जानलेवा गैंग्रीन से पीड़ित समय से पहले जन्मे नवजात का चिकित्सकों ने किया इलाज
जयपुर, 21 मार्च (हि.स.)। जयपुर के एक निजी अस्पताल में कई अन्य बीमारियों और गैंग्रीन के एक दुर्लभ जीवन-घातक बीमारी से जूझ रहे बारह दिन के समय से पहले जन्मे नवजात को उपचार कर जीवन का दूसरा मौका दिया गया।
फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल जयपुर के कंसल्टेंट नियोनेटोलॉजिस्ट डॉ. श्याम सुंदर शर्मा और उनकी डॉक्टरों की टीम ने बच्चे का लगातार उपचार किया, जिसमें लगातार ब्लड इन्फेक्शन भी शामिल था।
डॉ. श्याम सुंदर शर्मा ने बताया कि नवजात शिशु का 35 सप्ताह (8 महीने) के गर्भ में आपातकालीन सी-सेक्शन के माध्यम से जयपुर के बाहर स्थित अस्पताल में जन्म हुआ था। लेकिन जन्म के तुरंत बाद सांस लेने में कठिनाई होने लगी, इसलिए बच्चे को जयपुर के दूसरे अस्पताल में रेफर किया गया और वहां वेंटीलेटर पर रखा गया था और सर्फ़ेक्टेंट (जो वायुमार्ग को खुला रखने में मदद करते हैं) फेफड़ों में डाले गए थे। अपने प्राथमिक अस्पताल में रहने के दौरान नवजात शिशु में कई सहवर्ती बीमारियां विकसित हो गईं -जैसे की ब्लडप्रेशर कम होना, हाथ पैरों का ठण्डा हो जाना, दोनों पैरों का काला पड़ना, उच्च यूरिया और क्रिएटिनिन के साथ कम मूत्र उत्पादन, गंभीर रूप से कम प्लेटलेट्स (15000) के साथ-साथ कई स्थानों से लगातार रक्तस्राव एवं दिमागी रक्तस्राव जिसके परिणामस्वरूप दौरे आने लगे। विशेष देखभाल की सख्त जरूरत के कारण उन्हें अत्यंत गंभीर अवस्था में फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल जयपुर में स्थानांतरित कर दिया गया।
फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल जयपुर में कंसल्टेंट नियोनेटोलॉजी डॉ. श्याम सुंदर शर्मा ने मामले की जटिलताओं के बारे में जानकारी साझा करते हुए कहा कि फोर्टिस एस्कॉर्ट्स जयपुर पहुंचने पर नवजात शिशु बेहद गंभीर स्थिति में था। कई गंभीर बीमारियों के कारण उसका जीवित रहना अनिश्चित था। श्वसन संबंधी कठिनाइयाँ, पैरों में रक्त के प्रवाह में कमी, निम्न रक्तचाप, गुर्दे की विफलता, दोनों निचले अंगों में गैंग्रीन, मस्तिष्क में रक्तस्राव और लगातार दौरे सहित कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं थी। उनकी सांस लेने की कठिनाइयों को दूर करने के लिए हमने वेंटीलेटर जारी रखा।
गैंग्रीन के सूचक परपुरा फ़ल्मिनेन्स का निदान करने पर हमें प्रोटीन सी की कमी का पता चला। बच्चे के माता-पिता के आगे आनुवंशिक परीक्षण से एक विषमयुग्मजी उत्परिवर्तन का पता चला। जिससे रक्त का थक्का जम गया और गैंग्रीन हो गया। आदर्श उपचार, प्रोटीन सी इन्फ्यूजन, भारत में अनुपलब्ध था, जिस से हमें फ्रेश फ्रोज़न प्लाज़्मा (एफएफपी) का उपयोग करना पड़ा, जिसमें प्रोटीन सी होता है। इसके साथ ही इंजेक्टेबल एलएमडब्ल्यूएच, एक प्रकार का रक्त पतला करने वाली दवा को 21 दिनों की कठोर अवधि में प्रशासित किया गया था। बाएं पैर के एक हिस्से को छोड़कर शरीर के सभी गैंग्रीन वाले हिस्से ठीक हो गए, जिसके लिए हमने प्लास्टिक सर्जन से परामर्श की सलाह दी। समय पर सटीक निदान और उपचार दोनों ही नवजात शिशु के जीवित रहने के लिए महत्वपूर्ण थे।
हिन्दुस्थान समाचार/ दिनेश/संदीप
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