चाहत बेशक आसमां छूने की रखो, पांव हमेशा ज़मीं पर रखो : वसुंधरा राजे

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चाहत बेशक आसमां छूने की रखो, पांव हमेशा ज़मीं पर रखो : वसुंधरा राजे


जयपुर, 3 सितंबर (हि.स.)। पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने कहा है कि ओम माथुर चाहे कितनी ही बुलंदियों पर पहुंचें, इनके पैर सदा ज़मीन पर रहे हैं। इसीलिए इनके चाहने वाले भी असंख्य हैं। वरना कई लोगों को पीतल की लौंग क्या मिल जाती है, वह अपने आप को सराफ समझ बैठते हैं। उन्होंने कहा कि माथुर से ऐसे लोगों को सीख लेना चाहिये कि ‘चाहत बेशक आसमां छूने की रखो, पर पांव हमेशा ज़मीं पर रखो’। राजे ने उन्हें सिक्किम का गवर्नर बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया।

पूर्व मुख्यमंत्री राजे मंगलवार काे बिड़ला सभागार में सिक्किम के राज्यपाल ओम माथुर के अभिनंदन समारोह में बोल रहीं थीं। राजे ने कहा कि प्रधानमंत्री के करीबी माथुर ऊपर से गरम, भीतर से नरम है, जिन्होंने छत्तीसगढ़ में कमल खिला कर असंभव को संभव किया। विपक्षी कुछ भी कहें गवर्नर रबर स्टैंप नहीं आयरन फस्टर् इन ए वेल्वेट ग्लाेव होता है। फिर जैसा घुड़सवार होगा घोड़ा वैसे ही दौड़ेगा। माथुर कुशल घुड़सवार हैं। जिन्हें लगाम खींचना और चाबुक चलाना अच्छे से आता है। सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि राज्यपाल किसी भी विधेयक को रोक सकता है। वह मंत्री परिषद की सलाह से काम तो करता हैं, लेकिन अनुच्छेद 166 (2) के अनुसार उसका निर्णय ही अंतिम है। अनुच्छेद 356 में राज्यपाल की सिफ़ारिश पर किसी भी बहुमत की सरकार को हटा कर उस प्रदेश में सरकार के सारे अधिकार राज्यपाल को मिल जाते हैं। इसलिए राज्यपाल शक्ति रहित नहीं, शक्ति सहित होता है। संविधान बनाते वक्त यह तय हुआ कि देश में जैसे राष्ट्रपति हैं, वैसे ही राज्‍य को गवर्न करने के लिए गवर्नर होंगे। इसलिए राज्य में गवर्नर ही सबसे शक्तिशाली होता है।

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हिन्दुस्थान समाचार / रोहित

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