नव संवत्सर के साथ ही चैत्र नवरात्रि शुरू : सीकर के जीण माता और कैलादेवी के चैत्र लक्खी मेले में उमड़ रहे श्रद्धालु

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नव संवत्सर के साथ ही चैत्र नवरात्रि शुरू : सीकर के जीण माता और कैलादेवी के चैत्र लक्खी मेले में उमड़ रहे श्रद्धालु


नव संवत्सर के साथ ही चैत्र नवरात्रि शुरू : सीकर के जीण माता और कैलादेवी के चैत्र लक्खी मेले में उमड़ रहे श्रद्धालु


जयपुर, 9 अप्रैल (हि.स.)। चैत्र नवरात्रि के अवसर पर प्रदेश के सभी जिलों में लोगों ने सवेरे शुभ मुहुर्त में घरों में घट स्थापना की। लोगों ने मां शक्ति की विशेष आराधना कर सुख समृद्धि की कामना की। इसके साथ ही सवेरे से ही मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ रही। प्रमुख देवी मंदिरों में श्रद्धालुओं ने दर्शन कर मन्नतें मांगी। अब नौ दिन तक घरों और मंदिरों में प्रतिदिन मां के विभिन्न रुपों की पूजा होगी। खास बात यह है कि नवरात्रि इस बार पूरे नौ दिन रहेगी। इस साल नवरात्रि के पहले दिन सिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग समेत कई अद्भुत संयोग बन रहे हैं। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों के पूजा के साथ उन्हें नौ दिनों तक विशेष चीजों का भोग लगा सकते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती है और धन, सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती है।

पांच साल के बाद ऐसा हो रहा है कि चैत्र के नवरात्रि में घट स्थापना सवेरे नहीं होकर दोपहर में हुई। घट स्थापना का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त सवेरे का ही रहता है, लेकिन कुछ ग्रह-नक्षत्रों के कारण इस बार स्थापना का समय दोपहर में रहा। आज से ही हिंदी नव संवत्सर 2081 भी शुरू हुआ है। जयपुर के आमेर स्थित शिला माता मंदिर में भी घट स्थापना दोपहर बारह बजकर पांच मिनट पर हुई। आज से शुरू होने वाले चैत्र नवरात्रि 17 अप्रैल को पूर्ण होंगे। ज्योतिषाचार्य का कहना है कि अब नौ दिन में माता के अलग अलग रूप और स्वरूप की पूजा होगी। आज का दिन इसलिए भी शुभ रहा क्योंकि आज एक साथ तीन राजयोग बने।

सीकर में जीण माता का चैत्र नवरात्रि मेला मंगलवार से शुरू हो गया। मेला 17 अप्रैल तक चलेगा। पहले नवरात्र पर पहले दिन जीण माता को चेन्नई से तैयार कराई गई सोने और चांदी की वर्क की विशेष पोशाक पहनाई गई। नवरात्रि की शुरुआत के साथ ही सुबह जीण भवानी का अभिषेक किया गया। इसके बाद स्पेशल सिंदूर से माता का तिलकार्चन हुआ। माता की महाआरती की गई। आरती के बाद जीण भवानी को फलों व मेवों का भोग लगाया गया। मंदिर के पुजारी श्याम पाराशर ने बताया कि नौ दिवसीय चैत्र नवरात्र मेले में कोलकाता से मंगवाए गए रंग-बिरंगे विशेष फूलों से माता की प्रतिमा का भव्य श्रृंगार किया जाएगा। पहले नवरात्र को माता की शैलपुत्री के रूप में पूजा की जा रही है। व्यवस्थाओं के मध्य नजर मेला मजिस्ट्रेट एसडीएम गोविंद सिंह भींचर ने पुलिस प्रशासन के साथ व्यवस्थाओं का जायजा लिया और मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारियों से चर्चा की। मेला परिसर में जाम की समस्या को देखते हुए इस बार जीण माता में 50 बीघा में पार्किंग की व्यवस्था की गई है। ग्राम पंचायत ने मेले में 60 अस्थाई दुकानें आवंटित की है। मेले में सुरक्षा के मददेनजर 400 पुलिस के जवान तैनात किए गए हैं। इसके साथ ही मेला ट्रस्ट, पुलिस प्रशासन व ग्राम पंचायत ने मेला परिसर, मंदिर परिसर, पुलिस थाना व अलग-अलग स्थानों पर 100 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं।

उत्तर भारत के प्रमुख आस्था धाम कैलादेवी में कैला देवी का चैत्र लक्खी मेला शुरू हो गया। देशभर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन करने पहुंच रहे हैं। पूरे क्षेत्र में लांगुरिया गीत तथा माता के जयकारे गूंज रहे हैं। मेले में भोग-प्रसाद की दुकानों के अलावा खिलौने, सिंदूर, चूड़ी सहित अन्य दुकानें सज गई हैं। वहीं, कस्बे की 500 से अधिक होटल-धर्मशालाएं श्रद्धालुओं से भर गईं हैं। करीब 20 दिन तक चलने वाले कैला देवी मेले में 40 से 50 लाख श्रद्धालु शिरकत करेंगे। मेले में राजस्थान सहित उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली सहित विभिन्न स्थानों से श्रद्धालु माता की जात करने आते हैं। चैत्र लक्खी मेले को लेकर श्री कैलादेवी मंदिर ट्रस्ट की ओर से भी वृहद स्तर पर तैयारियां की गई हैं। मंदिर ट्रस्ट कार्यकारी अधिकारी किशनपाल जादौन, मुख्य प्रबंधक विवेक द्विवेदी, प्रबंधक प्रशासन चन्द्रकांत कुड़तकर, मेला अधिकारी संतोष सिंह एडवोकेट ने बताया कि चैत्र लक्खी मेले में कैलामाता के दर्शनों का समय प्रात: चार से रात्रि नौ बजे तक निरंतर रहेगा। भीड़ अधिक होगी तो दर्शन समय रात्रि 10 बजे तक बढ़ाए जाएंगे।

सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर मंदिर ट्रस्ट की ओर से 350 सुरक्षाकर्मी, अस्थायी गार्ड लगाने के साथ ही मेला क्षेत्र में 305 सीसीटीवी कैमरों से व्यवस्थाओं पर नजर रखी जा रही है। मंदिर ट्रस्ट के कार्यकारी अधिकारी किशनपाल जादौन ने बताया कि माता के दर्शनों के लिए रैलिंग में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को शीतलता प्रदान करने के लिए पाइप लाइन से केवड़ा मिश्रित गंगाजल दर्शनार्थियों पर फुहारों के रूप में छिड़का जा रहा है। इस बार मंदिर ट्रस्ट ने स्वयं के स्तर पर नियंत्रित भोग-प्रसाद की 70 दुकानों का संचालन शुरू किया है।

हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/ईश्वर

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