देवउठनी एकादशी गुरुवार को, शुरू होंगे मांगलिक कार्य
जयपुर, 22 नवंबर (हि.स.)। कार्तिक महीने में शुक्ल पक्ष की एकादशी गुरुवार को देवउठनी एकादशी मनाई जाएगी। गुरुवार को देवउठनी एकादशी पर सूरज उगने से पहले ब्रह्म मुहूर्त में शंख बजाकर भगवान विष्णु को जगाया जाएगा। भगवान विष्णु के जागते ही प्रदेश भर में मांगलिक कार्य शुरू हो जाऐंगे। गुरुवार को देव प्रबोधिनी एकादशी पर दिनभर महापूजा और भगवान का श्रृंगार होगा। शाम को भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप से तुलसी विवाह होगा और दीपदान किया जाएगा। इसी दिन से सभी प्रकार के मांगलिक कार्य जैसे- विवाह, मुंडन, गृह-प्रवेश, उपनयन संस्कार इत्यादि मांगलिक कार्य शुरू हो जाएगे।
पंडित श्री कृष्ण चंद शर्मा ने बताया कि विष्णु भगवान ने शंखासुर दैत्य को मारा था और उसके बाद चार महीने के लिए योग निद्रा में चले गए। चार महीने पूरे होने के बाद देवउठनी एकादशी भगवान विष्णु जागते है और दोबारा से सृष्टि चलाने की जिम्मेदारी संभालते है। इसलिए भगवान विष्णु के जागते ही फिर से मांगलिक कार्य शुरू हो जाते है। इसलिए देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है।
तुलसी विवाह की है पंरपरा
देव प्रबोधिनी एकादशी पर भगवान विष्णु के जागते ही तुलसी विवाह किया जाता है साथ ही भगवान की आरती के साथ उन्हे सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु को भोग के साथ तुलसी दल चढ़ाना अनिर्वाय है। भगवान तुलसी के बिना भोग स्वीकार नहीं करते । देवउठनी एकादशी पर्व पर तुलसी विवाह के अलावा माता लक्ष्मी की पूजा करने का भी विशेष महत्व है। इस दिन तीर्थ स्नान ,दान पुण्य करने के साथ ही दीपदान करने की भी परंपरा है। बताया जाता है कि इस दिन धर्म-कर्म करने से कभी नहीं खत्म होने वाला पुण्य मिलता है। पंचांग तिथि के अनुसार कार्तिक माह में 23 से 27 नवंबर तक त्रयोदशी ,बैकुंठ चतुर्दशी और कार्तिक पूर्णिमा पर्व भी मनाया जाएगा। इन तीनों तिथियों में दीपदान करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी जी की विशेष कृपा मिलती है।
ऐसे करें भगवान विष्णु की पूजा
देवउठनी एकादशी वाले दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करें। घर में बने पूजा घर की साफ -सफाई कर दीप प्रज्वलित करें। जिसके बाद भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक कर पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें। इस दिन व्रत करने का भी विधान है।
देवउठनी एकादशी व्रत और शुभ योग
पंडित शर्मा ने बताया कि एकादशी व्रत के दिन कई शुभ योग का निर्माण हो रहा है, उन्हें पूजा पाठ के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। इस दिन सिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग का निर्माण हो रहा है। सिद्धि योग सुबह 11.55 से शुरू होगा, वहीं रवि योग सुबह 06.50 से शाम 05.16 तक रहेगा और इसके बाद सर्वार्थ सिद्धि योग प्रारंभ हो जाएगा। वैदिक शास्त्रों के अनुसार, इन सभी शुभ मुहूर्त में पूजा-पाठ, दान इत्यादि कर्म करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। इस दिन सावे शुरू होने के साथ ही बड़ी संख्या में शादियां होगी। प्रदेशभर में विशेष आयोजन होंगे।
गोविंद देव जी मंदिर में मनाई जाएगी देवउठनी एकादशी महोत्सव
गोविंद देव जी मंदिर में हर साल की तरह इस वर्ष भी देवउठनी एकादशी महोत्सव बुधवार को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। जिसमें धूप-झांकी के पश्चात सुबह साढ़े 9 बजे शालिग्राम को चौकी पर विराजमान करके मंदिर के दक्षिण-पश्चिम कोने पर स्थित तुलसी मंच पर लाकर विराजमान कराया जाएगा। उसके पश्चात सालिग्राम जी का पंचामृत अभिषेक -पूजन के बाद आरती की जाएगी तथा तुलसी महारानी जी का पूजन महंत अंजन कुमार गोस्वामी द्वारा किया जाएगा। तुलसी महारानी जी एवं शालिग्राम जी की चार परिक्रमा करने के बाद शालिग्राम जी को चांदी के रथ पर विराजमान करके मंदिर की एक परिक्रमा करने के बाद वापस गर्भगृह में विराजमान कर दिया जाएगा।
देवउठनी एकादशी पर ठाकुर जी को लाल जमा पोशाक धारण करवाई जाएगी और विशेष श्रृंगार किया जाएगा।जिसके बाद ठाकुर जी का माता तुलसी के साथ विवाह के पश्चात भगवान की आरती की जाएगी। आरती के बाद भक्तगण भगवान के दर्शन कर पाऐंगे।
हिन्दुस्थान समाचार/ दिनेश/संदीप
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