निर्जला एकादशी आज : जयपुर समेत प्रदेशभर में बही धर्म की बयार, आमजन ने किया दान-पुण्य

निर्जला एकादशी आज : जयपुर समेत प्रदेशभर में बही धर्म की बयार, आमजन ने किया दान-पुण्य
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निर्जला एकादशी आज : जयपुर समेत प्रदेशभर में बही धर्म की बयार, आमजन ने किया दान-पुण्य


जयपुर, 18 जून (हि.स.)। ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी आज निर्जला (भीमसेनी) एकादशी के रूप में जयपुर समेत प्रदेशभर में भक्तिभाव से मनाई जा रही है। एकादशी पर आज त्रिपुष्कर योग, शिव योग और स्वाति नक्षत्र का अद्भुत संयोग है। कई लोग निर्जल रह कर इस व्रत को कर रहे हैं। वहीं मंगला आरती से ही मंदिरों में ठाकुरजी के दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगना शुरू हो गया था, जो दिनभर चलेगा। लोग शक्कर युक्त जल से भरा मिट्टी का घड़ा, खरबूजा, आम, कमल ककड़ी, पंखी ठाकुरजी के समक्ष अर्पण कर पुण्यार्जन कर रहे हैं। इस दिन पवित्र सरोवर या नदी में स्नान का विशेष महत्व होने से लोग जयपुर के गलता में स्नान करने भी पहुंच रहे हैं। पौराणिक मान्यता है कि इस एकादशी को करने भर से वर्ष की 24 एकादशियों के व्रत के समान फल मिलता है।

जयपुर शहर के मंदिरों में जलयात्रा उत्सव मनाए जा रहे हैं। इस मौके पर ठाकुरजी को नवीन पोशाक धारण करवा कर ऋतु फलों एवं व्यंजनों का भोग लगाया जा रहा है। गोविंददेवजी मंदिर में महंत अजंन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में सुबह ठाकुरजी का अभिषेक कर नूतन पोशाक धारण करवाई गई। भक्तों में ठाकुरजी के दर्शन कर शक्कर युक्त जल से भरे घड़े और पंखी ठाकुरजी को चढ़ा कर पुण्य कमाने की होड़ मची रही। प्रवक्ता मानस गोस्वामी ने बताया कि शाम को ग्वाल झांकी में 5.45 से 6.15 बजे तक जल विहार की झांकी सजाई जाएगी।

देवस्थान विभाग के चांदनी चौक स्थित मंदिर श्री ब्रजनिधिजी एवं आनंदकृष्ण बिहारीजी में दोपहर 1 से 1.30 बजे तक जलयात्रा की झांकी सजाकर ऋतुफल अर्पित किए जाएंगे। शुक संप्रदाय आचार्य पीठ सरस निकुंज पानों का दरीबा में शुकपीठाचार्य अलबेली माधुरी शरण के सान्निध्य में सरस परिकर की ओर से शाम 7 से रात्रि 9.30 बजे तक फूल बंगले की झांकी सजाई जाएगी। इस मौके पर भजन मंडलियां पदों का गायन करेंगी। गोनेर स्थित लक्ष्मी जगदीश महाराज के मंदिर में भी सुबह से ही भक्तों का तांता लगा रहा। गलताजी तीर्थ में पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशाचार्य के सान्निध्य में जलविहार झांकी सजाई गई। युवराज स्वामी राघवेन्द्र ने बताया कि भगवान श्री निवास सहित भगवान राम के तीनों अति प्राचीन दिव्य विग्रहों का जल विहार के बाद आकर्षक शृंगार कर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ उनकी अर्चना व आरती की।

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार निर्जला एकादशी पर त्रिपुष्कर योग, शिव योग और स्वाति नक्षत्र का अद्भुत संयोग है। त्रिपुष्कर योग शाम 03:56 से पारण वाले दिन बुधवार सुबह 05:24 तक रहेगा। वहीं स्वाति नक्षत्र सुबह से शाम 03:56 तक है। शिव योग भी सुबह से लेकर रात 09 बजकर 39 मिनट तक रहेगा। ये दोनों योग और नक्षत्र शुभ कार्यों के लिए अच्छे माने जाते हैं। शिव योग साधना के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। त्रिपुष्कर योग में जो भी शुभ कार्य करते हैं, उसका तीन गुना फल प्राप्त होता है। साल की 24 एकादशियों में निर्जला एकादशी को सबसे श्रेष्ठ बताया गया है। इस दिन निर्जल रहकर व्रत रखने पर वर्ष की सभी एकादशियों का फल मिल जाता है। इस दिन जल से भरे मटके का दान करने का विशेष महत्व है। महाभारत काल में पांडव पुत्र भीम ने भी इस एकादशी का व्रत किया था। इसलिए इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं।

एकादशी पर जल के दान का विशेष महत्व बताया गया है, इसलिए शहरभर में लोग जल का दान कर रहे हे। कई संगठनों-संस्थाओं की ओर से जगह-जगह स्टॉल लगाकर मिल्क रोज, शर्बत, शिकंजी और शीतल जल पिलाकर पुण्य कमा रहे हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/ईश्वर

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