झांझरिया तालाब के बदले स्वरूप पर कलक्टर ने जताई चिंता, आयुक्त को बुलाकर अतिक्रमण हटाने के दिए निर्देश
चित्तौड़गढ़, 27 जुलाई (हि.स.)। चित्तौड़गढ़ शहर के प्रतापनगर क्षेत्र में स्थित झांझरिया तालाब किसी समय पानी से लबालब रहता था और इसका काफी लंबा क्षेत्र था। यहां पानी भरा रहने से शहरी क्षेत्र में भूमिगत जल स्तर भी बढ़ा रहता है। लेकिन कुछ वर्षों में माफियाओं ने योजनाबद्घ तरीके से भराव डाल तालाब की जमीन पर कब्जे कर बेचना शुरू कर दिया। ऐसे में यह तालाब अतिक्रमण की भेंट चढ़ डंपिग यार्ड बन कर रह गया। वहीं शहर के निरीक्षण को लेकर निकले जिला कलक्टर आलोक रंजन झांझरिया तालाब की दुर्दशा देख कर मौके पर ही रुक गए। मौके पर तालाब डंपिंग यार्ड तो था ही साथ ही इसमें भराव डाल कर किए गए कब्जे भी साफ देखे जा रहे थे। ऐसे में जिला कलक्टर ने नगर परिषद आयुक्त को फोन कर मौके पर बुलाया। साथ ही उन्हें यहां से अतिक्रमण और झाड़ियां हटाने के निर्देश दिए।
जानकारी में सामने आया कि जिला कलक्टर आलोक रंजन व अतिरिक्त जिला कलक्टर डाइट मार्ग की और पहुंचे। यहां डाइट मार्ग पर झांझरिया तालाब की शुरुवात में ही सड़क डंपिंग यार्ड बनी नजर आई। आधी सड़क पर गंदगी के ढेर लगे थे। वहीं थोड़ा आगे बढ़े तो झांझरिया तालाब में अवैध अतिक्रमण देखे। इतना ही नहीं तालाब की दीवार कुछ स्थानों से टूटी हुई थी और झाड़ झंखाड़ उग आए। इस दौरान अतिरिक्त जिला कलक्टर प्रशासन राकेश कुमार भी साथ थे। जिला कलक्टर ने फोन कर तत्काल नगर परिषद आयुक्त रविंद्र यादव को मौके पर बुलाया। इस पर यादव भी तत्काल मौके पर पहुंच गए। उन्होंने विशाल तालाब के स्वरूप के बदल जाने पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि तालाब के चारों ओर फैल रही झाड़ियां और डंपिग यार्ड तुरंत हटाया जाए। इस दौरान उन्होंने तालाब के पेटे में बनी झोपड़ों और मकानों पर भी नगर परिषद आयुक्त से जवाब तलब किया। इस पर आयुक्त ने शीघ्र ही यहां रह रहे लाेगों का सर्वे कराने की बात कही।
4 करोड़ की भेजी डीपीआर, स्वीकृति का इंतजार
झांझरिया तालाब को लेकर अमृत सिटी योजना के दूसरे फेस में नगर परिषद ने करीब 4 करोड़ रुपए की डीपीआर बनाकर भेजी है। इससे तालाब का जीर्णाेद्धार और विकास किया जा सके। यह तालाब चारो और बस्तियों की ओर स्थित है ऐसे में यह एक अच्छा ट्यूरिस्ट स्पॉट बन सकता है। इस संबंध में नगर परिषद के आयुक्त रविन्द्र यादव ने बताया कि झंझेरिया तालाब के लिए राज्य सरकार को अमृत सिटी योजना के तहत डीपीआर भेजी गई है। स्वीकृति होने के बाद काम शुरु कर दिया जायेगा। उन्होने बताया कि जिला कलक्टर आलोक रंजन ने मौके से झाड़ियां हटाने और सफाई कराने के साथ साथ झोपडी में रहने वाले लाेगो के भी सर्वे कराने के निर्देश दिये है। इसके लिए नगर परिषद कार्यवाही प्रारंभ करेगा।
पहले दिये थे मकान, लेकिन बढ़ गया अतिक्रमण
जानकारी के अनुसार झांझरिया तालाब में रहने करने वाले लोगों को चंदेरिया क्षेत्र में कुछ मकानों का आवंटन किया गया था। हालांकि यह बाद में स्पष्ट नहीं हो पाया कि मकानों के आवंटन का क्या हुआ। यहां से अतिक्रमण नहीं हट पाया और तालाब के अंदर तक बस्ती बस गई। हद तो यह है कि तालाब के पेटे में मिट्टी डाल कर सड़क तक बना ली गई और प्रशासन मौन रहा और यही कारण है कि अतिक्रमण दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है और तालाब बदहाल है।
कागजों में रह गया झांझरिया लेक प्रोजेक्ट
झांझरिया तालाब के विकास को लेकर करीब छह वर्ष पूर्व यूआईटी ने प्रस्ताव तैयार किया था। इसमें फतहसागर झील की तर्ज पर विकसित करने का था। यहां उद्यान विकसित करने के साथ ही बोटिंग की भी योजना थी। तत्कालीन यूआईटी चेयरमैन सुरेश झंवर ने यह प्रस्ताव बनवाया था। लेकिन सरकार बदलने के साथ ही यह प्रस्ताव खटाई में चला गया। यूआईटी की और से बनाई योजना धरातल पर नहीं उतर पाई।
वर्जन....
झंझेरिया तालाब को लेकर नगर परिषद को अवैध अतिक्रमण हटाने, डंपिग यार्ड दूसरी जगह करने और झाड़ियां हटा कर साफ सफाई करने के निर्देश दिये है। तालाब में रह रहे लोगों के विस्थापन के लिए क्या किया जा सकता है। इस पर विचार करेंगे।
आलोक रंजन, जिला कलक्टर
हिन्दुस्थान समाचार
हिन्दुस्थान समाचार / अनिल शर्मा / संजीव शर्मा
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