सैकड़ो बच्चें कैंसर मुक्त होकर बिता रहे सामान्य जीवन

सैकड़ो बच्चें कैंसर मुक्त होकर बिता रहे सामान्य जीवन
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सैकड़ो बच्चें कैंसर मुक्त होकर बिता रहे सामान्य जीवन


जयपुर, 15 फ़रवरी (हि.स.)। दस साल के रोहित को रक्त कैंसर की पहचान हुई। झुंझुनू में बेलदारी करने वाले रोहित के पिता राधेश्याम को एक ही चिंता सता रही थी, कैंसर के उपचार के लिए पैसा कहा से आएंगा, लेकिन जब उन्हें अपने चिकित्सक से पता चला कि इसका उपचार निशुल्क होगा तो उन्हें राहत की सांस आई। चार साल तक उपचार के बाद रोहित कैंसर मुक्त हो गया। आज रोहित 20 साल का है और क्रिकेट का एक बेहतरीन प्लेयर भी। रोहित जैसे ही सैकड़ों बच्चे आज भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल की जीवनदान परियोजना के तहत उपचार लेकर कैंसर को मात दे चुके है।

बीएमसीएच के ब्लड कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ उपेन्द्र शर्मा ने बताया कि बच्चों में कई तरह के ब्लड कैंसर होते हैं, जिसकी शुरूआती स्तर में उपचार की शुरूआत करके उन्हें पूर्ण रूप से स्वस्थ किया जा सकता है। उपचार पूर्ण होकर स्वस्थ जीवन जी रहे सैकड़ो बच्चे सामान्य जांच के लिए चिकित्साल्य में आते हैं जो अन्य बच्चों की तरह ही फिजिकल एक्टिविटी में भी पूर्ण रूप से एक्टिव होते हैं।

डॉ उपेन्द्र शर्मा ने बताया कि बीएमसीएच में बच्चों के कैंसर से जुड़ी दो परीयोजनाएं चलाई जा रही है, जिसके तहत बच्चों का निःशुल्क उपचार किया जाता है। जिसमें जीवनदान परियोजना की शुरूआत के तहत लो रिस्क वाले तीन तरह के ब्लड कैंसर एक्यूट लिम्फोब्लॉस्टिक ल्यूकीमिया (एएलएल), एक्यूट प्रोमाईलोसाईटिक ल्यूकीमियां (एएमपीएल), होजकिन्स लिम्फोमा (एचएल) शामिल है। अगस्त 2014 से दिसंबर 2023 तक इस योजना में 8.02 करोड रुपये की लागत से 236 बच्चों को उपचार दिया जा रहा है। जिनमें से 168 बच्चे कैंसर मुक्त होकर सामान्य जीवन जी रहे है। इसी के साथ किडनी कैंसर से पीड़ित बच्चों के लिए विल्मस टयूम नाम से परियोजना चल रही है। मई 2016 में शुरू हुई इस परियोजना के तहत अब तक 16 बच्चे रजिस्टर्ड हुए जिन्हें 26.32 लाख रुपये की लागत का उपचार देकर सभी बच्चों को कैंसर मुक्त किया जा चुका है।

कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ ताराचंद गुप्ता ने बताया कि बच्चों में भी कैंसर के केसेज काफी तेजी से बढ़ रहे है। देश में हर साल 4 लाख से ज्यादा बच्चे इस बीमारी की शिकार हो रहे हैं। वैसे तो बच्चों में होने वाले कैंसर के केस में सर्वाइवल रेट काफी अच्छा होता है, लेकिन जागरूकता की कमी के चलते आज भी बच्चों का उपचार समय पर शुरू नहीं हो पाता, जिसकी वजह से बच्चों में सर्वाइवल रेट 30 फीसदी तक ही रह जाता है।

डॉ गुप्ता ने बताया कि बच्चों में कई तरह के कैंसर होते हैं, जिनके शुरुआती लक्षण अलग-अलग होते हैं। जिनमें बार-बार बुखार आना, एनीमिया का उपचार लेने के बाद भी ठीक ना होना, शरीर पर गांठ का उभरना शामिल है। बच्चों में कोई भी असमान्य लक्षण उपचार के बाद भी लम्बे समय तक ठीक ना हो तो उसमें कैंसर विशेषज्ञ से एक जांच अवश्य करवानी चाहिए।

हिन्दुस्थान समाचार/ दिनेश/संदीप

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