पं. श्रीराम दवे और आडवाणी के बीच रहे है मधुर संबंध
जोधपुर, 6 फरवरी (हि.स.)। देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी का जोधपुर शहर के प्रख्यात पं. श्रीराम दवे से घनिष्ठ संबंध रहे हैं। पं. दवे अब इस दुनिया में नहीं रहे लेकिन आडवाणी का रिश्ता इस परिवार से अब भी बना है। उनकी यदाकदा इस परिवार के लोगों से दूरभाष पर बातचीत होती रहती है।
भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद जब आडवाणी कराची छोडक़र जोधपुर आए तब पं. श्रीराम दवे से काफी प्रगाट रहे। दोनों कराची के विद्यालय में शिक्षक के रूप में कार्य करते थे। आडवाणी अंग्रेजी और पं. श्रीराम दवे संस्कृत के शिक्षक थे। यहीं कारण है कि 70 सालों की राजनीति यात्रा में आडवाणी का जोधपुर से खास जुड़ाव रहा। लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देने की घोषणा के बाद इस परिवार के लोगों की आंखों में चमक आने लगी है, साथ ही खुशियां भी दिख रही है। पं. श्रीराम दवे की पुत्री जया दवे ने आडवाणी को भारत रत्न देने की घोषणा पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि यह आडवाणी के 70 साल के त्याग और बलिदान का इनाम है। इस खुशी को शब्दों में बयां किया नहीं जा सकता।
जया दवे ने बताया कि लालकृष्ण आडवाणी और उनके पिता पं. श्रीराम दवे के बीच काफी मधुर रिश्ते रहें हैं। आडवाणी और उनके पिता पं. श्रीराम दवे 7 वर्षों तक एक ही विद्यालय में अध्यापन कार्य करते थे। दोनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा में जाते थे। दोनों संघ के दायित्वान प्रमुख कार्यकर्ता थे। स्वाधीनता के बाद दोनों राजस्थान आ गए थे। आडवाणी कुछ समय बाद जोधपुर से भरतपुर चले गए लेकिन इस परिवार से उनके मधुर संबंध अब भी बरकरार है। राष्ट्रीय राजनीति के शिखर पर पहुंचने के बाद भी आडवाणी का इस परिवार से प्रगाट संबंध रहे है। पं. श्रीराम दवे की दोहिती साध्वी प्रीति प्रियवंदा अब भी उनको नानाजी पुकारती है। उन्होंने बताया कि आडवाणी सितंबर 2005 में आखिरी बार जोधपुर आए थे तब उन्होंने महाकवि पं. श्रीराम दवे के संस्कृत काव्य ब्रह्म रसायन का विमोचन किया था।
हिन्दुस्थान समाचार/सतीश/संदीप
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