करंट से घायल सिनेरियस गिद्ध को वन विभाग ने किया रेस्क्यू, ईगल की मौत

करंट से घायल सिनेरियस गिद्ध को वन विभाग ने किया रेस्क्यू, ईगल की मौत
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करंट से घायल सिनेरियस गिद्ध को वन विभाग ने किया रेस्क्यू, ईगल की मौत


जैसलमेर, 26 जनवरी (हि.स.)। फतेहगढ़ तहसील के देगराय ओरण में बिछी बिजली की लाइनों से टकराकर प्रवासी पक्षी स्टेपी ईगल की मौत हो गई। वहीं एक सिनेरियस गिद्ध घायल हो गया। देगराय ओरण इलाके में दोनों को देखकर वन्य जीव प्रेमी सुमेर सिंह सांवता ने वन विभाग को इसकी जानकारी दी। वन विभाग की टीम ने प्रवासी पक्षी सिनेरियस गिद्ध को रेस्क्यू किया। स्टेपी ईगल को दफनाया। घायल गिद्ध पक्षी के पंख को हाईटेंशन लाइनों से टकराकर काफी नुकसान हुआ है। अब वन विभाग इसका इलाज करवाएगा।

सुमेर सिंह ने बताया कि बिजली की हाईटेंशन लाइनों से टकराकर प्रवासी पक्षी स्टेपी ईगल की मौत हो गई वहीं सिनेरियस गिद्ध के पंख में चोट आई है। घायल होकर सिनेरियस गिद्ध नीचे गिरा और उड़ने में नाकाम रहा। इस दौरान चरवाहों की उस पर नजर पड़ गई अन्यथा वो घायल पक्षी जंगली कुत्तों के हत्थे चढ़ जाता तो मौत के घाट उतार देते। फिलहाल वन विभाग की टीम उसका इलाज कर रही है ताकि वो जल्दी से स्वस्थ हो सके। पर्यावरण प्रेमी सुमेर सिंह भाटी ने बताया कि स्टेपी ईगल (चील) बड़े आकार का बाज है जो मध्य एशिया के घास मैदानों से सर्दियों में जैसलमेर के घास मैदानों में प्रवास पर पहुंचते हैं। ये मध्य एशियाई देश कजाकिस्तान का राष्ट्रीय पक्षी है और वहां के राष्ट्र ध्वज पर भी अंकित है। ये पक्षी कुरजां जैसे बड़े पक्षियों, बत्तखों और खरगोश तक का शिकार करने में सक्षम होता है। ये बड़े शिकारी चील-बाज आदि के पक्षी समूह में एकमात्र शिकारी पक्षी है जो घास मैदानों पर ही प्रजनन करता है। इसकी सबसे ज्यादा संख्या मध्य एशिया के कजाकिस्तान में मिलती है। ये पक्षी कजाकिस्तान के राष्ट्रीय ध्वज पर भी अंकित है। जैसलमेर के ओरण व घास मैदान इनके मुख्य प्रवास स्थल रहे हैं, लेकिन अब ये यहां भी सुरक्षित नहीं है। लगातार हाईटेंशन लाइनों से टकराकर पक्षियों के मरने के सिलसिले से पर्यावरण प्रेमियों में खासा गुस्सा है।

दुर्लभ है सिनेरियस गिद्ध

सुमेर सिंह ने बताया कि भारतीय उप महाद्वीप में गर्मियों में यह सिनेरियस गिद्ध पक्षी बलूचिस्तान, गिलगिट, पंजाब, असम और हिमालय के कुछ हिस्सों में 1800 से 5600 मीटर की ऊंचाई पर पाया जाता है। यह दक्षिणी यूरोप से पूर्वी चीन तक प्रजनन काल के समय पाया जाता है। जैसलमेर में ये देगराय ओरण और लाठी के इलाके में प्रवास में आए हुए हैं। काले रंग के इस गिद्ध की औसत लंबाई 110 सेमी होती है और खुले हुए डैनो समेत इसका फैलाव लगभग 9 फीट होता है। इसका सिर आम गिद्ध से बड़ा होता है और सिर के केवल पिछले हिस्से पर काले छोटे पंख होते हैं। हल्के गुलाबी रंग की गर्दन पर पंख नहीं होते। गर्दन के निचले छोर पर काले रंग के पंखों का वृत्ताकार गुच्छा होता है।

हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/ईश्वर

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