गोविंद देव जी मंदिर में देवउठनी एकादशी महोत्सव: श्री जी को धारण कराई लाल जामा की पोशाक
जयपुर, 23 नवंबर (हि.स.)। कार्तिक शुक्ल एकादशी गुरुवार को देव उठनी ग्यारस के रूप में भक्ति भाव से मनाई गई। सुबह ब्रह्म मुहूर्त में चातुर्मास के शुभारंभ से क्षीर सागर में शयन कर रहे श्री हरि भगवान विष्णु को जगाया गया। सभी वैष्णव मंदिरों में एकादशी पर विशेष झांकी सजाई गई। शाम को तुलसी और शालिग्राम का विवाह कराया गया।
आराध्य देव गोविंद देवजी मंदिर में देवउठनी एकादशी महोत्सव हर्षोल्लास से मनाया गया। सुबह धूप झांकी के बाद सालिग्राम जी को चौकी पर विराजमान कर मंदिर के दक्षिण-पश्चिम कोने पर स्थित तुलसी मंच पर लाकर विराजमान कराया गया। मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में सालिग्राम जी का पंचामृत अभिषेक, पूजन एवं आरती कर तुलसी महारानी जी का पूजन किया गया। तुलसी महारानी जी एवं शालिग्राम जी की चार परिक्रमा कर सालिग्राम जी को चांदी के रथ पर विराजमान कर मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी और मंदिर के प्रबंधक मानस गोस्वामी ने मंदिर की एक परिक्रमा कराई। मंदिर के सेवक चंवर डुलाते और हरिनाम संकीर्तन करते हुए चल रहे थे। इस दौरान भक्तों ने जयकारों से मंदिर को गुंजायमान कर दिया। परिक्रमा के बाद शालिग्राम जी को वापस गर्भगृह में विराजमान किया गया। इसके बाद शृंगार आरती के दर्शन हुए। ठाकुर श्रीजी को लाल जमा पोशाक धारण कराकर विशेष शृंगार किया गया। एकादशी के कारण गोविंद देवजी मंदिर में दर्शनार्थियों की संख्या अन्य दिनों की तुलना में कई गुणा अधिक थी। सुबह झांकियों में तो जगमोहन में पैर रखने की भी जगह नहीं बची। महिला श्रद्धालु लड्डू गोपाल को लेकर मंदिर पहुंची।
इधर पुरानी बस्ती स्थित राधा गोपीनाथ जी मंदिर में महंत सिद्धार्थ गोस्वामी के सान्निध्य में देवउठनी एकादशी पर विशेष झांकी सजाई गई। चौड़ा रास्ता स्थित राधा दामोदर मंदिर में महंत मलय गोस्वामी के सान्निध्य में एकादशी पर ठाकुर का विशेष श्रृंगार किया गया। गोविंददेवजी के दर्शन करने वाले अधिकांश श्रद्धालुओं ने इन दोनों मंदिरों में भी ठाकुरजी के दर्शन किए।
हिन्दुस्थान समाचार/ दिनेश/संदीप
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