मानवीय मूल्यों के उत्थान और विकास में संतों का महान योगदान- मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा

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मानवीय मूल्यों के उत्थान और विकास में संतों का महान योगदान- मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा


मानवीय मूल्यों के उत्थान और विकास में संतों का महान योगदान- मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा


लाडनूं/जयपुर, 17 जुलाई (हि.स.)। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि किसी भी प्रदेश की समग्र उन्नति का आकलन केवल भौतिक विकास से ही नहीं, बल्कि वहां के नागरिकों में मानवीय मूल्यों और विचारों की समृद्धता से भी होता है। उन्होंने कहा कि भौतिकवाद से आध्यात्मवाद की ओर बढ़ने पर हमारे आचरण और विचार समाज के प्रति बदलते हैं और हम समाज, देश और राष्ट्र के लिए समर्पित भाव से कार्य कर पाते हैं। मुख्यमंत्री बुधवार को डीडवाना-कुचामन जिले के लाडनूं स्थित जैन विश्व भारती में सुधर्मा सभा प्रवचन स्थल के शिलान्यास कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि मानवीय मूल्यों के उत्थान एवं विकास में संतों का महान योगदान रहा है। भारत भूमि ने ऐसे लोगों को जन्म दिया है जो युग के साथ नहीं बहे बल्कि युग को अपने बहाव के साथ ले गए। आचार्यश्री तुलसी ऐसे ही महापुरूष थे। उन्होंने अणुव्रत आंदोलन के जरिये मानव धर्म का व्यावहारिक स्वरूप लोगों के सामने रखा तथा समाज को अंधविश्वास, रूढ़िवादिता और पूर्वाग्रह से मुक्त किया। उन्होंने कहा कि आचार्यश्री ने भौतिकवाद की तरफ बढ़ते मानव को अध्यात्मवाद की तरफ मोड़ा। मानव समाज की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक चेतना का जागरण करना उनके जीवन का परम लक्ष्य था।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आचार्यश्री महाप्रज्ञ का देश के हिंदी साहित्यकारों में प्रमुख स्थान है। उन्होंने कहा कि आचार्यश्री महाश्रमण जी की सहजता एवं पवित्रता से उनमें महात्मा का दर्शन होता है। उनके आध्यात्मिक संरक्षण में जैन विश्व भारती विकास की ओर निरंतर गतिमान है। श्री शर्मा ने कहा कि आचार्यश्री महाश्रमण जी द्वारा वर्ष 2026 में एक वर्षीय योगक्षेम वर्ष के लिए जैन विश्व भारती के पवित्र स्थान पर प्रवास करना सम्पूर्ण प्रदेश के लिए मंगलकारी होगा।

प्रधानमंत्री ने पुरातन संस्कृति का वैभव किया बहाल

मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा कि भारत एक समय शिक्षा का महान केंद्र था। यहां नालंदा जैसे विश्वविद्यालयों में देश-विदेश के शिक्षार्थी शिक्षा प्राप्त करते थे। यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नालंदा विश्वविद्यालय को नया जीवन देकर पुरातन संस्कृति का वैभव बहाल करने का काम किया है। जैन विश्व भारती राजस्थान का उल्लेख करते हुए शर्मा ने कहा कि यह संस्थान अपने सात सूत्रीय लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए लगातार गतिशील है। शिक्षा, साहित्य, साधना, शोध, संस्कृति, सेवा जैसे उद्देश्यों की प्राप्ति व मानव कल्याण की भावना इस संस्था के मूल में है। उन्होंने कहा कि ध्यान, योग, जैन विद्या, राजस्थानी लिपि, प्राकृत भाषा आदि के अध्यापन के लिए समर्पित एकमात्र विश्वविद्यालय है। यहां शोध अनुसंधान जैसे कार्य एक गुरुकुलवास के वातावरण में किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि संस्थान के पवित्र परिसर में उन्हें कुछ समय बिताने का अवसर मिला था। उस अवधि में उन्हें जो दिव्य अनुभूति हुई, उसे शब्दों में कहा नहीं जा सकता।

शिलान्यास कार्यक्रम में केन्द्रीय कानून एवं न्याय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा जैन विश्व भारती संस्थान के कुलाधिपति अर्जुनराम मेघवाल ने अणुव्रत पर प्रकाश डाला और कहा कि इसकी स्थापना करने वाले आचार्यश्री तुलसी ने समाज की कुरीतियों को दूर करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने कहा कि जैन विश्व भारती मानव कल्याण के लिए समर्पित संस्थान है।

इस दौरान मुख्यमंत्री ने मुनिश्री जयकुमार का आशीर्वाद लिया और जैन विश्व भारती परिसर में वृक्षारोपण किया। कार्यक्रम में महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री डॉ. मंजू बाघमार, राजस्व राज्यमंत्री विजय सिंह, राज्य किसान आयोग के अध्यक्ष सी. आर. चौधरी, विधायक लक्ष्मणराम कलरु, पूर्व सांसद डॉ. ज्योति मिर्धा, राजस्थान पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी, जैन विश्व भारती के अध्यक्ष अमरचंद लुंकड़, जैन विश्व भारती संस्थान के कुलपति प्रो. बच्छराज दुगड़ सहित संत-महात्मा, जैन समाज के गणमान्य लोग एवं बड़ी संख्या में आमजन उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / ईश्वर / संदीप

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