र के पूर्व क्षेत्रीय अध्यक्ष प्रो. केएस गुप्ता के निधनोपरांत रिक्त हुए अध्यक्ष पद के लिए राष्ट्रीय संगठन सचिव बालमुकुंद पाण्डे ने वरिष्ठ इतिहासविद मोहनलाल साहू का नाम प्रस्तावित किया जिसे सर्वसम्मति से पारित करते हुए उन्हें राजस्थान क्षेत्रीय अध्यक्ष पद पर मनोनीत किया गया।

बैठक में राष्ट्रीय स्वयंसवेक संघ के पूर्व क्षेत्र कार्यवाह हनुमान सिंह राठौड़, इतिहास संकलन समिति राजस्थान क्षेत्र के सह संगठन सचिव राकेश शर्मा ने भी विचार रखे। बैठक में राजस्थान की तीनों प्रांत इकाइयों जोधपुर, जयपुर व चित्तौड़ से बड़ी संख्या में पदाधिकारी व कार्यकर्ता शामिल हुए।

हिंदुस्थान समाचार/सुनीता कौशल/ईश्वर

हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्‍वाइन करने के लि‍ये  यहां क्‍लि‍क करें, साथ ही लेटेस्‍ट हि‍न्‍दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लि‍ये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लि‍ये  यहां क्लिक करें।

Share this story