गुलाबी ठंड के साथ पुष्कर के रेतीले धोरों में चहल पहल लगी बढऩे
अजमेर, 8 नवम्बर(हि.स)। अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पुष्कर पशु मेला शुरू होने में चंद दिन शेष रह गये है। इसी के साथ पुष्कर के रेतीले धोरों में चहल पहल बढऩे लगी है। पशुपालकों द्वारा ऊटों व अश्वों के आवागमन के लिए तैयारियां की जा रही हैं वहीं मेलार्थियों के लिए विभिन्न विभागों समेत मेले से जुड़े व्यवसायी तैयारियों को अंतिम रूप दे रहे हैं।
पुष्कर का अंतरराष्ट्रीय स्तर का पशु मेला आगामी 14 से 27 नवंबर तक आयोजित होगा। इस दौरान पशुपालन विभाग द्वारा पशु व पशुपालकों के लिए विभिन्न प्रतियोगिताएं एवं कार्यक्रम तथा पर्यटन विभाग की ओर से मेले में आने वाले देशी व विदेशी पर्यटकों के लिए विभिन्न सांस्कृतिक एवं रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे। इधर, देवस्थान विभाग की ओर से अभी कार्यक्रमों की सूची जारी नहीं की गई है। वहीं जिला एवं उपखंड प्रशासन व पुलिस द्वारा भी तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इसके अलावा मेला क्षेत्र में खाने-पीने, खरीदारी समेत कई अस्थाई दुकानें सजने लगी हैं।
गगन चुंभी झूले छूने लगे आसमान
पुष्कर मेले में आने वाले मेलार्थियों के मनोरंजन के लिए मेला मैदान में दूर दराज से आये झूले-चकरी व सर्कस संचालकों ने अपने अपने स्थान चिह्नित कर तैयारियों को अंतिम रूप दे रहे है। इधर, कई गगन चुंभी झूलों ने अपना पूर्ण आकार रूप ले लिया है। इसके अलावा मेला क्षेत्र में चकरी, सर्कस, छोटे झूले भी लगने लगे हैं। जिससे मेला क्षेत्र की रौनक अलग ही दिखने लगी है।
रेतीलें धोरों में ऊंटों की चहल पहल बढ़ी
पुष्कर के रेतीले धोरों में राज्य पशु ऊंटों की चहल पहल बढ़ गई। ऊंट पालक अपने अपने ऊंटों को लेकर मेला क्षेत्र में आने लगे हैं। कई पर्यटक ऊट सफारी का भी लुत्फ उठा रहे हैं। बता दे कि पुष्कर मेले के दौरान पशुओं में सबसे ज्यादा ऊटों की ही संख्या देखी जाती है।
अश्वों के अस्तबल भी होने लगे तैयार
पुष्कर मेले में बीते कुछ वर्षो से अश्वों का व्यापार एवं आवागमन बढ़ रहा है। मेले में राजस्थान, हरियाणा, पंजाब समेत अन्य राज्यों से अश्व पालक अपने अश्वों को लेकर पहुंचते हैं। मेले में अन्य पशुओं के बजाय अश्वों के अस्तबल काफी व्यवस्थित रहते हैं। तथा यहीं अस्थाई आलीशान टेंट बनाकर अश्व पालक रहते हैं। इसी को लेकर इन दिनों अश्व पालक मेला क्षेत्र में अश्वों के ठहरने के लिए टेंटों का निर्माण करवा रहे हैं। ज्ञात रहे कि मेले में एक-एक अश्व की लाखों रुपयों में बिक्री होती है। यहां विभिन्न नस्लों के अश्व बिकने के लिए आते हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/संतोष/ईश्वर
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