डायन हिंसा की पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए शाहपुरा एसपी कार्यालय पर प्रदर्शन
भीलवाड़ा, 4 सितंबर (हि.स.)। डायन हिंसा की पीड़ित को न्याय दिलाने की मांग को लेकर बुधवार को बाल व महिला चेतना समिति, सामाजिक कार्यकर्ताओं और शाहपुरा जिले के रायला थाना क्षेत्र के कुंवार गांव के ग्रामीणों ने शाहपुरा पुलिस अधीक्षक कार्यालय में प्रदर्शन किया और ज्ञापन सौंपा।
महिला चेतना समिति संस्था की अध्यक्ष तारा अहलूवालिया ने बताया कि रायला थाना क्षेत्र के बिजयपुर गांव में एक महिला को छत पर नहाते समय डायन कहकर अमानवीय तरीके से पीटा गया। इस हमले में पीड़िता की आंख पर गंभीर चोट आई और उसके हाथ में दो फ्रैक्चर हो गए। इस पूरी घटना का एक वीडियो भी एक ग्रामीण ने बना लिया था। रायला पुलिस को घटना की जानकारी होने के बावजूद एफआईआर दर्ज करने में देरी की गई, और पुलिस पर आरोप है कि उन्होंने घटना के सबूत मिटाने के लिए दबाव बनाया और कार्रवाई में लापरवाही बरती।
महिला चेतना समिति संस्था की अध्यक्ष तारा अहलूवालिया की अगुवाई में पीड़िता के परिवार और ग्रामीणों ने इस मामले में न्याय की मांग को लेकर जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय पर प्रदर्शन किया। पीड़ित महिला ने बताया कि पुलिस ने उनके मामले को डायन हिंसा की उचित धाराओं में दर्ज नहीं किया है। उन्होंने कहा, इस घटना ने मेरे जीवन को नर्क बना दिया है, और घटना के एक माह बाद भी मुख्य आरोपी फरार है। मैं हर दिन डर के साए में जी रही हूं।
अध्यक्ष तारा अहलूवालिया ने कहा कि ऐसी घटनाओं में पुलिस की लापरवाही से आमजन का भरोसा प्रशासन से उठ जाता है, जिससे ऐसे अपराधों की संभावना और बढ़ जाती है। उन्होंने पुलिस प्रशासन से मांग की कि मामले में शीघ्र कार्रवाई करते हुए मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया जाए और पीड़िता को पुनर्वास एवं मुआवजा दिलाया जाए।
ग्रामीणों और समिति ने अपने ज्ञापन में पीड़िता को न्याय दिलाने, मुख्य आरोपियों की गिरफ्तारी, पीड़िता के पुनर्वास और मुआवजे की मांग की है। प्रदर्शन के दौरान संस्था के कार्यकर्ता श्याम लाल, गरिमा पंचोली, भावना जोशी, परमेश देव, वॉलंटियर विशाल, और ग्रामीण कैलाश, मुकेश, तथा नारू भील भी उपस्थित रहे।
उन्होंने बताया कि इस घटना ने क्षेत्र में आक्रोश और असुरक्षा की भावना को बढ़ा दिया है। ग्रामीणों ने प्रशासन से जल्द से जल्द न्याय सुनिश्चित करने की अपील की है ताकि पीड़िता को सुरक्षा और इंसाफ मिल सके। पुलिस प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए जल्द ही उचित कार्रवाई की जाएगी। ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस और प्रशासन को अधिक सख्त और संवेदनशील होने की जरूरत है। पीड़िता और उसके परिवार को डर और धमकियों से मुक्त जीवन जीने का अधिकार है, जिसे सुनिश्चित करना प्रशासन की जिम्मेदारी है।
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हिन्दुस्थान समाचार / मूलचंद
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