जयपुर एजुकेशन समिट में बोले एक्सपर्ट्स: टाइम मैनेजमेंट न कर पाने से युवा हो रहे कंफ्यूज

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जयपुर एजुकेशन समिट में बोले एक्सपर्ट्स: टाइम मैनेजमेंट न कर पाने से युवा हो रहे कंफ्यूज


जयपुर, 23 जनवरी (हि.स.)। 'सभी के पास 24 घंटे ही हैं। न किसी के पास एक सेकेंड ज्यादा और न कम। इस वक्त को आप किस तरह से यूज करते हैं, वो देखने वाली बात है। इसी टाइम मैनेजमेंट में फेल होने होने की वजह से ही आज का युवा हर बात को लेकर कंफ्यूज है।' यह कहना है प्रो.अर्चना मनकोटिया का, जो क्रेडेंट टीवी यूट्यूब चैनल की ओर से 5वें जयपुर एजुकेशन समिट के चौथे दिन, मंगलवार स्टूडेंट्स को संबोधित कर रही थीं।

एस.एस.जैन सुबोध लॉ कॉलेज में चल रहे 5 दिवसीय सेमिनार में 'व्हाय द यूथ इज कंफ्यूज' विषय पर यह बात कही। उन्होंने कहा कि अपने जीवन में 'क्यों' का जवाब आपके पास होना चाहिए, तभी आप सफल हो पाएंगे। इस दौरान बियानी एंड ग्रुप्स के फाउंडर डॉ.संजय बियानी ने कहा कि स्वयं को समझना बहुत जरूरी है। आज के एजुकेशन सिस्टम में कहीं न कहीं कमी जरुर है लेकिन हमें अपने उपनिषेदों की ओर लौटना चाहिए और बेहतर बनने की कोशिश करनी चाहिए। जयपुर एजुकेशन समिट-2024 के फाउंडर एवं मैनेजिंग डायरेक्टर सुनील नारनौलिया, लॉ कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो.(डॉ.) गौरव कटारिया और मिशन फार्मर साइंट्स्ट परिवार के फाउंडर डॉ.महेंद्र मधुप ने सभी को प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया।

प्रकृति जिंदा रहेगी तो जिंदा रहेंगे हम: गोस्वामी

पर्यावरण को लेकर हुए एक विशेष सेशन 'प्रकृति ही प्राण है' में पर्यावरण संत नवल डांगा, प्रसन्न पुरी गोस्वामी और डॉ.महेंद्र मुधुप ने प्रकृति की भूमिका पर प्रकाश डाला। जोधपुर के प्रसन्न पुरी गोस्वामी ने मेहरानगढ़ की पहाड़ियों के प्राकृतिक सौंदर्य को बढ़ने के लिए 50 हजार से अधिक पौध रोपने का असंभव काम करने में सफलता हासिल की है। इनमें 130 तरह की वनस्पतियों के पौधे भी शामिल हैं। इस मौके पर उन्होंने कहा कि प्रकृति जिंदा रहेगी तो हम जिंदा रहेंगे। इसके लिए पर्यावरण और विकास को एक दूसरे का पूरक होना चाहिए, न कि द्योतक। दोनों में संतुलन बना रहना चाहिए।

'जैव उर्वरकों के इस्तेमाल से बेहतर परिणाम'

इधर जयपुर एजुकेशन समिट-2024 के अन्य भाग के रूप में एस.एस.जी.पारीक पीजी महिला महाविद्यालय में पर्यावरण संबंधी विषय पर चर्चा हुई जिसमें मुख्य वक्ता जी.पी. सिंह ने बताया कि रासायनिक उर्वरकों के पूरक के रूप में जैव उर्वरकों के इस्तेमाल से बेहतर परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। इस मौके पर प्रबंध कार्यकारिणी के सचिव लक्ष्मीकांत पारीक, मुख्य अतिथि के तौर पर राजस्थान विश्वविद्यालय, वनस्पति विभाग की डॉ.जी.पी.सिंह, एनएसएस जिला समन्वयक एवं राजकीय महाविद्यालय जयपुर की प्राचार्य डॉ. स्निग्धा शर्मा, महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ.विजय लक्ष्मी पारीक ने अपने विचार व्यक्त किए।

हिन्दुस्थान समाचार/ दिनेश सैनी/ईश्वर

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