संविधान सर्वोच्च, सद्भाव -समानता की दृष्टि देने वाला : राज्यपाल
लखनऊ/ जयपुर, 21 जुलाई (हि.स.)। राज्यपाल कलराज मिश्र ने संविधान को सर्वोपरि बताते हुए अधिकारों के साथ कर्तव्य पालन के लिए भी सजग रहने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान उदात्त जीवन मूल्यों से जुड़ा हमारी सद्भाव, प्यार और समानता के साथ न्याय में विश्वास की दृष्टि समाए हुए है।
मिश्र रविवार लखनऊ में हमारा संविधान विषयक संगोष्ठी में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने संविधान की मूल प्रति पर शांतिनिकेतन के कलाकार नंदलाल बोस और उनके साथी कलाकारों द्वारा उकेरी चित्रकृतियों की चर्चा करते हुए कहा कि इनके जरिए हम भारतीय इतिहास और सभ्यता के साथ आदर्श मूल्यों को अनुभूत कर सकते हैं। संविधान की मूल प्रति पर गुरु शिष्य परंपरा, यज्ञ की भारतीय संस्कृति, पुष्पक विमान में सीता संग अयोध्या लौटते राम हैं, अर्जुन को उपदेश देते श्री कृष्ण हैं, भगवान बुद्ध हैं, गांधीजी की दांडी यात्रा है, सुभाष चंद्र बोस, सागर, रेगिस्तान आदि सब कुछ है। संविधान राष्ट्र के इतिहास, परंपराओं और जीवन से जुड़े सरोकारों का दर्पण है।
उन्होंने कहा कि संविधान पर भ्रम नहीं फैलाया जाना चाहिए। इसे बदला नहीं जा सकता। यह हमारी पहचान है। उन्होंने सभी को संविधान का पालन करते हुए राष्ट्र विकास के लिए कार्य करने का आह्वान किया।
विषय प्रवर्तन पूर्व राज्य मंत्री वीरेन्द्र तिवारी ने किया। संजीव अवस्थी ने सभी का आभार जताया। इससे पहले राज्यपाल ने गोष्ठी स्थल पर वृक्षारोपण किया।
हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश सैनी / ईश्वर
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