जवाहर कला केन्द्र के स्थापना दिवस समारोह का आगाज

जवाहर कला केन्द्र के स्थापना दिवस समारोह का आगाज
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जवाहर कला केन्द्र के स्थापना दिवस समारोह का आगाज


जवाहर कला केन्द्र के स्थापना दिवस समारोह का आगाज


जयपुर, 7 अप्रैल (हि.स.)। रंग बिरंगी रोशनी में रंगा प्रांगण और सुरीली आवाज में गूंजती रूहानी ग़ज़लें। जवाहर कला केन्द्र में रविवार को कुछ ऐसा ही माहौल नजर आया। मौका था केन्द्र की स्थापना के 31 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित समारोह के पहले दिन का। स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर मशहूर ग़ज़ल गायक मोहम्मद वकील और नवदीप झाला ने ग़ज़लों का गुलदस्ता सजाया।

इस अवसर पर जवाहर कला केन्द्र की अतिरिक्त महानिदेशक सुश्री प्रियंका जोधावत ने कहा कि जवाहर कला केंद्र कला के विभिन्न आयामों यथा साहित्य, संगीत, रंगमंच और दृश्य कला से जुड़े आयोजन कर कलाकारों को मंच देने और कला के संरक्षण में अद्वितीय योगदान निभा रहा है। नव को पहचान और अनुभव को सम्मान के ध्येय के साथ कलाकारों के कल्याण के लिए केंद्र सदैव प्रतिबद्ध है। कला प्रेमियों का जवाहर कला केंद्र से विशेष जुड़ाव है ऐसे में स्थापना दिवस और भी खास बन जाता है। सभी को जवाहर कला केन्द्र के 31 वें स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

नवदीप सिंह झाला ने मेहंदी हसन की ग़ज़ल 'रंजिश ही सही' से अपनी प्रस्तुति की शुरुआत की। 'अपनी तस्वीर को आंखों से लगाता क्या है?, 'प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता, 'आहिस्ता-आहिस्ता' समेत विभिन्न ग़ज़लों के साथ उन्होंने समां बांधा। तबले पर ग़ुलाम गोस, सन्तूर पर उस्ताद अनवर हुसैन नीलू, वायलिन पर अशोक पंवार और कीबोर्ड पर एस.बबलू ने संगत की।

इसके बाद सा रे गा मा पा मेगा फाइनल विनर और वीर ज़रा फिल्म के प्लेबैक सिंगर मोहम्मद वकील ने

महफिल के मिजाज को और खुशनुमा बना दिया। वकील ने अपने चिर परिचित अंदाज मे शास्त्रीय रागों पर आधारित ग़ज़लों का गुलदस्ता सजाया। मशहूर कव्वाली 'आया तेरे दर पर दीवाना' से आगाज किया। यह वीर ज़ारा फिल्म की वही ग़ज़ल है जिसमें वकील ने अपनी आवाज दी है। इसके बाद अलग—अलग ग़ज़लों के साथ कारवां आगे बढ़ा। 'ये कसक दिल की दिल में चुभी रह गई', 'वो चांदनी सा बदन खुशबुओं का साया है', 'वो दिल ही क्या जो तेरे मिलने की दुआ न करे' आदि ग़ज़लों से उन्होंने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। राजस्थानी मांड केसरिया बालम गाकर उन्होंने सभी को राजस्थान के रंग में रंग दिया। वायलीन पर गुलज़ार हुसैन, की—बोर्ड पर रेहबर हुसैन, सितार पर प्रज्ञा दीक्षित, तबले पर मेराज हुसैन और ऑक्टोपेड पर रमज़ान ने बेहतरीन संगत की।

सोमवार को बिखरेगी लोक कला की छटा

स्थापना दिवस समारोह के दूसरे दिन सोमवार को लोक कला के लालित्य के साथ शाम सजेगी। सायं सात बजे से रंगायन सभागार में लोक सांस्कृतिक संध्या का आयोजन होगा। इसमें मशहूर गायिका सीमा मिश्रा अपने सुरीले गीतों से समां बांधेगी। ग़ाज़ी ख़ान बरणा और उनके साथी मांगणियार सिम्फनी से महफिल को लोक कला के रंग में रंगेंगे। वहीं केन्द्र में डॉ. रूप सिंह शेखावत के निर्देशन में जारी लोक नृत्य कार्यशाला के प्रतिभागी कृष्णायन में सायं 5:30 बजे से लोक नृत्य की प्रस्तुति देंगे।

सात दिवसीय प्रदर्शनी

जवाहर कला केन्द्र की ओर से 8 से 14 अप्रैल तक प्रात: 11 से सायं 7बजे दो प्रदर्शनियों का आयोजन भी किया जाएगा। स्फटिक दीर्घा में केन्द्र के कला संग्रह को प्रदर्शित किया जाएगा। वहीं अलंकार कला दीर्घा में होने वाली 'जवाहर कला केंद्र- एक सिंहावलोकन प्रदर्शनी' में केन्द्र के कलात्मक सफर के सौंदर्य को बयां करने वाले छायाचित्र व प्रिंट प्रदर्शित होंगे।

हिन्दुस्थान समाचार/ दिनेश सैनी/ईश्वर

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