दिव्यता, पवित्रता और सादगी की मिसाल था दादी का जीवन : राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी
सिरोही, 11 मार्च (हि.स.)। ब्रह्माकुमारी संस्थान की पूर्व मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी हृदयमोहिनी (गुलजार दादी) की तृतीय पुण्यतिथि सोमवार को दिव्यता दिवस के रूप में मनाई गई। दादी की याद में बने अव्यक्त लोक पर मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी, अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी मोहिनी दीदी, संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी मुन्नी दीदी व अन्य वरिष्ठ भाई-बहनों ने पुष्पांजली अर्पित की। इसके बाद देशभर से आए लोगों ने पुष्पांजली अर्पित कर दादी की शिक्षाओं को याद किया। अलसुबह से लेकर रात तक विशेष योग-तपस्या को दौर जारी रहा।
डायमंड हाल में आयोजित कार्यक्रम में राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी ने कहा कि दादी का जीवन दिव्यता, पवित्रता और सादगी की मिसाल था। दादी को बचपन से विशेष दिव्य दृष्टि का वरदान प्राप्त था। दादी ने बचपन से लेकर जीवन की आखिरी सांस मानव सेवा, विश्व कल्याण और परमात्म संदेश को जन-जन तक पहुंचाने में लगा दी। अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी मोहिनी दीदी ने कहा कि दादीजी का स्वभाव बचपन से ही शांत और गंभीर था। वह योग की प्रतिमूर्ति थीं। वह दिन-रात योग में ही मग्न रहती थीं। उन्होंने खुद को योग-तपस्या से इतना मजबूत, सशक्त और शक्तिशाली बना लिया था कि उन्हें बीमारी में दर्द का अहसास नहीं होता था। दादीजी को बचपन में ही वरदान मिल गया था कि यह बच्ची आगे चलकर लाखों लोगों के जीवन को बदलने के निमित्त बनेंगी। दादीजी के जीवन का मूलमंत्र था कि पवित्रता और सादगी जीवन का सर्वश्रेष्ठ शृंगार है।
महासचिव बीके निर्वैर भाई ने कहा कि दादीजी को दिव्य बुद्धि का वरदान मिला हुआ था। उन्होंने 50 साल तक लाखों लोगों को परमात्म संदेशवाहक बनकर ईश्वरीय अनुभूति कराई। दादी का जीवन आदर्श जीवन था। उन्होंने अपने जीवन से लाखों लोगों को प्रेरणा दी। अतिरिक्त महासचिव बीके बृजमोहन ने कहा कि दादी की शिक्षाएं आज भी हम सभी का मार्गदर्शन करती हैं। संयुक्त मुख्य प्रशासिका बीके मुन्नी दीदी ने कहा कि दादीजी का पूरा जीवन ही मिसाल था। वह अपने कर्मों से शिक्षा देती थीं। इस मौके पर संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके स्वदेश दीदी, मीडिया निदेशक बीके करुणा, गुरुग्राम ओआरसी की निदेशिका बीके आशा दीदी, दिल्ली की बीके पुष्पा दीदी सहित अन्य वरिष्ठ भाई-बहनों ने भी अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए। कार्यक्रम में देशभर से आए बड़ी संख्या में लौग मौजूद रहे।
राजयोगिनी दादी हृदयमोहिनी का 11 मार्च 2021 को देवलोकगमन हो गया था। उनकी याद में बने अव्यक्त लोक में उनके जीवन की शिक्षाओं को अंकित किया गया है। 27 मार्च 2020 में ब्रह्माकुमारीज़ की मुखिया राजयोगिनी दादी जानकी के महाप्रयाण के बाद राजयोगिनी दादी हृदयमोहिनी मुख्य प्रशासिका बनीं थीं। दादी हृदयमोहिनी को सभी प्यार से गुलजार दादी भी कहते थे।
हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/ईश्वर
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