गणगौर महोत्सवः छोटे-छोटे बच्चों को दुल्हा दुल्हन बनाकर बाग बगीचों की करवाई सैर



जयपुर, 15 मार्च (हि.स.)। राजस्थान में इन दिनों गणगौर उत्सव की धूम मची हुई है। घरों में सुबह से ही गौर-गौर गणपति की गूंज सुनने को मिल रही है। बुधवार को गणगौर की पूजा बहुत खास रही। चत्र कृष्ण पक्ष की अष्टमी यानी गणगौर पूजा के आठवें दिन विशेष पूजा की गई। इसमें जहां सुबह-सुबह गणगौर माता का पूजन किया गया, वहीं दिन में छोटे छोटे बच्चों को दुल्हा दुल्हन बनाकर बाग बगीचों की सैर करवाई गई। जयपुर शहर के बाग-बगीचों में सुबह से ही गणगौर पूजने वाली महिलाओं की टोलियों का पहुंचना शुरू हो गया था। इसमें जयपुर में रामनिवास बाग, गोविंद देव जी मंदिर, जयनिवास उद्यान, पौंडरिक पार्क, गुलाब उद्यान, नेहरू गार्डन समेत कई इलाकों में गणगौर पूजा करने वाली महिलाएं पहुंची। उनके साथ दुल्हा दुल्हन बनी बच्चियां भी थी। यहां पर महिलाओं ने माता गणगौर के गीत गाए, वहीं सुहाग की लम्बी उम्र की कामना भी की।
गणगौर पूजा का उल्लास चारदीवारी इलाके में ज्यादा देखने को मिला। यहां घर-घर में गणगौर माता की पूजा की गई। इसके बाद सिर पर कलश रखकर महिलाएं मंगल गीत गाती हुई बाग बगीचों के लिए रवाना हुई। दोपहर होते होते बाग बगीचों में महिलाओं को हुजूम जुट गया। सोलह दिन तक इसी तरह का सिलसिला देखने को मिलेगा।
पक्की गणगौर की पूजा शुरू
शीतला अष्टमी के दिन से ही पक्की गणगौर की पूजा शुरू हो गई। पहले दिन बालिकाओं की दूल्हा-दुल्हन बने हुए की बारात निकाली गई। यह बारातें आस-पास के बाग-बगीचा में पहुंची। यहां विवाह जैसी ही रस्में भी हुई। इन्हें शिव व पार्वती के रूप में ही देखा जाता है। साथ ही गणगौर पूजन करने वाली महिलाएं प्रति दिन शाम को गणगौर के गीत गाएंगी और स्वांग की रचाया जाएगा। विवाह के आयोजन की तरह ही महिलाओं की ओर से गणगौर की बिंदोरी निकाली जाएगी। इसमें उत्सव मनेगा और मिठाइयां बांटी जाएंगी। शीतलाष्टमी को गणगौर पूजन करने वाली महिलाएं कुम्हार के घर से मिट्टी लाकर गणगौर बनाकर पूजन करेंगी।
हिन्दुस्थान समाचार/ दिनेश सैनी/ ईश्वर
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