(अपडेट) राज्यपाल ने अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद के 26 वें वार्षिक अधिवेशन का किया शुभारंभ
जयपुर, 20 दिसंबर (हि.स.)। राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने कहा कि सैनिक कभी पूर्व नहीं होता। वह जब सेना में नहीं भी होता है तो राष्ट्र निर्माण में भागीदारी निभा रहा होता है। उन्होंने कहा कि सैनिक शब्द ही रगों में जोश जगाने वाला है। उन्होंने माखन लाल चतुर्वेदी की लिखी पुस्तक की अभिलाषा की पंक्तियां सुनाते हुए कहा कि सैनिक उसी पथ को चुनते हैं जो वीरता से जुड़ा होता है। मां भारती के लिए सर्वस्व समर्पण ही उनका एकमात्र लक्ष्य होता है।
राज्यपाल बागडे शनिवार को आर्मी एरिया ऑडिटोरियम में अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद के 26 वें वार्षिक अधिवेशन के शुभारंभ समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने पूर्व सैनिकों एवं उनके परिवारजनों के कल्याण, सम्मान और राष्ट्र निर्माण में उनकी भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि सैनिकों के परिजनों के लिए भी सबको मिलकर कार्य करना चाहिए। राज्यपाल ने पूर्व सैनिकों को सशक्त करने हेतु चलाई जा रहीं केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का अधिकाधिक प्रचार किए जाने पर भी जोर दिया। उन्होंने अखिल भारतीय पूर्व सैनिकों द्वारा सामाजिक सेवा, देशभक्ति, राष्ट्रीय एकता तथा युवाओं को राष्ट्रसेवा के लिए प्रेरित करने जैसे क्षेत्रों में सक्रिय भूमिका की सराहना भी की।
वैचारिक चुनौतियों से निपटने को समाज को जागरूक होना होगा
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह-प्रचार प्रमुख प्रदीप जोशी ने कहा कि विश्व बहुत तेज़ी से बदल रहा है और संघर्षों के स्वरूप भी निरंतर बदलते जा रहे हैं। पिछली शताब्दी में दो विश्व युद्ध हुए, फिर विचारधाराओं की लड़ाई सामने आई। चाहे वह कम्युनिज्म हो या पूंजीवाद। ऊपर से शांति, प्रेम और मानवता की बात की जाती है, लेकिन भीतर ही भीतर दुनिया पर नियंत्रण और स्वामित्व की होड़ चलती रहती है। जब दुनिया सजग होती है तो ये शक्तियां अपने रूप बदल लेती हैं, जैसे पुराणों में राक्षस अलग-अलग वेश धारण करते थे। कभी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं, कभी वैश्वीकरण, कभी व्यापार और टैरिफ के नाम पर वही खेल चलता रहता है।
उन्होंने कहा कि आज विश्व के सामने दो बड़े संघर्ष स्पष्ट दिखाई देते हैं। सभ्यताओं का संघर्ष और उपभोक्तावाद। इसके प्रभाव हमारे पड़ोसी देशों बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका और म्यांमार में दिखते हैं और भारत में भी ऐसी कोशिशें की जा रही हैं। इसके पीछे योजनाबद्ध फंडिंग, डिजाइन और इकोसिस्टम काम करता है। ऐसे समय में एक संगठन, एक नागरिक और विशेष रूप से पूर्व सैनिक के रूप में हमारा दायित्व बनता है कि हम सजग रहें और समाज को दिशा दें।
उन्होंने कहा कि भारत गुलामी की मानसिकता से निकलकर तेज़ी से विकसित राष्ट्र की ओर बढ़ रहा है। इस परिवर्तन के लिए सोच, व्यवहार और दृष्टिकोण में बदलाव जरूरी है। उन्होंने कहा कि वैचारिक संघर्ष के इस दौर में नई पीढ़ी को जोड़ना, सकारात्मक विमर्श खड़ा करना, समाज की कमजोर कड़ियों पर काम करना और जो अच्छा चल रहा है उसकी गति बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। छोटे-छोटे सामाजिक प्रयोग भी बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं। विकसित भारत केवल सरकार का नहीं, बल्कि समाज की सहभागिता से ही साकार होने वाला लक्ष्य है।
वीरों की धरती से राष्ट्रसेवा का आह्वान
अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल वीके चतुर्वेदी, पीवीएसएम, वीएसएम, एसएम ने अपने स्वागत उद्बोधन में अधिवेशन में दूर-दूर से पधारे सभी रणबांकुरों का अभिनंदन किया। उन्होंने कहा कि राजस्थान वीरों की धरती है। मेजर शैतान सिंह, पीरू सिंह, महाराणा प्रताप और राणा सांगा जैसे महान योद्धाओं की भूमि है। हांडा रानी पन्ना धाय के त्याग, तपस्या और सर्वोच्च बलिदान की कथा आज भी हमें प्रेरणा देती है। ऐसे वीरों की भूमि पर एकत्र होना हम सभी के लिए गौरव का विषय है।
उन्होंने संगठन के बारे में बताते हुए कहा कि अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद भारत सरकार से मान्यता प्राप्त पूर्व सैनिक संगठन है, जिसमें सेना, नौसेना और वायुसेना के पूर्व सैनिक जुड़े हैं। संगठन की विशेषता इसका अखिल भारतीय विस्तार है। अरुणाचल प्रदेश से लेकर केरल, मणिपुर, नागालैंड, मेघालय, असम, गुजरात और जम्मू-कश्मीर तक इसकी इकाइयां कार्यरत हैं। उन्होंने बताया कि 1995 में स्थापित इस संस्था के प्रथम अध्यक्ष मेजर बीसी खंडूरी रहे, जो बाद में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री बने।
उन्होंने संगठन के मूल मंत्र को दो पंक्तियों में समेटते हुए कहा कि हम भारत के पूर्व सैनिक नई प्रेरणा लाए हैं, राष्ट्र की रक्षा करते थे, अब इसे सजाने आए हैं। आज संस्था से लगभग एक लाख चालीस हजार पूर्व सैनिक जुड़े हैं और मातृशक्ति भी सक्रिय भूमिका निभा रही है। राष्ट्र प्रथम, राष्ट्र सम्मान और राष्ट्र सेवा को सर्वोपरि बताते हुए उन्होंने राज्यपाल की उपस्थिति को प्रेरणास्रोत बताया और भारत को यश-कीर्ति के शिखर पर ले जाने का संकल्प दोहराया।
ग्रे जोन वारफेयर में वेटरन्स की निर्णायक भूमिका
लेफ्टिनेंट जनरल एच.एस. वांद्रा, एसएम ने तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन में पूर्व सैनिकों के लिए संचालित योजनाओं की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि उपस्थित कई वेटरंस ऐसे हैं जिन्होंने ऑपरेशनों और युद्धों में भाग लिया है, जहाँ लड़ाई प्रायः आमने-सामने की होती थी। लेकिन आज का युद्ध स्वरूप बदल चुका है, जिसे ग्रे जोन वारफेयर कहा जाता है। यह युद्ध केवल सीमाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि देश के विभिन्न संचालन क्षेत्रों और रणनीतिक संसाधनों के विरुद्ध निरंतर चल रहा है और आगे भी चलता रहेगा।
उन्होंने कहा कि इस प्रकार के युद्ध से लड़ने की विधि लगभग 2300 वर्ष पूर्व चाणक्य ने अर्थशास्त्र के माध्यम से बताई थी। दुश्मन की इस रणनीति का सामना करने के लिए समग्र राष्ट्रीय दृष्टिकोण, अर्थात ‘होल ऑफ नेशन अप्रोच’, आवश्यक है। उन्होंने कहा कि वेटरंस देश की रक्षा के लिए सबसे बड़े, सबसे मजबूत और सदैव तैयार रहने वाले संसाधन हैं। संकट के समय उन्होंने सदैव देशभक्ति का परिचय दिया है और ऑपरेशन सिंदूर सहित अनेक अभियानों में महत्वपूर्ण योगदान किया है। उन्होंने कहा कि वर्षों की सेवा से वेटरन अनुशासन, समर्पण, निष्ठा, बुद्धिमत्ता और सर्वोपरि देशभक्ति अर्जित करता है, जो उसे हर क्षेत्र में सफल बनाती है। इसी कारण अनेक वेटरंस दूसरे करियर में भी पूरी निष्ठा से देश सेवा कर रहे हैं। सैनिक होने के नाते हम सभी की जिम्मेदारी है कि देश निर्माण में योगदान देकर विकसित भारत के लक्ष्य को साकार करें।
समारोह में देशभर से पूर्व सैनिक, रक्षा विशेषज्ञ एवं समाज के विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधियो ने भाग लिया। इस दौरान परिषद की स्मारिका का भी लोकार्पण किया। अधिवेशन के उदघाटन सत्र के समापन पर पूर्व सैनिक सेवा परिषद के राजस्थान प्रांत अध्यक्ष मेजर जनरल अनुज माथुर,वीएसएम ने आभार प्रकट किया।
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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश

