लोक रंगों की बरसात: शिल्पग्राम उत्सव में देश की लोक आत्मा ने बिखेरी सांस्कृतिक चमक

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लोक रंगों की बरसात: शिल्पग्राम उत्सव में देश की लोक आत्मा ने बिखेरी सांस्कृतिक चमक


लोक रंगों की बरसात: शिल्पग्राम उत्सव में देश की लोक आत्मा ने बिखेरी सांस्कृतिक चमक


लोक रंगों की बरसात: शिल्पग्राम उत्सव में देश की लोक आत्मा ने बिखेरी सांस्कृतिक चमक


उदयपुर, 22 दिसंबर (हि.स.)। ‘लोक के रंग–लोक के संग’ की थीम पर आयोजित शिल्पग्राम उत्सव 2025 में सोमवार की शाम मुक्ताकाशी मंच पर देश की विविध लोक संस्कृतियों का ऐसा जीवंत संगम देखने को मिला, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। गोवा, राजस्थान, ओडिशा, महाराष्ट्र सहित कई राज्यों की लोक कलाओं ने एक साथ मंच साझा कर भारत की सांस्कृतिक एकता का सुंदर चित्र प्रस्तुत किया।

मुक्ताकाशी मंच पर राजस्थान के मांगणियार गायन, सफेद आंगी गेर और डेरू नृत्य ने जहां श्रोताओं का मन जीता, वहीं ओडिशा के संभलपुरी नृत्य और गोवा के घूमट गायन ने कार्यक्रम को नई ऊंचाई दी। लोक संस्कृति के इस उत्सव में कोरियोग्राफिक डांस ने विशेष आकर्षण बटोरा। दिल्ली के प्रसिद्ध कोरियोग्राफर सुशील शर्मा द्वारा तैयार इस प्रस्तुति में गोवा के देखनी व घोड़े मोदनी, मणिपुर के लाईहारोबा, कश्मीर के रौफ, राजस्थान के लाल आंगी व चरी, कर्नाटक के पूजा कुनिता व ढालू कुनिता, महाराष्ट्र के सोंगी मुखौटा, पंजाब के लुड्डी तथा गुजरात के तलवार रास और राठवा नृत्य का अद्भुत महासंगम देखने को मिला। दर्शक पूरी प्रस्तुति के दौरान तालियों से कलाकारों का उत्साह बढ़ाते रहे।

कार्यक्रम की एक और खास झलक रही मराठी लावणी और कथक का फ्यूजन। श्रद्धा सतवीडकर एंड ग्रुप की लावणी और नितिन कुमार एंड ग्रुप के कथक ने क्लासिकल और फोक का ऐसा संतुलन रचा कि दर्शक झूम उठे। इससे पूर्व डॉ. प्रेम भंडारी के निर्देशन में राजस्थानी लोक गीतों पर आधारित मेडले ने भी खूब वाहवाही बटोरी, जिसमें लोक गायन की मूल आत्मा को बनाए रखते हुए क्लासिकल रंग भरे गए।

शिल्पग्राम के विभिन्न थड़ों पर भी सुबह से शाम तक लोक रंजन की निरंतर धारा बहती रही। कहीं बीन जोगी, कहीं कच्ची घोड़ी, कहीं गोंधल, घूमर, चकरी, पोवाड़ा, कठपुतली और मसक वादन की प्रस्तुतियों ने मेलार्थियों को बांधे रखा। बहुरूपिया कलाकार पूरे परिसर में घूमते हुए बच्चों और बड़ों सभी का भरपूर मनोरंजन करते नजर आए। बंजारा मंच पर ‘हिवड़ा री हूक’में मेलार्थियों की स्वयं की प्रस्तुतियों और संचालक सौरभ भट्ट की प्रश्नोत्तरी ने माहौल को और जीवंत बना दिया।

मंगलवार की शाम शिल्पग्राम उत्सव में एक और खास आकर्षण जुड़ने जा रहा है। गुजरात के छोटा उदेपुर जिले की राठवा जनजाति का विश्व प्रसिद्ध राठवा नृत्य मुक्ताकाशी मंच पर दर्शकों को रोमांचित करेगा। लय, ताल और अद्भुत संतुलन से भरपूर यह नृत्य युवतियों द्वारा युवकों के कंधों पर खड़े होकर किए जाने वाले करतबों के लिए जाना जाता है, जिसे देखकर दर्शकों की सांसें थम जाती हैं। बड़े राम ढोल, शहनाई और थाली की गूंज के साथ रंगीन वेशभूषा में सजे कलाकार खुशी और उल्लास का जीवंत प्रदर्शन करेंगे।

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हिन्दुस्थान समाचार / सुनीता

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