सरकारी वकीलों की नियुक्ति को लेकर भाजपा से जुड़े वकीलों में असंतोष
जयपुर, 27 अगस्त(हि.स.)। राज्य सरकार की ओर से अदालतों में सरकारी पक्ष रखने के लिए नियुक्त किए गए वकीलों में भाजपा से जुड़े अधिवक्ताओं की उपेक्षा को लेकर कुछ वकीलों ने भाजपा अधिवक्ता संघर्ष समिति का गठन किया है। संघर्ष समिति का आरोप है कि राज्य सरकार की ओर से नियुक्त की गई एक महिला अतिरिक्त महाधिवक्ता सहित तीन अन्य एएजी और कुछ सरकारी वकील भाजपा विचारधारा वाले नहीं हैं। इसके बावजूद भी उन्हें अधिवक्ता परिषद से जुडा बताकर नियुक्ति दी गई है।
संघर्ष समिति के संयोजक राजेन्द्र सिंह राघव ने बताया कि ऐसे अधिवक्ता जिनकी भाजपा की राष्ट्रवादी नीतियों के प्रति निष्ठा नहीं है और ना ही वे भाजपा के कार्यकर्ता रहे हैं, को नियुक्ति देने का विरोध किया जा रहा है। यदि संघर्ष समिति की मांगे मानकर इन्हें नहीं हटाया गया तो संघर्ष समिति की ओर से भाजपा के प्रदेश कार्यालय के बाहर धरना दिया जाएगा और भाजपा के सभी शीर्ष नेताओं को ज्ञापन देकर इसकी जानकारी दी जाएगी।
समिति के सह संयोजक वीरेन्द्र गोदारा ने बताया कि कांग्रेस सरकार ने अमित पूनिया को एडिशनल गवर्नमेंट एडवोकेट बनाया था। वहीं अब भाजपा सरकार ने भी इन्हें यह पद दिया है। इसी तरह कांग्रेस लीगल सेल से जुडी एक महिला अधिवक्ता को भी असिस्टेंट गवर्रनमेंट कौंसिल लगाया गया है। वहीं कुल 47 गवर्नमेंट कौंसिल में से 23 गैर भाजपाई वकीलों को नियुक्ति दी गई है। इसके अलावा राजकीय अधिवक्ता के 22 पदों में से आठ गैर भाजपाई वकीलों को नियुक्त किया गया है। गोदारा ने अधिवक्ता परिषद से जुडे एक अतिरिक्त महाधिवक्ता पर आरोप लगाते हुए कहा है कि उन्होंने अपने चहेतों को अधिवक्ता परिषद का चोला पहनाकर सरकार में एंट्री कराई है।
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हिन्दुस्थान समाचार / पारीक / ईश्वर
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