भीलवाड़ा में 330 करोड वर्ष पुरानी चट्टानों का निरीक्षण

भीलवाड़ा में 330 करोड वर्ष पुरानी चट्टानों का निरीक्षण
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भीलवाड़ा में 330 करोड वर्ष पुरानी चट्टानों का निरीक्षण


भीलवाड़ा में 330 करोड वर्ष पुरानी चट्टानों का निरीक्षण


भीलवाड़ा, 7 अप्रैल (हि.स.)। भू-विज्ञान विभाग, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय द्वारा विश्व भू-वैज्ञानिक दिवस के अवसर पर रविवार को भू-वैज्ञानिक फील्ड विजिट का आयोजन किया गया।

जलधारा विकास संस्थान के अध्यक्ष महेश नवहाल ने बताया कि संगम यूनिवर्सिटी में कार्यरत डॉ केके शर्मा, जिंदल सॉ लिमिटेड में कार्यरत दिवाकर अरोड़ा एवं रिटायर्ड खान एवं भू-विज्ञान वैज्ञानिक फारूक द्वारा शोधार्थियों को भीलवाड़ा क्षेत्र की प्राचीन चट्टानों के अध्ययन के साथ ही उसमें उपस्थित भू-संपदा की जानकारी भी प्रदान की गई।

शैक्षणिक भ्रमण में हाल ही में शोध की गई 3.3जीए अर्थात 330 करोड़ साल पुरानी चट्टानों का अवलोकन किया तथा वहां पर स्थित कॉपर और आयरन की एन्सिएंट माइनिंग साइट्स का विजिट भी किया। पुरातत्व काल की ऐसी साइट्स का निरीक्षण एवं अध्ययन किया जहां पर पुरातत्व काल के मानव द्वारा उच्च ताप एवं दाब की चट्टानों के साथ गट्टी निर्माण का कार्य किया गया था। लांबिया में स्थित लोह खनिज की ओपनकास्ट खदान जो कि जिंदल सॉ लिमिटेड द्वारा चलाई जा रही है, का भी भूवैज्ञानिक अवलोकन किया गया।

रिटायर्ड प्रो हर्ष भू, डॉ एमएल नागोरी, जियोलोजी अल्युमिनी सोसाइटी के सेक्रेटरी डॉ सुनील वशिष्ठ, विभागाध्यक्ष भू-विज्ञान विभाग डॉ रितेश पुरोहित, संकाय सदस्य अखिल द्विवेदी, डॉ माया चैधरी, डॉ हरीश कपासिया, डॉ रजनीकांत पाटीदार, डॉ निरंजन मोहंती, नेहा राड़ एवं सभी शोधार्थिगण इस फील्ड विजिट का हिस्सा रहे। अंतरराष्ट्रीय भू-वैज्ञानिक दिवस भूवैज्ञानिकों द्वारा भू-विज्ञान विभाग मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के संयोजन मे सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। जलधारा विकास संस्थान ने इन प्राचीन भू आकृतियों के संरक्षण की मांग लगातार उठाई है। ये प्राचीन भू संरचनायें प्रकृति प्रदत्त धरोहर के साथ साथ अति प्राचीन मानव जीवन के बसाव के साक्ष्य है। जिनके संरक्षण की अतीव आवश्यकता है। साध ही इनके लिये जन जागृति की आवश्यकता है। यह शैक्षणिक व प्रिहिस्टोरिक महत्व के स्थल है। यह पर्यटन बढाने में भी महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकते है ।

जलधारा विकास संस्थान के लगातार प्रयत्नों से ये स्थल प्रकाश में आये है, जिसके फलस्वरूप शैक्षणिक जगत के ध्यान में यह आया है जिसके परिणाम स्वरूप राष्ट्रीय स्तर के वैज्ञानिकों के दल ने इसका भ्रमण किया है। सुप्रसिद्ध भू वैज्ञानिक के के शर्मा ने जलधारा विकास संस्थान के संरक्षण प्रयत्नों की प्रशंसा की एवम् इस के लिए आभार व्यक्त किया।

हिन्दुस्थान समाचार/मूलचन्द/संदीप

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