उदयपुर में गुरुवार से शुरू होगा चर्चा व चिंतन का उत्सव ''मेवाड़ टॉक फेस्ट''

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उदयपुर में गुरुवार से शुरू होगा चर्चा व चिंतन का उत्सव ''मेवाड़ टॉक फेस्ट''


उदयपुर, 29 मार्च (हि. स.)। मेवाड़वासियों को कला व साहित्य जगत की हस्तियों से रूबरू करवाने और स्तरीय साहित्य का रसास्वादन कराने के उद्देश्य से कला-साहित्य का दो दिवसीय मेवाड़ टॉक फेस्ट 30 मार्च से उदयपुर के मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के गोल्डन जुबली गेस्ट हाउस में होगा।

अलग-अलग विषय के दो अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त चिंतक लक्ष्मीनारायण भाला ‘लक्खी दा’ और ‘रश्मि सामंत’ इस फेस्ट के अतिथि होंगे जो संभागियों से चर्चा करेंगे। महोत्सव में पुस्तक मेला और फिल्म की स्क्रीनिंग का भी आकर्षण रहेगा।

संविधान विशेषज्ञ, समाजसेवी एवं संस्कृतिकर्मी लेखक लक्ष्मीनारायण भाला ‘लक्खी दा’ शनिवार सुबह उदयपुर पहुंचेंगे। वे इस महोत्सव के तहत भारत के संविधान के भीतर भगवान राम और कृष्ण के साथ ही सनातन संस्कृति और ऐतिहासिक घटनाओं का प्रतिनिधित्व करती हुई तस्वीरों का राज खोलेंगे और चर्चा करेंगे। अपनी पुस्तक ‘संविधान भाव एवं रेखांकन’ पर चर्चा करेंगे।

उल्लेखनीय है कि नागपुर विश्वविद्यालय से वाणिज्य स्नातक तथा हिंदी विशारद की उपाधि प्राप्त कलाप्रेमी लेखक संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी, असमिया, बांग्ला, मराठी, नेपाली और मारवाड़ी भाषा एवं ओड़िया तथा गुजराती लिपि के भी अच्छे जानकार हैं। उनकी तीन काव्य संग्रहों समेत लगभग 15 कृतियाँ प्रकाशित हैं। वे लेखन कार्य में रत रहते हुए मॉरिशस, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, दुबई, फ्रांस, दक्षिण अमेरिका आदि अनेक देशों की यात्राएँ कर चुके हैं। कई संगठनों से जुड़े, समाज एवं राष्ट्र हित कार्य किये एवं हिंदुस्थान समाचार सेवा में राष्ट्रीय स्तर का दायित्व निभाने के बाद अब 2018 से हिंदू आध्यात्मिक सेवा प्रतिष्ठान में है। वे अंतरराष्ट्रीय न्यूज संस्थान के भी निदेशक हैं।

ऑक्सफोर्ड छात्र संघ (एसयू) की पहली भारतीय महिला अध्यक्ष निर्वाचित होकर ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में इतिहास बनाने वालीं रश्मि सामंत शुक्रवार को उदयपुर पहुंचीं। उन्होंने परकोटे के भीतरी शहर में हेरिटेज वाॅक किया। प्रताप गौरव केन्द्र, झीलों और मंदिरों का भ्रमण किया। कर्नाटक के उडुपी की मूल निवासी सामंत पहली बार उदयपुर आई हैं। उन्होंने कहा कि हमारी चिरंतन संस्कृति विश्वभर में अनोखी है। उदयपुर शहर ने भी अपनी कला-शिल्प व संस्कृति को संजोये रखा है। यहां का नैसर्गिक सौंदर्य अनूठा है, लेकसिटी तो वेनिस से कहीं बेहतर है।

उनके उदयपुर पहुंचने पर फेस्ट के संरक्षक मदन मोहन टांक, समन्वयक रूचि श्रीमाली, विकास छाजेड़ आदि ने उनका स्वागत किया। सामंत शनिवार शाम को चित्तौड़ पहुंची। वहां एक कार्यक्रम में ‘आई डोंट नेगोशिएट विद माय आईडेंटिटी’ विषय पर विचार रखे।

हिन्दुस्थान समाचार/सुनीता/ईश्वर

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