दादूपंथी समाज ने मनाई संत दादूदयाल जयंती

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दादूपंथी समाज ने मनाई संत दादूदयाल जयंती


उदयपुर, 27 फरवरी (हि.स.)। हिन्दी के भक्तिकाल में ज्ञानाश्रयी शाखा के प्रमुख संत दादूदयाल महाराज की जयंती सोमवार को मनाई गई। उदयपुर में भी दादूपंथी समाज की ओर से जयंती पर कार्यक्रम आयोजित हुए।

यहां आरएनटी मेडिकल कॉलेज परिसर और हजारेश्वर महादेव मंदिर के समीप स्थित दादूदयाल महाराज और अन्य शिष्य संतों के तपोवन स्थल पर भजन कार्यक्रम, पूजा, आरती और परसादी का आयोजन हुआ जिसमें बड़ी संख्या में दादूपंथियों तथा अन्य लोगों ने भाग लिया। उपरोक्त तपोवन स्थल आज से करीब ढाई सौ से तीन सौ साल पुराने हैं जहां दादूदयाल महाराज और शिष्य संतों ने सालों तक साधना की है। उनकी स्मृति में यहां छतरियां स्थापित हैं जिन पर संतों की चरण पादुकाएं विराजित हैं। उदयपुर में दादूदयाल महाराज के शिष्य जगजीवन राम की नवीं पीढ़ी की ओर से सोमवार को भजन, आरती और परसादी का आयोजन किया गया।

इस मौके पर हेमंत स्वामी, जलदीप स्वामी, मुकेश अग्रवाल, एडवोकेट मनीष शर्मा, कमलेश सेन, राहुल कुमार, कुंदन चौहान, हरीश वैष्णव, नरेंद्र वर्मा, हरीश भारती, नरेंद्र सोनी, सुरेंद्र शर्मा, नवनीत जैन, अशोक स्वामी, नरेश स्वामी और अशोक सिंह राठौड सहित बड़ी संख्या में भक्तजन उपस्थित थे।

दादूदयाल हिन्दी के भक्तिकाल में ज्ञानाश्रयी शाखा के प्रमुख सन्त कवि थे। इनके 52 पट्टशिष्य थे, जिनमें गरीबदास, सुंदरदास, रज्जब और बखना मुख्य हैं। दादू के नाम से दादू पंथ चला। ये अत्यधिक दयालु थे। इस कारण इनका नाम दादू दयाल हो गया। दादू हिन्दी, गुजराती, राजस्थानी आदि कई भाषाओं के ज्ञाता थे। इन्होंने शबद और साखी लिखीं। इनकी रचना प्रेमभावपूर्ण है। जात-पांत के निराकरण, हिन्दू-मुसलमानों की एकता आदि विषयों पर इनके पद तर्क-प्रेरित न होकर हृदय-प्रेरित हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/सुनीता कौशल/संदीप

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