जेकेके में कल्चरल कारवां का आगाज, संगीत के सौंदर्य से सराबोर हुए शहरवासी

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जेकेके में कल्चरल कारवां का आगाज, संगीत के सौंदर्य से सराबोर हुए शहरवासी


जेकेके में कल्चरल कारवां का आगाज, संगीत के सौंदर्य से सराबोर हुए शहरवासी


जयपुर, 31 अगस्त (हि.स.)। संगीत और साहित्य के सौंदर्य को समाहित करने वाला कल्चरल कारवां विभिन्न राज्यों से होता हुआ शनिवार को जयपुर में ठहरा। जवाहर कला केन्द्र और जश्न ए अदब की सहभागिता में आयोजित कार्यक्रम के पहले दिन डॉ. विद्या शाह ने दादरा, ठुमरी और गजल गायन की प्रस्तुति दी। पद्म भूषण पं. साजन मिश्रा और पं. स्वरांश मिश्रा ने शास्त्रीय गायन से सभी का मन मोहा। पद्मश्री उस्ताद अहमद हुसैन और मो. हुसैन ने ग़ज़लों का गुलदस्ता सजाया। डॉ. यश गुलाटी सैक्सोफोन की मधुर धुनों के साथ मिठास घोली। साबरी बंधुओं की कव्वाली के साथ इस सुरीले सफर का समापन हुआ।

दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम का आगाज हुआ। इस दौरान राज्य मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन जस्टिस (रिटा.) गंगाराम मूलचंदानी, केन्द्र की अतिरिक्त महानिदेशक प्रियंका जोधावत, पद्मभूषण पं. साजन मिश्रा, पद्मश्री अहमद हुसैन-मो. हुसैन, जश्न ए अदब के अध्यक्ष रिटा. आईआरएस नवनीत सोनी, जश्न ए अदब फाउंडर रणजीत सिंह चौहान मौजूद रहे। डॉ. विद्या शाह की मधुर आवाज में दादरा, ठुमरी और ग़ज़ल की प्रस्तुति में मानों शाम गुनगुनाती नज़र आयी। उन्होंने शकील बदायुनी का कलाम 'मेरे हम-नफ़स मेरे हम-नवा मुझे दोस्त बन के दग़ा न दे', साहिर लुधियानवी की ग़ज़ल 'तुम अपना रंज-ओ-ग़म अपनी परेशानी मुझे दे दो' व 'कोई कैसे मुझे ये समझाएं' सरीखे गीत गाए। शास्त्रीय संगीत की पारंपरिक बंदिशें भी उन्होंने सुनाई। आशिक कुमार ने हारमोनियम, शांति भूषण झा ने तबला, जोएब अली ने सारंगी पर संगत की।

पद्मभूषण पं. साजन मिश्रा ने विभिन्न शास्त्रीय रचनाएं पेश की। उन्होंने राग मेघ में तीन रचनाएं पेश की। जिसमें झपताल में निबद्ध 'गरजत बादल आए', तीन ताल में 'गगन गरज दमकत दामिनी' और द्रुत एक ताल की रचना 'कजरा कारे कारे' शामिल है। कुछ भजनों के बाद विशेष 'चलो मन वृंदावन की ओर' प्रस्तुति में श्रोताओं को वृंदावन की अविस्मरणीय यात्रा करवायी। सह गायन में पं. स्वरांश मिश्रा, गिरिराज बालोदिया ने हारमोनियम, यथार्थ रावत ने तबला और वरुण जैन ने तानपुरे पर संगत की।

पद्मश्री हुसैन बंधुओं ने अपने ग़ज़ल गायन से शाम को रूहानी बना दिया। गजल 'पत्थर के जिगर वालों', 'मैं हवा हूं कहां वतन मेरा', गीत 'नजर मुझसे मिलाती हो तो तुम शरमा सी जाती', 'मौसम आएंगे जाएंगे हम तुमको भूल ना पाएंगे' गाकर श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। हुसैन बंधु ने फिल्म वीर जारा के गीत 'आया तेरे दर पर दीवाना' में आवाज दी है। इस गीत को लाइव सुनकर श्रोता मंत्र मुग्ध हो गए। तबले पर इफ्तखार हुसैन, वायलिन पर पं. मनभावन डांगी, संतूर पर अनवर हुसैन और की—बोर्ड पर हबीब खान ने संगत की। साबरी ब्रदर्स ने हीना फिल्म की मशहूर कव्वाली 'देर ना हो जाए कहीं देर ना हो जाए' समेत अन्य कव्वाली गाकर समां बांधा।

एक सितंबर को दोपहर दो बजे युसुफ खान की भपंग वादन प्रस्तुति के साथ दिन की शुरुआत होगी। दोपहर 2:45 से 3:45 पर फकीरा खान भादरेश की लोक गायन प्रस्तुति होगी। सायं साढ़े चार बजे संवाद प्रवाह में अभिनेता मनु ऋषि चड्ढा, अंजुम शर्मा और फैसल मलिक अपने विचार रखेंगे। सायं पौने पांच बजे से वरिष्ठ कवि और शायर अपनी रचनाओं के साथ मंच साझा करेंगे। पद्मश्री प्रो. अशोक चक्रधर, पद्मश्री सुरेन्द्र शर्मा और प्रो. वसीम बरेलवी अपनी कविताओं और शायरियों से समां बांधेंगे। रात्रि साढ़े आठ बजे विधा लाल की कथक प्रस्तुति के साथ उत्सव का समापन होगा।

हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश

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