देवशयनी एकादशी बुधवार को, चार माह तक नही होंगे शुभ कार्य
जोधपुर, 16 जुलाई (हि.स.)। देवशयनी एकादशी 17 जुलाई को है। हिंदू धर्म के अनुसार मान्यता है कि देवशयनी एकादशी के दिन भगवान श्री हरि नारायण विष्णु शयन करते हैं। भगवान विष्णु के शयन करने के कारण सभी तरह के मांगलिक कार्य चार माह के लिए बंद हो जाएंगे। इसके बाद 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी से देव नींद से जागेंगे। उसके बाद से शुभ व मांगलिक कार्य शुरू होंगे।
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है। पुराणों के अनुसार इस दिन से चार माह तक भगवान विष्णु योग निद्रा में रहेंगे। कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी यानि देवउठनी एकादशी को भगवान विष्णु की योग निद्रा पूर्ण होगी। इस साल 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी और 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी रहेगी। इन चार महीनों को चातुर्मास कहते हैं, जो 118 दिन का रहेगा। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस अवधि में सृष्टि को संभालने और कामकाज संचालन का जिम्मा भगवान भोलेनाथ के पास रहेगा। इस दौरान शिव आराधना, शिव मंदिरों में रुद्राभिषेक, धार्मिक अनुष्ठान, भजन, सत्संग-कीर्तन, भागवत कथाएं आदि किए जा सकेंगे लेकिन विवाह, यज्ञोपवीत, गृह प्रवेश सहित मांगलिक कार्य नहीं होंगे।
चातुर्मास व्रत आरम्भ होगा
देवशयनी एकादशी से संन्यासी लोगों का चातुर्मास व्रत आरम्भ हो जाएगा। साधु-संत, तपस्वी इस काल में एक ही स्थान पर रहकर तप, साधना, स्वाध्याय व प्रवचन आदि करेंगे। इन चार माह में साल के सबसे अधिक व्रत-त्योहार आते हैं। चातुर्मास के दौरान एक माह श्रावण का महीना होगा और इस एक माह में भक्त महादेव की आराधना, जलाभिषेक करेंगे। इसी प्रकार नागपंचमी, रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, गणेश उत्सव, दुर्गा उत्सव, दशहरा, दिवाली सहित अन्य पर्व रहते हैं। चातुर्मास के चार महीनों तक पूरे साल में सबसे अधिक पर्व रहते हैं। इस बार चातुर्मास के दौरान आने वाले अधिकांश पर्व 11 से 15 दिन जल्दी आएंगे।
हिन्दुस्थान समााचार
हिन्दुस्थान समाचार / सतीश / संदीप
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