जयपुर में प्रथम ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया कॉन्फ्रेंस में 350 से अधिक प्रतिनिधियों ने लिया भाग

जयपुर में प्रथम ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया कॉन्फ्रेंस में 350 से अधिक प्रतिनिधियों ने लिया भाग
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जयपुर में प्रथम ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया कॉन्फ्रेंस में 350 से अधिक प्रतिनिधियों ने लिया भाग


जयपुर में प्रथम ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया कॉन्फ्रेंस में 350 से अधिक प्रतिनिधियों ने लिया भाग


जयपुर, 28 जून (हि.स.)। ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया नींद से जुड़ा एक ब्रीदिंग डिसऑर्डर है। इस बीमारी से जूझ रहे व्यक्ति की नींद में सांस रुक जाती है और उसे पता भी नहीं चलता। नींद में सांस रुकने की ये समस्या कुछ सेकंड्स से लेकर एक मिनट तक हो सकती है। प्रथम एकदिवसीय ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया कॉन्फ्रेंस में गुरुवार को यह जानकारी दी गई। कॉन्फ्रेंस का आयोजन अध्यक्ष डॉ. मोहनीश ग्रोवर और आयोजन सचिव डॉ. राहुल नाहर, डॉ. शिवम शर्मा,डॉ. अनुपम कानोडिया, डॉ . विजय शर्मा एवं सी के बिरला हॉस्पिटल के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। इस सम्मेलन में देश भर से 350 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया, साथ ही राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ भी इसमें शामिल हुए।

यह सम्मेलन ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया पर केंद्रित रहा जो एक विकार है जिसमें रात के समय श्वास रुक जाती है। यह विकार हृदयाघात, मधुमेह, कैंसर, यौन दुर्बलता जैसे गंभीर बीमारियों से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है। भारतीय जनसंख्या में ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया की घटनाएं 70 प्रतिशत से अधिक हैं और यह एक छुपी हुई महामारी है जो फूटने का इंतजार कर रही है। इसके प्रति जागरुकता और सही समय पर इलाज बेहद आवश्यक है। इसके अलावा, यह खर्राटे, अत्यधिक दिन में नींद आना, सड़क दुर्घटनाएं, और बढ़ते तलाक जैसे लक्षणों का कारण भी बनता है। जैसा कि अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त नींद शल्य चिकित्सक डॉ. श्रीनिवास किशोर ने बताया। सम्मेलन के मुख्य अतिथि डॉ. दीपक माहेश्वरी, प्राचार्य एसएमएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल थे। यह एक बहु विषयक सम्मेलन है जिसमें ईएनटी, एंडोक्राइनोलॉजी, डेंटल, पल्मोनोलॉजी, मनोचिकित्सा, चिकित्सा, गैस्ट्रो सर्जरी, और कार्डियोलॉजी के विशेषज्ञ डॉक्टर शामिल हुए हैं।

सीके बिरला हॉस्पिटल जयपुर के वाइस प्रेसिडेंट अनुभव सुखवानी ने कहा कि सी के बिरला हॉस्पिटल इस तरह के कार्यक्रमों में अपनी सक्रिय भूमिका निभाता रहा है जिससे आमजन में जागरूकता बढ़ने के साथ ही उसके इलाज की नवीनतम तकनीकों की जानकारियां भी साझा हो सके।

हिन्दुस्थान समाचार/ दिनेश/संदीप

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